Doglapan Book Review: अशनीर ग्रोवर ने कई स्याह राज से उठाया है परदा और खुद को हीरो बनाया है
Doglapan Book Review: अशनीर ग्रोवर चीजों को जिस तरह देखते हैं उससे एक कॉमिक रिलीफ मिलता है। उदाहरण के तौर पर वह कहते हैं कि उन्होंने MBA कोचिंग के लिए कैलाश कॉलोनी इसलिए चुना था क्योंकि वहां लड़कियां ज्यादा खूबसूरत थीं। और यहीं वह अपनी पत्नी माधुरी जैन से मिले।
अगर आप BharatPe की पूरी कहानी को अशनीर ग्रोवर के नजरिए से समझना चाहते हैं तो दोगलापन नाम की यह किताब पढ़ सकते हैं।
अशनीर ग्रोवर की किताब दोगलापन (Doglapan) रिलीज होने से पहले ही बेस्टसेलर बन चुकी थी। सबको इस बात का इंतजार था कि आखिरी उन्होंने अपनी किताब में क्या राज खोले हैं। अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) ने अपनी किताब में भी बड़ी बेबाकी से अपनी बात रखी है। उन्होंने बिना लाग-लपेट के लिखा है, 'अगर आप अपने जीवनसाथी के साथ काम करने का फैसला करते हैं तो उन्हें को-फाउंडर्स के तौर पर बोर्ड में जगह देने में हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।' 'यह याद रखना भी बहुत जरूरी है कि निवेशक भी सिर्फ एक वेंडर की तरह है।' और उन्होंने ये भी लिख दिया है कि "मेरी राय में भारत में रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन का कॉनसेप्ट एकदम गैरवाजिब है।"
वैसे तो अशनीर ग्रोवर कभी खुदके गलत होने की बात नहीं कहते लेकिन 'दोगलापन' किताब में उन्होंने साफ तौर पर लिखा है, "रजनीश कुमार (SBI के पूर्व चेयरमैन) हायरिंग के मामले में मेरी चौथी गलती थे। इससे पहले मेरी तीन गलतियां CEO के तौर पर सुहैल समीर, CHRO के तौर पर जसनीत और GC के तौर पर सुमीत सिंह की नियुक्ति थी।" "मैंने सिकोइया को लिखा कि उन्हें इन कुत्तों को हटाना चाहिए। इसके बाद शैलेंद्र सिंह ने मिकी मल्का (Ribbit Capital) को कहा कि मेरा कद उनसे ज्यादा बड़ा हो रहा है।" ग्रोवर ने ये भी लिख दिया कि, "खुद को सबसे पहले रखो। सेकेंडरी मार्केट में जब भी मौका मिले अपनी हिस्सेदारी बेचो।"
अपनी किताब के हीरो हैं अशनीर ग्रोवर
यह समझना मुश्किल नहीं है कि अशनीर ग्रोवर ने अपनी किताब का नाम दोगलापन: द हार्ड ट्रुथ अबाउट लाइफ एंड स्टार्टअप्स (Doglapan: The Hard Truth about Life and Start-Ups) क्यों रखा है। किताब की मांग का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पब्लिश होने से पहले ही यह एमेजॉन पर बेस्टसेलर हो चुकी है। पवित्र और पॉलिटिकली करेक्ट माने जाने वाले इंडिया इंक के गलियारों के लिए अशनीर ग्रोवर का यह संस्मरण सिलेबस से बाहर का चैप्टर है। कई भारतीय आंत्रप्रेन्योर्स यहां तक कि कुछ नए जमाने वाले भी सार्वजनिक तौर पर ऐसा कुछ कहने से बचते हैं ताकि उनके शेयरहोल्डर्स-चाहे मौजूदा निवेशक हों या संभावित इनवेस्टर्स, रेगुलेटर्स हो या कस्टमर और कर्मचारी -नाराज ना हों।
भारतीय स्टार्टअप्स की दुनिया में Bad Boy से मशहूर अशनीर ग्रोवर रूल बुक के हिसाब से नहीं चलते हैं। पिछले साल रियल्टी शो The Shark Tank-India में अशनीर ग्रोवर ने अपनी पहचान एक बेबाक, कठोर, सीधी बात करने वाले के तौर पर बनाई है। BharatPe से बेदखल किए गए को-फाउंडर और MD अशनीर ग्रोवर ने 185 पन्नों वाली अपनी किताब को विवादास्पद, उत्तेजक और सर्वश्रेष्ठ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अशनीर ग्रोवर ने एक कामयाब कंपनी से निकाले जाने के लिए कई लोगों को दोषी करार दिया है।
कहां से आया ये शब्द Doglapan
अशनीर ग्रोवर ने दोगलापन शब्द का इस्तेमाल The Shark Tank रियल्टी शो में किया था। अगर आप निवेशकों के भीतर झांकना चाहते हैं, वैल्यूएशन के चक्कर और फाउंडर के अंहकार को समझना चाहते हैं तो 'दोगलापन' किताब आपको जरूर पढ़ना चाहिए।
