Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या बन रहा देश का नया आर्थिक केंद्र, राम मंदिर से पहले शहर में दौड़ी विकास की लहर
अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Temple) का निर्माण केवल आस्था और आध्यात्म का ही प्रमाण नहीं है। बल्कि यह सरयू नदी के तट पर बसे इस शहर में एक अहम आर्थिक बदलाव भी ला रहा है। ये बदलाव अयोध्या को देश के एक प्रमुख आर्थिक केंद्र के रूप में बदल रहे हैं। एक्सपर्ट्स का अुनमान है कि करीब 50,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बिजनेस देखने को मिल सकता है
Ram Temple in Ayodhya: राम मंदिर हर दिन 70,000 से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर सकें
अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Temple) का निर्माण केवल आस्था और आध्यात्म का ही प्रमाण नहीं है। बल्कि यह सरयू नदी के तट पर बसे इस शहर में एक अहम आर्थिक बदलाव भी ला रहा है। ये बदलाव अयोध्या को देश के एक प्रमुख आर्थिक केंद्र के रूप में बदल रहे हैं। टूरिज्म डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने बताया, "अयोध्या में विकास और नई परियोजनाओं को लेकर जो उत्साह की लहर है, उससे पूरे उत्तर प्रदेश के विकास को भी बढ़ावा मिल रहा है।" टूरिज्म डिपार्टमेंट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में अयोध्या आने वाले पर्यटकों की तेजी से बढ़ी है। साल 2021 में करीब सवा तीन लाख लोग अयोध्या आए थे, जो 2022 में आश्चर्यजनक रूप से बढ़कर 2.39 करोड़ हो गई। फिर 2023 में यह संख्या बढ़कर 31.5 करोड़ हो गई, जैसा कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा, “22 जनवरी को श्री रामलला की प्रतिष्ठा (Ram Mandir Pran Pratistha) के बाद, दुनिया के टूरिस्ट मैप में अयोध्या सबसे विकसित और भव्य टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनकर उभरेगा। हमारी डबल इंजन सरकार प्रदेश के सभी धार्मिक पर्यटन स्थलों के विकास पर सक्रियता से काम कर रही है।" उन्होंने आगे कहा, "अयोध्या अब एक 'नई अयोध्या' के रूप में उभर रही है। अब यह शहर सिर्फ आध्यात्मिक और भावनात्मक महत्व तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्यटन के भी एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। हाल में ही शहर को इंटरनेशनल एयरपोर्ट का दर्जा दिया गया है, जिससे दुनिया भर से टूरिस्ट यहां आ सकेंगे।"
इसका आर्थिक असर भी काफी देखने को मिलेगा। एक्सपर्ट्स का अुनमान है कि करीब 50,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बिजनेस देखने को मिल सकता है, जो प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए पूरे देश के उत्साह को दिखाता है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 दिसंबर को, अयोध्या को कई विकास परियोजनाएं समर्पित कीं और 15,000 करोड़ रुपये से अधिक के कार्यों की नींव रखी, जो अयोध्या को एक रिजनल ग्रोथ हब बनाएगा।
अयोध्या के पुनर्विकास का महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट (मास्टर प्लान 2031) 10 सालों में पूरा होने की उम्मीद है। इसके तहत 85,000 करोड़ से अधिक का शहर में निवेश किया जाएगा। शहर में निवासियों और पर्यटकों का अनुपात 1:10 के रेशियों में रहने का अनुमान लगाया गया है।
लखनऊ के एक टूर ऑपरेटर कमलेश सिंह ने बताया, “अयोध्या में टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। राम मंदिर के उद्घाटन के बाद यह शहर आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र बन सकता है। हमारा मानना है कि साल 2024 के अंत टूरिज्म इंडस्ट्री में 10 गुना तक उछाल आ सकती है, जो अयोध्या को एक ग्लोबल आध्यात्मिक केंद्र बना देगा।”
