उत्तर प्रदेश के झांसी शहर में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एक भीषण हादसा हो गया। जिस वार्ड में नवजात बच्चे भर्ती रहते हैं। वो वार्ड आग की चपेट में आकर जलकर खाक हो गया। इससे वार्ड में भर्ती 10 बच्चों की मौत हो गई है। वहीं 16 बच्चे जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैँ। ये आग एनआईसीयू में लगी थी। इसी वार्ड में नवजात बच्चे भर्ती किए जाते हैं। बताया जा रहा है कि 54 बच्चे एडमिट थे। कुछ बच्चों को बाहर निकाल लिया गया था। आइये जानते हैं आखिर एनआईसीयू वार्ड किसे कहते हैं और यहां बच्चों को क्यों भर्ती किए जाते हैं?
वहीं इस हादसे पर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उन (पीड़ित)बच्चों के लिए जांच की व्यवस्था की जा सके इसकी व्यवस्था में हम देर रात्रि से ही लगे हुए थे। 10 बच्चों की वहां दुखद मृत्यु हुई है। बाकी बच्चे सुरक्षित हैं। वहां पर स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम, मेडिकल कॉलेज की पूरी टीम, प्रशासन और पुलिस प्रशासन की पूरी टीम सभी को सुरक्षित निकालने में सफल रही लेकिन मेरी संवेदना उन सभी परिजनों के प्रति है जिन्होंने अपने मासूम बच्चों को खोया है।
जब बच्चों का जन्म वक्त से पहले होता है। तब उन्हें सेहत से जुड़ी कई तरह की कठिनाइयों के दौर से गुजरना पड़ता है। कभी-कभी बच्चों में जन्म के समय ही कुछ दिक्कतें होती हैं। तब ऐसी स्थिति में उन्हें हॉस्पिटल के एनआईसीयू वॉर्ड में ट्रांसफर किया जाता है। इसका फुल फॉर्म है 'नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट' (Neonatal Intensive Care Unit - NICU) यानी 'नवजात गहन चिकित्सा इकाई'। यहां एक्सपर्ट टीम चौबीसों घंटे बच्चों की देखभाल में लगी रहती है। इनमें से ज्यादातर बच्चे पैदाइश के 24 घंटों के भीतर एनआईसीयू वॉर्ड में जाते हैं। वो यहां कितने वक्त तक रहते हैं। ये उनके हेल्थ कंडीशन पर डिपेंड करता है। कुछ नवजात कुछ घंटे या दिन के लिए यहां रहते हैं, वही कुछ हफ्ते या महीनों तक रहते हैं। झांसी के मेडिकल कॉलेज में इसी वार्ड में आग लगी थी।
इनक्यूबेटर एक तरह का उपकरण है। जिसमें नवजात बच्चों को रखा जाता है। यह NICU के तहत आता है। गंभीर रूप से समस्याओं से जूझ रहे बच्चों को इसी में रखा जाता है। ये छोटे बिस्तर होते हैं जो पारदर्शी, सख्त प्लास्टिक से घिरे होते हैं। इनमें टेम्प्रेचर कंट्रोल किया जाता है, ताकि बच्चे के शरीर का तापमान जितना होना चाहिए, वहीं रहे। डॉक्टर, नर्स और दूसरे केयरटेकर्स इनक्यूबेटर के किनारों में छेद के जरिए बच्चों की देखभाल करते रहते हैं। इस उपकरण में बच्चों को आदर्श तापमान, पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और प्रकाश सही मात्रा में मिलता रहता है। यह बच्चों के लिए ही खासतौर से डिजाइन किया जाता है।