सनातन धर्म के लोगों के लिए करवा चौथ के व्रत का विशेष महत्व है। ये व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं। हालांकि ये व्रत काफी कठिन होता है। इस व्रत के दौरान अन्न के साथ-साथ पानी पीने की भी मनाही होती है। यानी निर्जला उपवास रहना होता है। शाम में चंद्र देव को पानी से अर्घ्य देने के बाद ही ये व्रत खोला जाता है। करवा चौथ व्रत के कई अहम नियम भी होते हैं। जिनका पालन न करने पर महिलाओं को उनकी पूजा का पूरी तरह से फल नहीं मिलता है।
दरअसल, हिंदू धर्म में सुहाग से जुड़े व्रत रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इन उपवासों को रखने से वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती है। साथ ही पति-पत्नी के रिश्तों में मजबूती आती है। सभी उपवास में से करवा चौथ के व्रत को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
करवा चौथ का व्रत कब रखा जाएगा?
पंचांग के मुताबिक, इस साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को सुबह 6:46 बजे से हो रही है। जिसका समापन 21 अक्टूबर को सुबह 4.16 बजे है। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5.46 बजे से रात 07.09 बजे तक है। पूजा की कुल अवधि 1 घंटे 16 मिनट तक है। इस दिन व्यतीपात योग के साथ कृत्तिका नक्षत्र का संयोग बन रहा है। जिससे व्रत की महत्ता और ज्यादा बढ़ जाएगी। ऐसे में चांद की पूजा करना और भी लाभदायक होगा। जिससे व्रत करने से पूरे फल की प्राप्ति होगी। वहीं इस दिन चांद रात 07:54 बजे के आसपास निकल सकता है।
करवा चौथ व्रत की पूजा का महत्व
करवा चौथ का व्रत गणेश जी और माता करवा को समर्पित है। इस दिन भगवान गणेश और देवी करवा के अलावा चंद्र देव की उपासना करना भी जरूरी होता है। चंद्र देव को आयु, सुख, समृद्धि और शांति का कारक ग्रह माना जाता है। करवा चौथ के दिन चंद्र देव की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। साथ ही पति की आयु बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाती है। बता दें कि देश के कई राज्यों में करवा चौथ के व्रत को करक चतुर्थी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
करवा चौथ व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद नए कपड़े पहन कर और ईश्वर का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाकर करवा का चित्र बनाएं। अब शाम की पूजा के दौरान फलक वाले स्थान पर चौकी रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर शिव-पार्वती की तस्वीर स्थापित करें।
अब पूजा की थाली में दीप, सिंदूर, अक्षत, कुमकुम, रोली और मिठाई आदि शामिल करें। साथ ही करवे में जल भरकर रख लें। पूजा के दौरान मां पार्वती को 16 श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। विधि-विधान से शिव-शक्ति की पूजा-अर्चना करें। पूजा के अंत में करवा चौथ की कथा सुनें। रात में चांद निकलने के बाद छलनी से चंद्रमा के दर्शन कर चंद्रदेव की पूजा करें। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पानी पीकर अपने व्रत का पारण करें।
डिस्क्लेमर - यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं। अधिक जानकारी के लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें।