Milky Mist IPO: डेयरी प्रोडक्ट्स बनाने वाली मिल्की मिस्ट डेयरी फ़ूड लिमिटेड के ₹2,035 करोड़ के IPO को SEBI से मंजूरी मिल गई है। मिल्की मिस्ट का IPO कंपनी को वित्तीय रूप से मजबूत करने और उसके विकास को गति देने पर केंद्रित है। IPO में ₹1,785 करोड़ के नए इक्विटी शेयर जारी किए जाएंगे, जबकि प्रमोटर शेयरधारक सतीशकुमार टी और अनीता एस ₹250 करोड़ के शेयरों की बिक्री पेशकश (OFS) करेंगे।
कैसे होगा आईपीओ से मिले पैसों का इस्तेमाल
नए निर्गम से प्राप्त राशि का सबसे बड़ा हिस्सा कर्ज घटाने पर खर्च होगा, जिसके लिए ₹750 करोड़ रखे गए है। बाकी राशि का उपयोग पूंजीगत व्यय, वर्किंग कैपिटल और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। बता दें कि 31 मई, 2025 तक कंपनी पर कुल समेकित उधार ₹1,463.59 करोड़ था। कंपनी के लिए अपने बैलेंस शीट को मजबूत करने और आगामी विकास की तैयारी के लिए कर्ज का बोझ कम करना एक प्रमुख प्राथमिकता है।
मिल्की मिस्ट के आईपीओ में ये है प्रमुख जोखिम
IPO दस्तावेजों में कंपनी के सामने मौजूद कुछ प्रमुख ऑपरेशनल और स्ट्रक्चरल चुनौतियां देखने को मिली हैं:
एक ही प्लांट पर अत्यधिक निर्भरता: कंपनी एकल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट पर बहुत अधिक निर्भर है। यदि प्राकृतिक आपदा या किसी तकनीकी खराबी से इसमें बाधा आती है, तो परिचालन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है, क्योंकि कोई बैकअप यूनिट मौजूद नहीं है।
भौगोलिक और डिस्ट्रीब्यूशन जोखिम: कंपनी के राजस्व का 71 प्रतिशत अभी भी दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु और कर्नाटक से आता है, जिससे यह भौगोलिक रूप से असंतुलित है। साथ ही इसका डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क कुछ ही सुपर स्टॉकस्टों पर निर्भर है।
कच्चे माल के दाम में उतार-चढ़ाव: दूध की कीमतों में अस्थिरता सबसे बड़ा जोखिम है। दही और पनीर जैसी कीमत-संवेदनशील श्रेणियों में लागत वृद्धि को उपभोक्ताओं तक पहुंचाना मुश्किल होता है, जिससे मार्जिन प्रभावित हो सकता है।
कड़ी प्रतिस्पर्धा: मिल्की मिस्ट को अमूल, नेस्ले इंडिया, ब्रिटानिया, हत्सुन एग्रो और अन्य बड़े खिलाड़ियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिनके पास बड़ा वित्तीय बल और व्यापक ब्रांड पहचान है।