UP Lok Sabha Chunav: प्रतापगढ़ में राजा भैया की नाराजगी, BJP को पड़ेगी भारी? सपा-बसपा भी लगा रहीं पूरा जोर
UP Lok Sabha Election 2024: कुंडा के राजा रघुराज प्रताप सिंह के समर्थकों ने जब संगम लाल गुप्ता का विरोध शुरू किया, तो उन्होंने यह ब्रह्मास्त्र चलाया। यह कितना निशाने पर लगा है और कहीं घाटे का सौदा तो नहीं साबित होगा, ये तो समय ही बताएगा, लेकिन इस नए मुद्दे ने कई सवाल जरूर खड़े किए और चुनावी समीकरणों को बदला है
UP Lok Sabha Chunav: प्रतापगढ़ में राजा भैया की नाराजगी
प्रतापगढ़ लोकसभा सीट राजाओं का गढ़ रही है। कभी राजा दिनेश सिंह, जो इंदिरा गांधी के काफी विश्वासपात्र और नजदीकी थे, उनका यहां पर डंका बजता था। इस सीट से इसी राज परिवार की रत्ना सिंह भी जीतीं और सांसद बनीं। कुंडा के राजा रघुराज प्रताप सिंह का यहां काफी वर्चस्व है। इसी वर्चस्व से ऊब चुके और उनका समर्थन न मिलने से नाराज भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी संगम लाल गुप्ता ने एक जनसभा में रोते हुए कहा, "मैं तेली समाज से आता हूं, इसलिए चुनाव में मेरा विरोध हो रहा है। क्या कोई तेली सांसद नहीं बन सकता है। राजाओं के गढ़ में सिर्फ क्षत्रिय ही सांसद बन सकता है।" इस बयान के पीछे की कहानी अलग है।
कुंडा के राजा रघुराज प्रताप सिंह के समर्थकों ने जब संगम लाल गुप्ता का विरोध शुरू किया, तो उन्होंने यह ब्रह्मास्त्र चलाया। यह कितना निशाने पर लगा है और कहीं घाटे का सौदा तो नहीं साबित होगा, ये तो समय ही बताएगा, लेकिन इस नए मुद्दे ने कई सवाल जरूर खड़े किए और चुनावी समीकरणों को बदला है।
प्रतापगढ़ जीतने के लिए राजाओं का आशीर्वाद जरूरी
वास्तव में प्रतापगढ़ जीतने के लिए राजाओं का आशीर्वाद जरूर लेना पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि इस बार संगम लाल गुप्ता को राजघराने का आशीर्वाद नहीं मिल रहा है। इससे वो परेशान हैं, लेकिन जानकार कहते हैं उनका यह बयान नुकसान का सौदा भी हो सकता है, क्योंकि इससे क्षत्रिय समाज नाराज हो सकता है और जो पहले उनके साथ जा रहा था, वो अब उनके खिलाफ जा सकता है।
अब सवाल है कि क्या इससे अति पिछड़े, अति दलित एकजुट हो जाएंगे? अगर एकजुट हो गए, तो ये मान लिया जाएगा कि संगम लाल गुप्ता ने जो तीर चलाया वो निशाने पर लगा है।
कैसी है सपा-बसपा की हालत?
समाजवादी पार्टी ने इस बार एसपी सिंह पटेल को टिकट दिया है। एसपी सिंह यानी शिवपाल सिंह पटेल हैं तो प्रतापगढ़ के, लेकिन लखनऊ में रहते हैं और वहां उनके कई शिक्षण संस्थान चलते हैं। वो पेशे से शिक्षक भी रहे हैं। अहम तथ्य यह है कि इस कुर्मी बहुल जिले में शिवपाल सिंह को कुर्मी मतदाताओ का भरपूर समर्थन मिल रहा है और मुस्लिम मतदाता भी उनके साथ है।
बहुजन समाज पार्टी ने प्रथमेश मिश्रा सेनानी को टिकट दिया है। यहां पर इस बात की चर्चा है कि क्या ब्राह्मण मतदाता बीजेपी छोड़कर BSP के साथ जाएगा। प्रतापगढ़ में ब्राह्मण मतदाता की संख्या बहुत है।
प्रतापगढ़ के ही निलेश मिश्रा कहते हैं कि ब्राह्मण BJP में जा रहा है न कि बसपा में। बसपा लड़ाई से बाहर है, इसलिए ब्राह्मण अपना वोट बर्बाद नहीं करेंगे।
क्यों नाराज हैं राजा भइया?
