झारखंड के गढ़वा जिले में जंगली हाथियों का कहर बढ़ता जा रहा है। बीती रात रिहाइशी इलाकों में पहुंचे करीब 35-40 हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया। बलिगढ़ और गोबरदाहा गांव के लोग हाथी के आतंक से परेशान हैं। हाथियों का आतंक इतना ज्यादा बढ़ गया है कि इस झुंड ने एक शख्स को अपने पैरों तले दबाकर कुचल डाला। उसे मौत के घाट उतार दिया। वहीं गांव के 5 घरों को तहस-नहस कर डाला। घर में रखे राशन का चावल, मकई, गेहूं खा गए। हाथियों ने घरों पर जमकर तोड़फोड़ की है। इससे पूरे गांव में हड़कंप मच गया है।
इस घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग के वाचर बलिगढ़ गांव पहुंचे। वहां गांव के निवासियों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था। ग्रामीणों ने वाचर को खदेड़कर गांव से भगा दिया। गांव के लोगों का कहना है कि वन विभाग की ओर से पहले से ही कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं गांव के मुखिया ने पीड़ितों के घर जाकर हालाचाल जाना और मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया।
हाथियों ने बर्बाद कर दी 50 एकड़ की फसल
एक दर्जन से ज्यादा किसानों की करीब 50 एकड़ से ज्यादा फसल को हाथियों ने रौंद कर बर्बाद कर दिया है। इससे किसानों के हाल-बेहाल हो गए हैं। गांव के रहने वाले दुर्गा सिंह, श्रवण भुइयां, रोमन भुइयां, श्रीराम भुइयां, सरयू सिंह, गिरवर सिंह, अकलू भुइयां, चंद्रमणि देवी आदि ने बताया कि रंका के ढेंगुरा जंगल से रात में करीब 10.30 बजे 35 हाथियों का झुंड गांव पहुंचा। अचानक पहुंचे हाथियों के चिंघाड़ने से ग्रामीणों ने अपने घरों से भागकर एक जगह पर एकत्रित होकर पक्के मकान के छत पर चढ़कर टीना, थाली बजाकर,टार्च जलाकर हाथियों के झुंड को भगाया। वहीं रात भर गांव के जागते रहे। ग्रामीणों की ओर से हाथियों को खदेड़ने के बाद हाथी खेतों की और लौटते समय फसलों को रौंदते हुए जंगलों की ओर निकल गए।
नई साड़ी और कंबल जलाकर हाथियों को भगाया
हाथियों के आतंक से परेशान गांव के 60 साल के गिरवर सिंह ने बताया कि जिस समय रात में हाथी आए थे। वो अपने घर पत्नी के साथ थे। अचानक हाथियों को देखते ही वो घर की दीवार के पास दुबक गए। हाथियों ने सूंड से उनके दरवाजे की कुंडी खोल दी। इसके बाद घर में घुसकर पूरे सामान को तहस-नहस कर दिया। ऐसे में हाथियों को भगाने के लिए गिरवर ने अपनी पत्नी की रखी नई साड़ी, रजाई और कंबलों को जला दिया। आग की लपटें देखते ही हाथी भाग गए। लेकिन जाते-जाते तगड़ा नुकसान पहुंचा गए। गिरवर ने बताया कि अगर पत्नी की साड़ी नहीं जलाते तो जान बचाना मुश्किल था। गांव के लोगों का कहना है कि पिछले कई दिनों से हाथियों का झुंड़ के गांव नजदीक तालाब में स्नान करने आता है।