लेंसकार्ट सॉल्यूशंस और ग्रो के आईपीओ बंद होने के बाद ग्रे मार्केट में उनके शेयरों पर प्रीमियम में तेज गिरावट देखने को मिली है। इससे मार्केट के कमजोर सेंटीमेंट का पता चलता है। अगर एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स को छोड़ दिया जाए तो हाल में लिस्ट हुई कई कंपनियों के शेयरों को संघर्ष करना पड़ रहा है। सवाल है कि क्या यह आईपीओ में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी घटने का संकेत हैं?
प्रीमियम रिकॉर्ड ऊंचाई से करीब 75 फीसदी फिसला
Lenskart और Groww के शेयरों पर ग्रे मार्केट में चल रहा प्रीमियम रिकॉर्ड ऊंचाई से करीब 75 फीसदी फिसला है। ग्रे मार्केट में शेयरों के प्रीमियम में बदलाव होता रहता है। यह बदलाव शेयरों से जुड़े मार्केट सेंटीमेंट का संकेत देता है। किसी शेयर पर ग्रे मार्केट में चल रहे प्रीमिमय से पता चलता है कि इनवेस्टर्स उस शेयर के लिए इश्यू प्राइस से कितनी ज्यादा कीमत चुकाने को तैयार हैं।
दोनों आईपीओ को इनवेस्टर्स का अच्छा रिस्पॉन्स
हालांकि, ग्रे मार्केट प्रीमियम में बदलाव के बावजूद इनवेस्टर्स ने दोनों कंपनियों के आईपीओ में अच्छी दिलचस्पी दिखाई है। दोनों आईपीओ ओवरसब्सक्राइब्ड हो गए हैं। लेंसकार्ट सॉल्यूशंस के आईपीओ को कई कैटेगरी में इनवेस्टर्स का अच्छा रिस्पॉन्स मिला। यह इश्यू 6.86 फीसदी सब्सक्राइब हुआ। क्वालिफायड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) कैटेगरी में यह इश्यू 6.5 गुना सब्सक्राइब हुआ। नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NIIs) कैटेगरी में यह 8.6 गुना सब्सक्राइब हुआ। रिटेल इवेस्टर्स कैटेगरी में यह 5.37 गुना सब्सक्राइब हुआ।
ग्रो का आईपीओ 17 गुना सब्सक्राइब हुआ
लेंसकार्ट के मुकाबले ग्रो के आईपीओ को ज्यादा रिस्पॉन्स मिला। यह 17 गुना सब्सक्राइब हुआ। इससे इस इश्यू में इनवेस्टर्स की ज्यादा दिलचस्पी का पता चलता है। यह इश्यू रिटेल कैटेगरी में 9.4 गुना सब्सक्राइब हुआ, NIIs कैटेगरी में 14.20 गुना सब्सक्राइब हुआ और क्यूआईबी कैटेगरी में सबसे ज्यादा 22.02 गुना सब्सक्राइब हुआ।
मल्टीबैगर बनने की उम्मीद में निवेश कर रहे निवेश
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई रिटेल इनवेस्टर्स अगला मल्टीबैगर बनने की उम्मीद में आईपीओ पेश करने का प्लान बना चुकी कंपनी के अनलिस्टेड शेयरों में निवेश करते हैं। फटाफट मुनाफा कमाने के लालच में वे इन शेयरों को ऊंचे भाव पर खरीद लेते हैं। हाल में अनलिस्टेड शेयरों की कीमतों और स्टॉक मार्केट में उनके फाइनल लिस्टिंग प्राइस के बीच गैप बढ़ा है। इससे बड़ी संख्या में इनवेस्टर्स को नुकसान उठाना पड़ा है।
एचडीबी सर्विसेज के आईपीओ के वक्त रिस्क का पता चला था
उदाहरण के लिए ग्रो के अनलिस्टेड शेयरों में 155 रुपये के भाव पर कारोबार हो रहा था। लेकिन, इसके बाद यह करीब 17 फीसदी गिरकर 127-128 रुपये पर आ गया। इसके बावजूद यह शेयरों के प्राइस बैंड के 100 रुपये के ऊपरी लेवल से काफी ज्यादा है। एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज (HDB) के आईपीओ के दौरान अनिलिस्टेड मार्केट से जुड़े रिस्क के बारे में कई निवेशकों को पता चला था।
ग्रे मार्केट प्रीमियम सिर्फ सेंटीमेंट का संकेत है
एचडीबी फाइनेंशियल का आईपीओ आने से पहले इसके शेयरों में करीब 1,225 रुपये के भाव पर कारोबार हो रहा था। लेकिन, कंपनी ने आईपीओ में सिर्फ 740 रुपये का भाव शेयरों के लिए तय किया था। स्टॉक मार्केट में इस शेयर की एंट्री 840 रुपये पर हुई थी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्रे मार्केट प्रीमियम शेयरों से जुड़े सिर्फ सेंटीमेंट का संकेत देता है। यह किसी स्टॉक की सही वैल्यूएशन के बारे में नहीं बताता है।