वास्तव में रघुराज प्रताप सिंह के विरोध के कुछ कारण हैं। रघुराज प्रताप सिंह अपनी जनसत्ता पार्टी के लिए कौशांबी सीट चाहते थे, लेकिन बीजेपी ने उनके लिए कौशांबी सीट नहीं छोड़ी इससे वो नाराज हो गए।
बीजेपी ने ये अंदाज लगा लिया कि रघुराज प्रताप सिंह के नाराजगी का असर कौशांबी सीट पर ज्यादा पड़ेगा और प्रतापगढ़ पर भी इसीलिए पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रघुराज प्रताप सिंह को बेंगलुरु बुलाकर उनसे लंबी बातचीत की थी।
राजा भइया का समर्थकों को निर्देश
इसके बाद ये उम्मीद जगी थी कि शायद रघुराज प्रताप सिंह बीजेपी का समर्थन करें, लेकिन उन्होंने अपने समर्थकों से कह दिया कि वो जिधर चाहें उधर वोट दें। इसे बीजेपी के लिए झटका माना गया।
अब संगम लाल गुप्ता को लगता है कि राजा उनकी खिलाफत कर रहे हैं। इसके साथ ही अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल भी रघुराज प्रताप सिंह के खिलाफ हैं। अब संगम लाल गुप्ता ने वो पत्ता चल दिया है, जो उनकी हार या जीत का कारण बन सकता है।
वो जान गए थे कि रघुराज प्रताप सिंह के समर्थक उन्हें वोट नहीं करेंगे, तो वो पिछड़ों और अति दलितों को एकजुट करने में लग गए हैं। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी एसपी सिंह पटेल के साथ कुर्मी मतदाता है और मुस्लिम और यादव मतदाताओ का समर्थन भी उनके साथ हैं।
समाजवादी पार्टी के सारे समीकरण उलट जाएंगे!
पट्टी के राम सिंह पटेल कहते हैं कि वो एसपी सिंह के साथ हैं और यहां के ज्यादातर मतदाता भी उन्हीं के साथ जाएंगे, लेकिन अति पिछड़ा और अति दलित मतदाता कुछ बोलना नहीं चाहता। सवाल यह है की क्या वो बीजेपी प्रत्याशी के साथ जाएगा। अगर अति पिछड़ा, अति दलित बीजेपी के साथ गया तो समाजवादी पार्टी के सारे समीकरण उलट जाएंगे। लेकिन यह आसान नहीं है।
जहां तक बसपा का सवाल है, तो प्रथमेश मिश्रा सेनानी हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि उन्हें ब्राह्मण वोटों का समर्थन मिल जाए। इस समर्थन के बाद दलित मतदाताओं की मदद से वो कड़े चुनावी संघर्ष में आ सकते हैं, लेकिन फिलहाल ऐसा दिख नहीं रहा है।
ब्राह्मण मतदाता फिलहाल बीजेपी में ही है
वास्तव में बसपा के बारे में ये धारणा बनी हुई है कि वो लड़ाई से बाहर है। पट्टी के राजेंद्र ओझा कहते हैं कि ब्राह्मण वोट BSP को जाएगा, अभी ऐसा लगता नहीं है। यह अलग बात है कि बसपा प्रत्याशी प्रतिष्ठित परिवार से हैं, लेकिन ब्राह्मण मतदाता फिलहाल बीजेपी में ही है।
अगर बसपा मजबूत लड़ाई में होती, तो ब्राह्मण मतदाताओं का समर्थन BSP को मिल भी सकता था। यही नहीं मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन समाजवादी पार्टी को मिल रहा है। प्रतापगढ़ के समाउल्लाह कहते हैं कि मुसलमानों का वोट साइकिल के साथ है और इस बार यहां पर साइकिल ही जीतेगी।
वह कहते हैं कि BSP बीजेपी से मिली हुई है, इसलिए मुसलमान BSP को समर्थन नहीं देगा। कुल मिलाकर यहां पर बीजेपी सपा और बसपा के बीच ही है और अब तक समाजवादी पार्टी कहीं ज्यादा मजबूत दिख रही है। लेकिन मतदान तक स्थितियां पलटी तो अलग बात है। प्रतापगढ़ के ही राजनीति के जानकारी देवेंद्र तिवारी कहते हैं कि जाति समीकरण के हिसाब से सपा मजबूत है, लेकिन बीजेपी को अति पिछड़े का समर्थन है, इसलिए कौन जीतेगा कहना अभी कठिन है।