जब डर गया था डॉन मुख्तार अंसारी! जेल में बंद साथियों की हो रही थी हत्या, सुप्रीम कोर्ट से लगाई थी गुहार
दिसंबर में मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई रिट याचिका में जीवा और मुन्ना बजरंगी की हत्याओं का भी जिक्र किया गया था। रिट याचिका के जवाब में उप्र सरकार ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि "जरूरत के हिसाब से सुरक्षा बढ़ा दी जाएगी। अंसारी ने घबराहट के मारे UP से बाहर किसी और जेल में शिफ्ट करने की मांग की थी
बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की बृहस्पतिवार को दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ने से वहां के एक मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उत्तर प्रदेश में साल 2018 से न्यायिक हिरासत में कम से कम चार करीबी साथियों की हत्या से माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को मौत का डर सताने लगा था। मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी (Umar Ansari) ने जेल में अपने पिता की "हत्या" की आशंका जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका भी दायर की थी।
साल 2017 में उत्तर प्रदेश में BJP की सरकार के सत्ता में आने के बाद मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू हो गया। अंसारी के खिलाफ 60 से ज्यादा मामले दर्ज थे।
मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या से घबरा गया अंसारी
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के एक साल बाद मऊ से पांच बार विधायक रहे, अंसारी को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के आरोपी प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई।
झांसी जेल से बागपत जेल लाए जाने के एक दिन बाद बजरंगी की नौ जुलाई, 2018 को एक दूसरे गैंगस्टर सुनील राठी ने जेल में ही हत्या कर दी थी।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, सनसनीखेज हत्या के बाद मुख्तार अंसारी घबरा गया और उसके वकील उसे उत्तर प्रदेश से बाहर की जेल में शिफ्ट करवाने की कोशिश करने लगे। जनवरी 2019 में उसे जबरन वसूली के एक मामले में पंजाब में पेश किया गया, जहां से उसको रोपड़ जेल ले जाया गया था।
दो साल तक रोपड़ जेल में रहा
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अंसारी को वापस भेजने के लिए कम से कम 23 रिमाइंडर पंजाब सरकार को दिए गए। बार-बार कोशिशों के बावजूद मुख्तार लगभग दो सालों तक रोपड़ जेल में रहा।
अधिकारियों के अनुसार, ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार उसकी मेडिकल कंडिशन का हवाला देकर रोपड़ जेल से उसकी शिफ्टिंग को टालती रही।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अप्रैल 2021 में अंसारी को आखिरकार उत्तर प्रदेश वापस लाया गया और बांदा जेल भेज दिया गया।
UP की जेल में आते ही मारे गए दो और साथी
अंसारी के वापस लौटने के कुछ ही हफ्ते बाद उसके दो सहयोगियों मेराजुद्दीन और मुकीम काला की चित्रकूट जेल के अंदर एक दूसरे गैंगस्टर ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। दोनों की हत्या करने वाले गैंगस्टर अंशु दीक्षित को भी पुलिस ने मार गिराया था।
पिछले साल जून में मुख्तार अंसारी के एक और सहयोगी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की एक हमलावर ने लखनऊ में अदालत परिसर के अंदर दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी।
संजीव माहेश्वरी के खिलाफ BJP विधायक ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या समेत 26 मामले दर्ज थे। विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में मुन्ना बजरंगी और संजीव भी मुख्तार अंसारी के साथ सह-आरोपी थे।
साथियों की मौत का हवाला देकर SC से लगाई गुहार
पिछले साल दिसंबर में उमर अंसारी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई रिट याचिका में जीवा और मुन्ना बजरंगी की हत्याओं का भी जिक्र किया गया था। यह आशंका जताते हुए कि राज्य सरकार बांदा जेल में उनके पिता की 'हत्या' करने की योजना बना रही है, उमर अंसारी ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश के बाहर किसी दूसरी जेल में शिफ्ट करने की अपील की थी।
रिट याचिका के जवाब में उप्र सरकार ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि "जरूरत के हिसाब से सुरक्षा बढ़ा दी जाएगी", ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हिरासत में रहने के दौरान मुख्तार अंसारी को कोई नुकसान न हो।
दूसरी ओर सरकार ने बनाए रखा दबाव
जब उसके साथी मारे जा रहे थे, तो राज्य सरकार ने मुख्तार पर दबाव बनाए रखा। पुलिस हेडक्वार्टर की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, पुलिस ने अंसारी से जुड़े 292 लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की। दिसंबर 2023 तक इनमें से कई सहयोगियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया, जबकि 186 को गिरफ्तार किया गया।
अधिकारियों के अनुसार, सरकार ने राज्य भर में मुख्तार अंसारी या उसके साथियों से जुड़ी करोड़ों की संपत्तियों को भी जब्त कर लिया और उसके आपराधिक साम्राज्य का समर्थन करने वालों की अवैध कमाई को भी जब्त कर उसके आर्थिक नेटवर्क को भी ध्वस्त कर दिया।