Covid-19: कोरोना वायरस महामारी पूरी दुनिया से खत्म होने के नाम नहीं ले रही है। इसके नए-नए वेरिएंट्स पूरी दुनिया में कहर ढा रहे हैं। इस बीच इससे निपटने के लिए वैक्सीन भी बनाई गई। इसके बाद बूस्टर डोज देने पर भी जोर दिया जा रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनिजेशन (World Health Organization -WHO) के चीफ साइंटिस्ट सौम्य स्वामीनाथन (Soumya Swaminathan) ने कहा है कि हर 4 से 6 महीने में कोरोना वायरस की लहरें आती रहती हैं।
स्वामीनाथन ने कहा है कि खासतौर से कमजोर लोगों के लिए वैक्सीन की तीसरी डोज यानी बूस्टर डोज बेहद जरूरी है। बूस्टर शॉट पर जोर देते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research -ICMR) के पूर्व चीफ ने कहा है कि जिन लोगों में संक्रमण की आशंका ज्यादा है। उनके लिए बूस्टर शॉट बेहद जरूरी है।
भारत में तेजी से पांव पसार रहा है कोरोना संक्रमण
उन्होंने कहा, हर 4 से 6 महीने में देखा जा रहा है कि संक्रमण बढ़ता है। भारत में भी इन दिनों लगातार संक्रमण बढ़ने लगा है। जून महीने की शुरुआत से ही ट्रेंड ऊपर की ओर दिखायी दे रहा है। भारत में मंगलवार को 6594 नए मामले सामने आए हैं। इस समय देश में एक्टिव केस बढ़कर 50,548 हो गए हैं। टॉप साइंटिस्ट ने कहा कि कोरोना के बढ़ते ट्रेंड के पीछ कई वजहें हैं। फिलहाल देश में महाराष्ट्र, दिल्ली, केरल, कर्नाटक में सबसे ज्यादा नए कोरोना संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं।
BA.4 और BA.5 ज्यादा तेजी से फैलता है
स्वामीनाथन ने कहा कि ओमीक्रोन के सब वेरिएंट BA.4 और BA.5 वेरिएंट तेजी से फैलता है। इसके अलावा कोरोना बढ़ने के पीछे लोगों को व्यवहार भी है। केस कम होते ही लोग एहतियात बरतना छोड़ देते हैं। इसके अलावा भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रम होने लगे हैं। लोगों ने मास्क पहनना भी कम कर दिया है। ऐसे में कोरोना के मामले फिर बढ़ने लगे हैं। ऐसे हालात देखते हुए वैक्सीन की तीसरी डोज यानी बूस्टर डोज बेहद जरूरी हो गया है।
कितने लोग ले चुके हैं बूस्टर डोज
आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 60 साल के ऊपर के 15 फीसदी लोगों को बूस्टर डोज लग गई है। वहीं 45 से 59 साल के बीच के 1 फीसदी लोगों को बूस्टर डोज लगी है। कुछ राज्यों में 18 साल के ऊपर के लोगों को ज्यादा बूस्टर डोज दी गई है। लद्दाख में 31 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 10 फीसदी, अंडमान नीकोबार में 9 फीसदी, लक्षद्वीप, सिक्किम और दिल्ली में लगभग 8 फीसदी लोगों को बूस्टर डोज दी जा चुकी है। तमिलनाडु और झारंखंड में सबसे कम लोगों को बूस्टर डोज दी गई है।