Manish Sisodia Bail: सुप्रीम कोर्ट ने कथित दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के सीनियर नेता मनीष सिसोदिया को आखिरकार जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार एवं मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में शुक्रवर (9 अगस्त) को आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर बड़ा फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने 6 अगस्त को सिसोदिया की याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 530 दिन यानी 17 महीने से ज्यादा समय तक जेल में रहने के बाद मनीष सिसोदिया अब तिहाड़ से बाहर आएंगे।
मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण एवं कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं में संलिप्तता के लिए 26 फरवरी, 2023 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गिरफ्तार किया था।
इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें 9 मार्च 2023 को सीबीआई की FIR से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने जमानत का अनुरोध करते हुए तर्क दिया था कि वह 17 महीने से हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई अभी तक शुरू नहीं हुई है।
सुप्रीम कोर्ट से मनीष सिसोदिया के वकील ऋषिकेश कुमार ने पत्रकारों को बताया, "...इस बात को ध्यान में रखते हुए कि 17 महीने की जेल मनीष सिसोदिया काट चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जैसा ED ने कहा था कि ये ट्रायल 6-8 महीने में खत्म हो जाएगा, वो होता नहीं दिख रहा...ED का आरोप खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने ट्रायल में देरी नहीं की... सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत दी है। ये ऐतिहासिक फैसला है।"
CBI-ED दोनों मामलों में मिली जमानत
मनीष सिसोदिया कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में गिरफ्तार होने के बाद 17 महीने से हिरासत में थे। शीर्ष अदालत ने कहा कि आवेदक के त्वरित सुनवाई के अधिकार को नकार दिया गया है। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने 6 अगस्त को सिसोदिया की याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जस्टिस गवई ने सिसोदिया की अपील स्वीकार करते हुए कहा, "दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को रद्द किया जाता है और अलग रखा जाता है। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) दोनों मामलों में जमानत दी जाती है।"
ED और CBI ने उनकी जमानत याचिका का विरोध किया है। प्रवर्तन निदेशालय ने शीर्ष अदालत के समक्ष दावा किया कि एजेंसी के पास ऐसे दस्तावेज हैं, जो कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में सिसोदिया की गहरी संलिप्तता का प्रमाण देते हैं।
मनीष सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि वह 17 महीने से हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है। ईडी और सीबीआई ने उनकी जमानत याचिकाओं का विरोध किया।
मामले में बहस के दौरान शीर्ष अदालत ने सीबीआई और ईडी से पूछा था कि वे इन मामलों में 'सुरंग का अंत' कहां देखते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा था कि दोनों मामलों में कुल 493 गवाह थे और जांच एजेंसियों से पूछा कि मुकदमे को पूरा करने में कितना समय लगेगा।
जांच एजेंसियों की ओर से पेश हुए विधि अधिकारी ने कहा था कि सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज किए गए प्रत्येक मामले में आठ महत्वपूर्ण गवाह थे। विधि अधिकारी ने कहा था कि सिसोदिया का यह दावा सही नहीं है कि इन मामलों में देरी जांच एजेंसियों के कारण हुई है।