भारत रत्न चौधरी चरण सिंह कांग्रेस के दबाव में कभी नहीं आए, सरकार चलाने के लिए सिद्धांतों को रखा सबसे ऊपर

Bharat Ratna Chaudhary Charan Singh: देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह साल 1979 में प्रधानमंत्री बने थे। उस समय कांग्रेस ने बाहर से समर्थन देकर प्रधानमंत्री बनवाया था। चरण सिंह ने कभी भी अपने सिद्धांतों पर कभी कोई समझौता नही किया। यहां तक कांग्रेस ने उनसे आपराधिक मामले हटाने के लिए दबाव भी बनाया। लेकिन कभी दबाव में नहीं आए

अपडेटेड Feb 12, 2024 पर 8:05 AM
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Bharat Ratna Chaudhary Charan Singh: चौधरी चरण सिंह को इस बात से बड़ी पीड़ा होती थी कि कुछ बड़े पत्रकार भी उन्हें तो ‘‘जाट नेता’’ लिखते हैं।

Bharat Ratna Chaudhary Charan Singh: कांग्रेस हाईकमान ने जब कुछ आपराधिक मुकदमे हटाने के लिए दबाव डाला तो दबाव में आने के बदले चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) ने प्रधान मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। बता दें कि सन 1979 में मोरारजी देसाई सरकार के पतन के बाद कांग्रेस ने बाहर से समर्थन देकर चरण सिंह को प्रधान मंत्री बनवाया था। लेकिन यह सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकी। इस संबंध में चरण सिंह ने अपनी स्थिति स्पष्ट की थी। उन्होंने कहा था कि ‘‘कुछ मित्रों ने तो 19 अगस्त, 1979 की रात के 9.30 बजे तक मुझसे कहा था कि चैधरी साहब, आप क्यों गलती कर रहे हैं? कह दीजिए मुकदमे वापस ले लेंगे। पर मैंने साफ कहा था कि आखिर राजनीति में भी तो कोई नैतिकता होती है। कुछ सिद्धांत होते हैं।

जनता पार्टी के दूसरे नेताओं और लोकदल घटक से संबंध रखने वाले मेरे साथियों को कुचलने का कुचक्र रचा तो हमलोग जनता पार्टी छोड़ने को मजबूर हुए थे। क्या राजनारायण जी ने आपके लिए समर्थन हासिल करने के लिए इंदिरा गांधी से मुलाकात की थी? इस सवाल के जवाब में चौधरी साहब ने कहा था कि ‘‘यह उन्हीं से पूछिए। मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता हूं।’’

इंदिरा गांधी से नहीं मांगा समर्थन


चौधरी चरण सिंह से तब पूछा गया था कि जब आप नेहरू वंश के इतने खिलाफ हैं तो फिर आपने इंदिरा गांधी से मिलकर जनता पार्टी क्यों तोड़ी और क्यों उनके सहयोग से अपनी सरकार बनाई? इस पर उन्होंने कहा था कि ‘‘यह बात सरासर झूठ और बदनाम करने वाली है। दरअसल मैंने न तो इंदिरा गांधी से समर्थन मांगा था और न बात की थी। अगर ऐसा होता तो मैं इंदिरा गांधी के खिलाफ जारी मुकदमे वापस लेकर आराम से कुर्सी पर टिका रह सकता था।’’ इतना ही नहीं, पूर्व प्रधान मंत्री चैधरी चरण सिंह यह भी कहा करते थे कि यदि जातिवाद खत्म करना है तो अंतरजातीय विवाह को मानना होगा। खुद उनकी बेटियों ने अंतरजातीय विवाह किया था। चरण सिंह यह भी कहते थे कि सरकार को यह कानून बनाना चाहिए कि सरकार में ऊंचे पद उन्हें ही मिले जो अंतरजातीय विवाह करें। पर, चरण सिंह के अनुसार जिनके हाथों में सत्ता रही है,वे स्वयं जातपात में विश्वास करते हैं।