टूर ऑपरेटरों का कहना है अयोध्या और बनारस जाने वाले पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। साल 2024 के लिए बुकिंग में 100 प्रतिशत से अधिक का आश्चर्यजनक उछाल देखा जा रहा है। मनोज सिंह नाम के एक टूर ऑपरेटर ने बताया कि यूपी के ट्रेवल इंडस्ट्री और टूरिज्म में एक बूम आया है और 2019 में कोरोना के चलते पर्यटकों की संख्या में आई गिरावट के बाद ऐसे एक उछाल की जरूरत थी।
मनोज सिंह ने बताया किया कि उनकी कंपनी केरल और तमिलनाडु तक के श्रद्धालुओं को अयोध्या के लिए टूर पैकेज मुहैया करा रही है। उन्होंने बताया कि 5 दिन और 4 दिन वाले पैकेज की न्यूनतम लागत 15,000 रुपये प्रति व्यक्ति है, जिसमें ट्रैवल का खर्चा शामिल नहीं है। सिंह ने जोर देकर कहा कि पैकेज के लिए न्यूनतम खर्च की राशि जरूर है, लेकिन अधिक खर्च करने के इच्छुक लोगों के लिए कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
23 जनवरी से 23 सितंबर तक कुल 2,03,64,347 पर्यटक अयोध्या आए। इनमें घरेलू पर्यटकों की संख्या 2,03,62,713 थी, जबकि 1,634 विदेशी पर्यटक थे। पर्यटकों की संख्या बढ़ने से टूर ऑपरेटरों को 150 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होने का अनुमान है। एक हजार से अधिक छोटे और बड़े ट्रैवल एजेंट लखनऊ, बनारस और प्रयागराज जैसे शहरों में काम कर रहे हैं।
श्री राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष, नृपेंद्र मिश्रा को उम्मीद है कि राम मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या के आसपास के इलाकों में आर्थिक गतिविधियां और यह काफी हद तक दिल्ली-एनसीआर की तरह शहर का विस्तार हो सकता है।
राम मंदिर समिति भक्तों की भावनाओं को ध्यान रखते हुए यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि हर दिन 70,000 से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर सकें। पद्मनाभ स्वामी, तिरूपति बालाजी, वैष्णोदेवी, सिद्धिविनायक और काशी विश्वनाथ जैसे प्रसिद्ध मंदिरों की तरह अयोध्या भी भक्तों के लिए परिसर में तमाम व्यवस्थाएं कर रही है, जिससे उन्हें दर्शन में आसानी हों।
अयोध्या में 5 अगस्त 2020 को भूमिपूजन होने के बाद से ही उल्लेखनीय बदलाव आया है। शहर में रामपथ, भक्ति पथ और दर्शन पथ के निर्माण सहित हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाएं चल रही हैं। इनका उद्देश्य रामलला के दर्शन की सुविधा को आसान बनाना है। इसके साथ की अयोध्या की समृद्ध धार्मिक विरासत को सामने लाने के लिए कई अन्य मंदिरों का भी नवीनीकरण किया जा रहा है, जिससे पर्यटक अधिक समय तक अयोध्या में रुकें। 84 कोसी परिक्रमा मार्ग और उससे जुड़े लगभग 60 धार्मिक स्थलों की योजना का भी प्रस्ताव चरण में है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, लखनऊ के प्रोफेसर देवाशीष दास गुप्ता अयोध्या में दक्षिण भारतीय मंदिरों जैसा मॉडल लागू करने की वकालत करते हैं। उन्होंने कहा, "यह मॉडल भक्तों की सुविधा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और स्थानीय कुटीर उद्योगों को प्राथमिकता देता है। इससे श्रद्धालुओं के शानदार अनुभव मिलने के साथ स्थानीय वस्तुओं को भी बढ़ावा मिलता है।"
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के नेशनल सीनियर वाइस-प्रेसिडेंट, दिनेश गोयल ने को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियों के चलते देश में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार का अनुमान है। वह देश की इकोनॉमी में एक अहम योगदान देने वाले शहर के रूप में भी अयोध्या में जबरदस्त संभावनाएं देखते हैं।
गोयल ने कहा, “अयोध्या में बढ़ती रुचि केवल आध्यात्मिक महत्व तक ही सीमित नहीं है। बल्कि रामलला से जुड़े उत्पादों की देश भर में लोकप्रियता में भी यह दिखाई दे रहा है। इन उत्पादों में श्रीराम झंडा, अंगवस्त्र, मालाएं, लॉकेट, चाबियां, राम दरबार की तस्वीरें, राम मंदिर के मॉडल, सजावटी पेंडेंट, चूड़ियां आदि शामिल हैं।” उन्होंने कहा, "देश भर की बिजनेस संस्थाएं इन अवसरों का लाभ उठा रही हैं, और अयोध्या की पहचान को पूरे देश के कंज्यूमर्स के साथ जोड़ने की कोशिश कर रही हैं"।