कभी IPO की बाढ़ से गुलजार रहने वाला प्राइमरी मार्केट अब शांत दौर में प्रवेश कर गया है। साल 2025 के 3 महीने बीतने के बाद, ब्रॉडर मार्केट में मंदी के बीच IPO में मंदी कोई हैरानी की बात नहीं है। मनीकंट्रोल के 2025 ग्लोबल वेल्थ समिट में बोलते हुए सॉफ्टबैंक इंडिया के पार्टनर सार्थक मिश्रा ने कहा कि अब बड़ा सवाल यह है कि क्या IPO मार्केट अगली दो तिमाहियों में मजबूत वापसी कर सकता है।
मिश्रा ने कहा, “मैंने तब शुरुआत की थी जब 2012 की गर्मियों में फेसबुक लिस्ट हुई, लेकिन इसके शेयर की कीमत अचानक घटकर आधी रह गई। उस वक्त, Groupon और Zynga जैसी कंपनियों का मार्केट कैप 12 अरब डॉलर था। फिर भी 15-18 कंपनियों के पब्लिक होने के बावजूद, IPO बाजार में ठहराव आ गया। मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर हम अब भी कुछ ऐसा ही देखें, और यह पूरी तरह से ठीक है।”
इस साल अब तक मेनबोर्ड के केवल 10 IPO
इस साल अब तक BSE मेनबोर्ड पर केवल 10 IPO आए हैं। 2024 में यह आंकड़ा 90, 2023 में 59 और 2022 में 38 था। ठंडा IPO मार्केट, वैल्यूएशंस, इनवेस्टर सेंटिमेंट और लिक्विडिटी कंडीशंस के बारे में चिंताओं को दर्शाता है। हालांकि, मिश्रा लॉन्ग टर्म ट्राजेक्टरी को लेकर आशावादी बने हुए हैं। उन्होंने कहा, “वैसे तो हम सभी अगली दो तिमाहियों में उत्साह की उम्मीद करते हैं, लेकिन IPOs को लॉन्ग टर्म लेंस के साथ देखा जाना चाहिए। अगर आपने उस समय कंपनियों की उस बास्केट में निवेश किया होता, तो आप आज उनकी स्थिति से खुश होते। यही बात भारतीय बाजारों के लॉन्ग टर्म आउटलुक पर भी लागू होती है।” मंदी के बावजूद, मिश्रा को उम्मीद है कि कंज्यूमर टेक कंपनियां, IPO की अगली लहर का नेतृत्व करेंगी।