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जाट नेता लिखने पर नाराजगी

चौधरी चरण सिंह को इस बात से बड़ी पीड़ा होती थी कि कुछ बड़े पत्रकार भी उन्हें तो ‘‘जाट नेता’’ लिखते हैं और नेहरू-इंदिरा को जातिवादी नहीं लिखते। एक मुलाकात में चरण सिंह ने सन 1981 में कहा था कि ‘‘मेरा दोष केवल यही है कि मैं जाट के घर पैदा हो गया हूं। अगर अपने को ऊंचा समझने वाली बिरादरी में पैदा हो गया होता तो ऐसा इल्जाम कोई नहीं लगाता। मुझे दुःख है कि इंदिरा गांधी और नेहरू पर जातिवाद फैलाने का इल्जाम कोई नहीं लगाता जबकि इस मुल्क में जातिवाद फैलाने के दोषी यही लोग हैं।

मेरी कैबिनेट में केवल एक जाट राज्य मंत्री था। जबकि इंदिरा गांधी के कैबिनेट में 10 मंत्री एक ही जाति के हैं। उन्हें कोई कुछ नहीं कहता। कुलदीप नैयर भी उसको जातिवाद नहीं लिखते। जबकि मुझे जाट नेता लिखा था। चरण सिंह ने कहा था कि सही बात यह है कि अखबार वालों ने ही मुझे जातिवादी कह कर बदनाम करते रहने के कुचक्र रचे हुए हैं। पर वे सारी जनता को बेवकूफ नहीं बना सकते। हां,कुछ समय के लिए देश को हानि जरूर पहुंचा सकते हैं।

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चरण सिंह ने ये भी कहा कि ‘‘मैंने प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू को सन 1954 में एक लंबा खत लिखकर जातिवाद की इस समस्या के समाधान के लिए एक सुझाव दिया था। परंतु वह उसके लिए तैयार नहीं हुए थे। इन्हीं भावनाओं ने देश का बंटवारा तक करा दिया। ऐसे ही जातिवादी लोगों ने चैधरी छोटू राम को छोटू खान कहा करते थे। मेरे तो जीवन की किताब खुली हुई है। आर्य समाजी होने के नाते मैं जन्मजात जातपात के खिलाफ रहा। सन 1932 से 1962 तक मेरा रसोइया अनुसूचित जाति का रहा। फिर भी यह तोहमत मुझ पर ही क्यों? याद रहे कि चैधरी चरण सिंह पहले यू.पी.के मुख्य मंत्री और बाद में देश के प्रधान मंत्री बने। वह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक प्रधान मंत्री रहे।

उन्होंने अपने ढंग से राजनीति की और सरकार चलाई।किसी के दबाव में नहीं आते थे। रुपये-पैसे के मामले में उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी पर उनके राजनीतिक विरोधी ने भी कभी कोई आरोप नहीं लगाया। वे उद्योगपतियों से चंदा तक नहीं लेते थे। चैधरी साहब पर तानाशाही का आरोप लगाकर उनके साथियों के एक -एक कर उनका साथ छोड़ने से संबंधित सवाल के जवाब में चरण सिंह ने कहा था कि जब गलत काम पर जिन पर जवाबदेही होगी तो कुछ न कुछ इल्जाम तो वे लगाएंगे ही।

चंद्रजीत यादव इंदिरा गांधी से साठगांठ करे जा रहे थे। पार्टी के आंदोलनों को उन्होंने कमजोर बनाया। नरेंद्र सिंह के खिलाफ उनके ही जिले के लोगों ने शिकायत की थी। दूसरे किसान सम्मेलन का ऑडिट चल रहा था। चैधरी ब्रहम प्रकाश दिल्ली पार्टी के अध्यक्ष बनना चाहते थे जिसके लिए मैं राजी नहीं हुआ। मैं गलत कामों का विरोध करता हूं। इसलिए ऐसे लोग साथ छोड़ते जाते हैं।

Surendra Kishore

Surendra Kishore

First Published: Feb 11, 2024 4:10 PM

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