केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कोर्ट को बताया है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष, 'गलत तरीक से लाभ' कमाने के लिए 'दूसरे सह-आरोपियों' के साथ मिलकर एक 'आपराधिक सांठगांठ' में शामिल थे। घोष उसी अस्पताल के प्रिंसिपल थे, जहां एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या हुई थी। CBI के मुताबिक, घोष ने मुर्शिदाबाद के दो वेंडर को ठेके दिए, जहां वह पहले तैनात थे। एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने अस्पताल में कैफे चलाने का ठेका अपने सुरक्षा अधिकारी की पत्नी को दिया।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह दलीलें 3 सितंबर को CBI की ओर से अलीपुर की विशेष अदालत के सामने दी गई थीं, जब घोष को तीन और लोगों: बिप्लब सिंघा, सुमन हाजरा और अफसर अली के साथ वहां पेश किया गया था। चारों फिलहाल सीबीआई की हिरासत में हैं।
News18 के मुताबिक, सीबीआई ने आरोप लगाया कि घोष ने अपने कामों से सरकार को नुकसान पहुंचाया। सीबीआई ने कहा, “अब तक की जांच के दौरान इकट्ठा किए गए सबूतों से यह पता चला है कि डॉ. संदीप घोष ने दूसरे सह-आरोपियों के साथ आपराधिक सांठगांठ में, अवैध तरीकों से, सरकार को गलत नुकसान पहुंचाया और खुद को और अन्य आरोपी व्यक्तियों को गलत लाभ पहुंचाया।"
जांच से पता चला कि घोष के वेंडर बिप्लब सिंह और सुमन हाजरा के साथ घनिष्ठ संबंध थे। वह 2016 से 2018 तक मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में तैनात थे। घोष को 2018 के अंत में कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया गया था।
वह फरवरी 2021 तक वहां रहे, जिसके बाद उन्होंने आर जी कर मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल का कार्यभार संभाला। सितंबर 2023 में, घोष मुर्शिदाबाद संस्थान में वापस चले गए।
लेकिन वह एक महीने के भीतर आरजी कर परिसर में लौट आए और 9 अगस्त की घटना तक वहीं रहे। उन्होंने 12 अगस्त को इस्तीफा दे दिया और उन्हें तुरंत कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में तैनात कर दिया गया।
हालांकि, कलकत्ता हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप किया और उन्हें छुट्टी पर भेज दिया। सीबीआई की गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था।