क्या आपको भी सड़क किनारे ढाबों या टपरी पर चाय पीने का शौक है? मानसून के दौरान तो इसमें और भी ज्यादा मजा आता है, लेकिन अगर आप ऐसे ही सड़क पर कहीं भी चाय पीते हैं, तो आप इस खबर को जरूर पढ़ें...क्योंकि ये आपकी सेहत का मामला है। इस तरह ढाबे या टपरी वाली चाय, अब फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की जांच के दायरे में है। फूड सेफ्टी अधिकारियों ने पाया कि प्रोसेसिंग के दौरान चाय की धूल और पत्तियों में बड़ी मात्रा में कीटनाशक और रंगों के इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पहले गोभी मंचूरियन, पानी पुरी, कॉटन कैंडी और कबाब जैसी खाने की चीजों में फूड कलरिंग एजेंट पर रोक लगाने की बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया था।
CNN-News18 के मुताबिक, ये पता चला है कि कई होटल रोडामाइन-बी और कार्मोइसिन जैसे फूड कलरिंग एजेंट का इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें जहरीला माना जाता है। FSSAI के सूत्रों का कहना है कि चाय के मामले में, ये कीटनाशक और फर्टिलाइजर है। इन एडिटिव्स से कैंसर हो सकता है।
कहां-कहां से लिए गए सैंपल?
अब तक, उन्होंने उत्तरी कर्नाटक के अलग-अलग जिलों से लिए गए 48 सैंपल इकट्ठा किए हैं, जहां चाय की खपत बहुत ज्यादा है। बागलकोट, बीदर, गडग, धारवाड़, हुबली, विजयनगर, कोप्पल और बल्लारी जैसे जिलों में, फूड इंस्पेक्टर ने पाया है कि बड़ी मात्रा में कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे सेहत को काफी नुकसान हो सकता है।
News18 के अनुसार, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा, “हम टेस्टिंग कर रहे हैं और चाय उत्पादकों के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं। हमारा मकसद लोगों को खराब क्वालिटी या हाइली प्रोसेस्ड खाना न खाने के प्रति जागरूक करना और हेल्दी खाने को बढ़ावा देना है। हम चीजों को समग्र रूप से देख रहे हैं और लोगों को एडिटिव्स के बारे में जागरूक कर रहे हैं। हम कबाब या गोभी मंचूरियन पर रोक नहीं लगा रहे हैं। हम इन खाने की चीजों में इस्तेमाल होने वाले हानिकारक पदार्थों पर रोक लगा रहे हैं। यही बात चाय की पत्तियों पर भी लागू होती है।”
तय मात्रा से ज्यादा कीटनाशक
News18 को पता चला है कि फूड रेगुलेटर अधिकारियों ने पाया है कि किसान और बाद में चाय उत्पादक प्रोसेसिंग के दौरान तय मात्रा से ज्यादा कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं, जो कार्सिनोजेन में भी बदल जाता है, इसका असर सेहत पर पड़ता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने चाय उत्पादकों को बड़ी मात्रा में कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हुए पाया है, और लैब 35 से 40 से ज्यादा कंपाउंड या केमिकल्स का विश्लेषण करेगी। अधिकारी ने कहा, “कीटनाशक तय सीमा से ज्यादा पाए गए। इसीलिए यह अभियान चलाया जा रहा है।”
इससे पहले, कर्नाटक सरकार ने खाद्य पदार्थों में आर्टिफिशियल कलर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी और खासतौर से गोभी मंचूरियन और कबाब जैसे सड़कों पर बिकने वाले फास्ट फूड में इनके इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी, क्योंकि उनमें रोडामाइन-बी और कार्मोइसिन जैसे फूड कलरिंग एजेंट का इस्तेमाल पाया गया था। स्टडी से पता चला है कि ये काफी जहरीला है।
इस तरह की मिलावट पर कितनी होती है सजा?
जब टेस्ट किया गया, तो इसने देश भर के स्वास्थ्य मंत्रालयों में भी खतरे की घंटी बजा दी, जहां लैब टेस्टिंग से संकेत मिला कि कैंसर पैदा करने वाले एडिटिव्स रोडामाइन-बी और टार्ट्राज़िन का इस्तेमाल खाने को आकर्षक बनाने के लिए किया जा रहा था, लेकिन ये सेहत के लिए काफी ज्यादा हानिकारक है।
खाने में कलरिंग के खिलाफ पहले भी ऑपरेशन चलाए गए हैं। तब पता चला कि इन खानों में लगभग 107 हानिकारक अर्टिफिशियल कलर पाए गए थे। खाद्य पदार्थों के मामले में किसी भी उल्लंघन पर 7 साल की कैद और 10 लाख रुपये तक जुर्माना होगा।