देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की शक्तियों में इजाफा कर दिया है। अब दिल्ली के एलजी राजधानी में किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या वैधानिक निकाय के सदस्यों को बनाने और नियुक्त कर सकते हैं। गृह मंत्रालय ने इस मामले में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह फैसला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 के तहत लिया गया है। इससे पहले यह अधिकार दिल्ली सरकार के पास थे। गृह मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रपति ने उपराज्यपाल को संसद की ओर से दिल्ली के लिए बनाए गए कानूनों के तहत अहम फैसला लिया है। ऐसे में ये तय माना जा रहा कि इस मुद्दे पर सियासी पारा चढ़ेगा।
केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली नगर निगम (MCD) की 12 वार्ड समितियों के चुनाव आज (4 सितंबर) ही होंगे। उपराज्यपाल वीके सक्सेना के निर्देश पर MCD के आयुक्त अश्वनी कुमार ने सभी वार्ड समितियों के चुनाव कराने के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं। उन्होंने MCD के सभी जोन के उपायुक्तों को पीठासीन अधिकारी बनाया है।
बढ़ेगी उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार की तकरार
राष्ट्रपति के नए आदेश से उपराज्यपाल और राजधानी में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी सरकार के बीच नए सिरे से टकराव शुरू होने की संभावना है। पिछले साल राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 को अपनी मंजूरी दे दी थी।
जानिए नोटिफिकेशन में क्या है
इसमें कहा गया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल राष्ट्रपति के नियंत्रण के अधीन रहते हुए और अगले आदेशों तक उक्त अधिनियम की धारा 45 D के खंड (K) के अधीन राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं। इसके तहत वह किसी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी वैधानिक निकाय के गठन कर सकेंगे। चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए। इसके अलावा वह ऐसे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी वैधानिक निकाय में किसी सरकारी अधिकारी या पदेन सदस्य की नियुक्ति कर सकेंगे।
MCD में सीधे पार्षद नियुक्त कर सकते हैं LG
दिल्ली के उपराज्यपाल MCD में सीधे पार्षद नियुक्त कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें दिल्ली सरकार से सलाह लेना जरूरी नहीं है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में था। 5 अगस्त को कोर्ट ने कहा कि दिल्ली नगर निगम में 10 मेंबर नॉमिनेट करने के उपराज्यपाल (LG) के फैसले को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह की आवश्यकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल के 10 एल्डरमैन नियुक्त करने के फैसले को बरकरार रखा था। दरअसल, LG विनय कुमार सक्सेना की ओर से इस साल 1 और 4 जनवरी को ऑर्डर और नोटिफिकेशन जारी करके 10 एल्डरमैन (मेंबर) की नियुक्ति की गई थी। इसके फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
दो महीने पहले जम्मू-कश्मीर के LG के पावर बढ़ाए गए थे
केंद्र सरकार ने इसी साल 13 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) की प्रशासनिक शक्तियां बढ़ा दी थीं। दिल्ली की तरह अब जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार LG की मंजूरी के बिना अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर नहीं कर सकेगी। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत बदले हुए नियमों को नोटिफाई किया। जिसमें LG को ज्यादा ताकत देने वाली धाराएं जोड़ी गईं। उपराज्यपाल के पास अब पुलिस, कानून व्यवस्था और ऑल इंडिया सर्विस (AIS) से जुड़े मामलों में ज्यादा अधिकार होंगे।