Himachal Political Crisis Live: हिमाचल प्रदेश विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने वित्त विधेयक पर सरकार के पक्ष में वोट डालने के पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने वाले कांग्रेस के 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। फिलहाल, सुखविंदर सिंह सुक्खू सीएम बने रहेंगे। इस बीच, 6 मेंबर की कॉर्डिनेशन कमेटी बनाई गई है, जो सरकार और पार्टी के बीच बातचीत कर समन्वय का काम करेगी
Himachal Political Crisis Highlights: हिमाचल प्रदेश राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 बागी कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया के अनुसार, बागी विधायकों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया है। स्पीकर ने कहा कि मैं घोषणा करता हूं कि छह विधायक तत्काल प्रभाव से हिम
Himachal Political Crisis Highlights: हिमाचल प्रदेश राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 बागी कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया के अनुसार, बागी विधायकों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया है। स्पीकर ने कहा कि मैं घोषणा करता हूं कि छह विधायक तत्काल प्रभाव से हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं रहेंगे। कांग्रेस विधायक और संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने दलबदल विरोधी कानून के तहत 6 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी।
अयोग्य ठहराए गए विधायकों में राजिंदर राणा, सुधीर शर्मा, इंदर दत्त लखनपाल, देविंदर कुमार भुट्टू, रवि ठाकुर और चेतन्य शर्मा हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बताया, "दलबदल विरोधी कानून के तहत 6 विधायकों के खिलाफ मुझे याचिका मिली थी...6 विधायक जिन्होंने चुनाव कांग्रेस से लड़ा और दलबदल विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ याचिका मिली...मैंने अपने 30 पेज के आदेश में काफी विस्तार से इसकी जानकारी दी है...मैंने उन 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है, अब वे हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं है।"
सीएम ने विधायकों को चाय पर बुलाया
कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में अपने 6 विधायकों के क्रॉस वोटिंग के बाद राज्य सरकार पर मंडराए खतरे को टालने के लिए बुधवार को कवायद शुरू की। पार्टी आलाकमान द्वारा भेजे गए तीन पर्यवेक्षकों ने शिमला में बैठकों का सिलसिला शुरू किया। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार सुबह शिमला में सभी कांग्रेस विधायकों की 'ब्रेकफास्ट मीटिंग' बुलाई है।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देने की पेशकश करके पार्टी की मुश्किलें और बढ़ा दीं। वहीं दूसरी ओर विधानसभा अध्यक्ष ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 15 विधायकों को निलंबित कर दिया। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार सुबह कहा कि वह मंत्रिपरिषद से अपना इस्तीफा सौंप रहे हैं, लेकिन कुछ घंटे बाद उन्होंने अपना रुख नरम कर लिया।
6 विधायकों ने की क्रॉस वोटिंग
कांग्रेस द्वारा शिमला भेजे गए केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ बैठक के बाद सिंह ने इस्तीफे के उनके प्रस्ताव को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा अस्वीकार करने का उल्लेख किया और पार्टी में एकता की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके मद्देनजर, उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वह अब इस्तीफे पर जोर नहीं दे रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्य सरकार कभी संकट में नहीं थी। यह संकट हिमाचल प्रदेश की एकमात्र सीट के लिए मंगलवार को हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग से उत्पन्न हुआ।
बीजेपी नहीं करा पाई मत विभाजन
बीजेपी बजट पर मत विभाजन चाहती थी क्योंकि पार्टी को लगा कि इससे यह बात सामने आ जाएगी कि कांग्रेस ने राज्य विधानसभा में अपना बहुमत खो दिया है। हालांकि दोपहर में संकट कुछ समय के लिए टल गया क्योंकि सदन ने वित्त विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया, जब भारतीय जनता पार्टी का कोई सदस्य मौजूद नहीं था। इसके बाद विधानसभाध्यक्ष ने सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने उन अटकलों को खारिज कर दिया कि वह इस्तीफा दे रहे हैं। सुक्खू ने पीटीआई से कहा, "न तो आलाकमान और न ही किसी और ने मुझसे इस्तीफा मांगा है।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार राज्य में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।
पूर्ण बहुमत के बावजूद हार गए सिंघवी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी को BJP के हर्ष महाजन ने मंगलवार को राज्यसभा चुनाव में ड्रॉ के जरिए हरा दिया। राज्य से राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए हुए चुनावों में इन दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले थे। इसके बाद चुनाव का विजेता ड्रॉ के जरिए घोषित किया गया।
इस परिणाम का मतलब यह था कि 14 महीने पहले विधानसभा में 40 सीटें जीतकर राज्य की सत्ता में आई कांग्रेस राज्यसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार को आसानी से जीत के लिए जरूरी मत नहीं दिला सकी। बजट अभी पारित होना बाकी था और विपक्षी बीजेपी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की आशंका मंडरा रही थी। बीजेपी ने 2022 में 68 सीटों वाले सदन में 25 सीटें जीती थीं। 3 निर्दलीय विधायक हैं, और क्रॉस-वोटिंग संकट उत्पन्न होने से पहले तक यह माना जाता था कि वे सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ थे।