अशनीर ग्रोवर और BharatPe के बीच का संघर्ष की कहानी अब किसी से छिपी नहीं है। इस साल की शुरुआत में BharatPe के CEO और को-फाउंडर अश्नीर ग्रोवर और उनकी पत्नी माधुरी जैन को कॉरपोरेट गवर्नेंस में गड़बड़ी के आरोप में कंपनी से निकाल दिया गया था। BharatPe में सिकोइया और रिबिट (Ribbit) का इनवेस्टमेंट है। हालांकि तब तक अशनीर ग्रोवर पहले ही विवादों में घिर चुके थे। शार्क टैंक शो में अपने कड़वे बोल की वजह से पूरा भारत उन्हें पहचान चुका था। BharatPe में अशनीर ग्रोवर की हिस्सेदारी 8.43% है जिसकी वैल्यू करीब 24 करोड़ डॉलर बैठती है।
BharatPe में फिर शुरू हुआ बवाल
पिछले हफ्ते BharatPe ने वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए अशनीर ग्रोवर और उनकी पत्नी माधुरी जैन पर तीन केस किए थे। इनमें से एक मामला अशनीर ग्रोवर से BharatPe के फाउंडर का टाइटल छीनने का था। एक मामला रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन से जुड़ा हुआ है। कंपनी ने माधुरी जैन पर आरोप लगया है कि उन्होंने कुछ ऐसे वेंडर्स को पेमेंट किए हैं जिन्होंने कंपनी को कोई सर्विस ही नहीं दी थी। यह पेमेंट सिर्फ वेंडर्स और ग्रोवर दंपत्ति के साथ करीबी संबंध के कारण की गई थी।
अशनीर ग्रोवर ने अपनी किताब में साफ लिखा है कि पत्नी को को-फाउंडर और बोर्ड में शामिल करना चाहिए। इतना ही नहीं वह रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन का समर्थन भी करते हैं। इस किताब में अशनीर के कड़वे अनुभव साफ-साफ नजर आ रहे हैं। क्योंकि अशनीर ने जो कंपनी शुरू की और जिन प्रोफेशनल्स को हायर किया उन्होंने ही मिलकर उन्हें कंपनी से बेदखल कर दिया।
अशनीर ने यह किताब लिखी है और अपनी कहानी के बेशक हीरो वही हैं। अशनीर ने अपने जीवन के बारे में बताते हुए लिखा है कि कैसे उन्हें हर मोड़ पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। फिर चाहे दिल्ली के मालवीय नगर में उनका बचपन, एक मिडिल क्लास परिवार में पलना-बढ़ना, या फिर IIT दिल्ली और IIM A जैसे प्रमुख संस्थानों से पढ़ाई करना। इसके बाद कोटक, ग्रोफर्स और BharatPe में उनका कार्यकाल भी आसान नहीं रहा।
अशनीर ग्रोवर अपने मुंह मियां मिट्ठू
अशनीर ने अपनी किताब में शुरुआती कठिनाइयों के बारे में बताते हुए अपनी पीठ थपथपाते हैं। अपनी बात सख्ती से रखते हुए वह शिकायत करते हैं कि उन्हें जितनी अहमियत मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिल पाई। उनकी किताब से साफ है कि पैसा अशनीर ग्रोवर के लिए बड़ा मोटिवेशन है। उन्होंने कोटक में इनवेस्टमेंट बैंकर के तौर पर मिले CTC और बोनस के बारे में बताया है। इसके साथ ही ग्रोफर्स (अब ब्लिंकइट) और BharatPe की अपनी सैलरी के बारे में बताते हैं।
हालांकि अशनीर ग्रोवर चीजों को जिस तरह देखते हैं उससे एक कॉमिक रिलीफ मिलता है। उदाहरण के तौर पर वह कहते हैं कि उन्होंने MBA कोचिंग के लिए कैलाश कॉलोनी इसलिए चुना था क्योंकि वहां लड़कियां ज्यादा खूबसूरत थीं। और यहीं वह अपनी पत्नी माधुरी जैन से मिले।
अपनी किताब में जब वह Zomato के CEO दीपिंदर गोयल के बारे में बात करते हैं तो बताते हैं कि कैसे IIT दिल्ली के पूर्व छात्र उन्हें अपना आदर्श मानते थे। वह लिखते हैं, "दीपिंदर ने Zomato की शुरुआत की थी और अलबिंदर ने अलग होकर ग्रोफर्स शुरू किया। और मैंने BharatPe शुरू करने के लिए ग्रोफर्स छोड़ा। स्टार्टअप की वंशावली को देखें तो दीपिंदर हमारा दादा और मैं उनका पोता हूं। उन्होंने ये भी बताया कि तीनों को बड़ी कारों का शौक है।"
अशनीर ग्रोवर ने सिकोइया कैपिटल इंडिया के हर्षजीत सेठी के बारे में बताते हैं कि जब उसने औपचारिक ढंग से अंग्रेजी में बात करनी शुरू की तो मैं समझ गया कि कुछ गड़बड़ होने वाला है।
अशनीर ग्रोवर ने सिकोइया कैपिटल पर आरोप लगाया है कि उनकी वजह से ही उन्हें BharatPe से बाहर निकाला गया। और सिकोइया BharatPe को Pine Labs में मिला लेना चाहते थे क्योंकि Pine Lab में उनका मेजॉरिटी स्टेक था।
अगर आप BharatPe की पूरी कहानी को अशनीर ग्रोवर के नजरिए से समझना चाहते हैं तो दोगलापन नाम की यह किताब पढ़ सकते हैं।