Assam ends VIP Culture: असम में दशकों पुराना वीआई कल्चर खत्म होने वाला है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने रविवार 16 जून को ऐलान किया कि राज्य सरकार अब अपने अधिकारियों के घरों पर खपत होने वाली बिजली का बिल नहीं भरेगी। सिर्फ सरकारी अधिकारियों के ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के घर के भी बिल का खर्च अब राज्य के सरकारी खजाने से नहीं भरा जाएगा। असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि टैक्सपेयर के पैसों से सरकारी अधिकारियों के बिजली के बिल भरने का वीआईपी कल्चर खत्म होने जा रहा है। उन्होंने यह ऐलान उसी दिन की जब असम सचिवालय अपने कैंपस में 2.5 मेगावाट की सोलर पावर प्रोजेक्ट के उद्घाटन के साथ देश का पहला ग्रीन स्टेट गवर्नमेंट हेडक्वार्टर बन गया।
1 जुलाई से मुख्यमंत्री खुद भरेंगे अपना बिजली बिल
55 वर्षीय बीजेपी नेता हिमंता ने कहा कि सरकारी खजाने पर निजी बिजली बिल का भार अब नहीं पड़ेगा और इसकी शुरुआत वह और राज्य के मुख्य सचिव खुद से करेंगे। मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि 1 जुलाई से वह और मुख्य सचिव अपना बिजली बिल अपनी जेब से भरेंगे। जुलाई 2024 से सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने बिजली का खर्च खुद वहन करना होगा।
आम लोगों पर नहीं पड़ेगा महंगी बिजली का भार
असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रियों और हाई रैंकिंग के सरकारी अधिकारियों के बिजली का बिल सरकारी खजाने से भरा जाता है और यह 75 वर्षों से चला आ रहा है। हालांकि अब यह व्यवस्था बदलने जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बिजली बोर्ड को मौजूदा वीआईपी संस्कृति के कारण होने वाले घाटे के बदले बिजली शुल्क में बढ़ोतरी न करनी पड़े। उन्होंने कहा कि उन्हें तीन साल से मुफ्त में बिजली मिल रही थी, लेकिन उन्हें इसका पता नहीं था। इसके बारे में हाल ही में एक चर्चा के दौरान पता चला। असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि अब जुलाई से जो नया सिस्टम होगा, उससे उम्मीद है कि बिजली बोर्ड को मदद मिलेगी।