सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर श्रीमती मेनका गांधी एक बार फिर मैदान में है। मेनका गांधी यहां पर सभी की माता जी हैं। यानी लोग उन्हें माताजी कहते हैं। विपक्षी दलों ने यानी सपा और बसपा ने श्रीमती मेनका गांधी को जातीय समीकरणों के आधार पर घेरने का प्रयास किया है। समाजवादी पार्टी को इस सीट से इसलिए उम्मीदें दिख रही है क्योंकि पिछले चुनाव में यहां पर बसपा प्रत्याशी से मात्र 14 हज़ार वोटो से मेनका गांधी चुनाव जीत पाई थी। तब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का चुनावी गठबंधन था। समाजवादी पार्टी की कोशिश है कि वह बसपा से गठबंधन टूटने के बाद जो विपरीत असर पड़ेगा उसे पिछड़े वोटो से पूरा कर लें।
इसीलिए उन्होंने राम भुआल निषाद को टिकट देकर मैदान में उतार दिया है। इस सीट पर निषाद वोट बड़ी संख्या में है। वही बहुजन समाज पार्टी ने उदय राज वर्मा को टिकट देकर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास किया है। लेकिन तमाम समीकरणों के बीच श्रीमती मेनका गांधी को हरा पाना इतना आसान नहीं है। उनके पक्ष में उनके बेटे वरुण गांधी जिन्हें इस बार भारतीय जनता पार्टी ने टिकट नहीं दिया मां के प्रचार के लिए सभाएं कर रहे हैं। वरुण गांधी का पीलीभीत से टिकट कट गया था। इसके बाद वह ना पीलीभीत गए ना कहीं और प्रचार किया ।
वरुण गांधी सुल्तानपुर में कर रहे हैं प्रचार
वरुण गांधी सुल्तानपुर में आकर अपनी मां को जिताने का प्रयास कर रहे हैं। वरुण गांधी मेनका गांधी के पक्ष में प्रचार करते हुए बहुत भावुक भाषण दे रहे हैं। वह कहते हैं कि वह मेरी नहीं सुल्तानपुर की मां है। कभी भी फोन करो हमेशा उपलब्ध रहती हैं। सुलतानपुर सीट अमेठी और रायबरेली से मिली हुई सीट है और यहां पर कांग्रेस का भी काफी असर रहा है। पिछली बार इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चंद्रभद्र सिंह चुनाव लड़े थे और उनके पक्ष में क्षत्रिय यादव मुस्लिम और दलित मतदाता एकजुट होकर गया था। चंद्रभद्र सिंह बाहुबली है। लेकिन इस बार सपा बसपा गठबंधन न होने के कारण स्थितियां बदली हुई हैं। भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी दोनों दावा कर रहे हैं कि दलित वोट उन्हें मिलेगा। लेकिन दलित मतदाताओं का बड़ा हिस्सा बसपा के साथ जा रहा है।
सुल्तानपुर के ही बसपा के समर्थक इंदर कहते हैं की पिछली बार दलित मतदाताओं ने भारी संख्या में बसपा प्रत्याशी को वोट डाला था। यादव और मुस्लिम मतदाताओं का भी समर्थन मिल गया था। लेकिन इस बार नहीं लगता कि सपा बहुत अच्छा चुनाव लड़ पाएगी। लेकिन समाजवादी पार्टी के रूपेश सिंह कहते हैं की चंद्रभद्र सिंह समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं और इसका असर चुनाव में दिखेगा। क्षत्रिय मतदाता भी साइकिल में जा सकता है। अखिलेश यादव चंद्रभद्र सिंह को इसीलिए पार्टी में लाए।
अखिलेश यादव हरसंभव प्रयास कर रहे हैं कि किसी तरह दलित वोट उनके साथ आ जाए और क्षत्रिय भी। लेकिन एक दुकानदार देवी सिंह कहते हैं की क्षत्रिय वोट बीजेपी में जा रहा है और उसमें कोई कटौती नहीं होने वाली । क्षत्रिय मतदाता क्यों बीजेपी में जा रहा है इस संबंध में बताते हैं की कि लोग पहले से ही मन बनाए हुए हैं। इसलिए कोई परिवर्तन नहीं होने वाला। यही नहीं अति पिछड़ा और अति दलित भी बीजेपी के साथ है।
वास्तव में श्रीमती मेनका गांधी ने चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र से संपर्क बनाए रखा और उन्होंने विकास करने का भी प्रयास किया। इसका असर मतदाताओं पर है। चाय की एक दुकान में बैठे दीप कुमार कहते हैं की माता जी ने यहां काम किया है और लोगों से मिलती-जुलती रही है। इस क्षेत्र से संपर्क बनाए रखा। इसलिए लोग उनके साथ हैं।
जहां तक मेनका गांधी के चुनाव प्रचार का सवाल है अपने चुनावी भाषण में वह राम मंदिर मुद्दे की चर्चा नहीं करती। वह मुसलमानो से भी मिलती रहती हैं और उनसे वोट देने की अपील भी कर रही है। वह यहां पर विकास कार्यों को गिना कर प्रचार कर रही है। जहां तक राम भुआल निषाद का सवाल है उन्हें निषाद मतदाताओं के अलावा यादव और मुस्लिम वोट भी मिल रहा है।
सुल्तानपुर में निषाद मतदाता बड़ी संख्या में है। एक मतदाता रूपन यादव कहते हैं कि उन्हें लगता है की अन्य पिछड़े वर्ग का वोट भी साइकिल में जाएगा और सपा प्रत्याशी यहां चुनाव जीत जाएगा। लेकिन राम नगीना तिवारी कहते हैं की यहां समाजवादी पार्टी चुनाव नहीं जीतेगी। जीतेगी तो सिर्फ श्रीमती मेनका गांधी ही। वह कहते हैं कि मेनका गांधी हर व्यक्ति की सुनती है और उनकी समस्या हल करने का प्रयास करती हैं। तमाम सांसद आए और गए लेकिन ऐसा कोई नहीं आया जो लोगों की बातों को सुनता हो और समस्याओं का निदान करता हो।
वैसे समाजवादी पार्टी किसी तरह सवर्ण वोटो पर सेंध लगाना चाहती है लेकिन यह होता दिख नहीं रहा है। जहां तक बहुजन समाज पार्टी की बात है उसके प्रत्याशी उदय राज वर्मा को दलित वोटो के अलावा कुर्मी वोटो का भी सहारा है । बसपा यह कोशिश कर रही है कि किसी तरह यदि कुर्मी वोट मिल जाए तो लड़ाई को बहुत रोचक बनाया जा सकता है। लेकिन यह साफ है की दलित वोटो का बड़ा हिस्सा उसके साथ जा रहा है।
बसपा प्रथम चरण से यह प्रयास करती रही है कि उसे मुस्लिम वोटो का समर्थन मिले लेकिन वह संभव नहीं हो पाया है और सुल्तानपुर में भी फिलहाल ऐसी ही स्थिति है। फिलहाल यहां पर भाजपा सपा और बीएसपी के बीच लड़ाई है लेकिन चुनावी समीकरण दलित और अति पिछड़े वोटो पर टिका हुआ है। स्थितियां तो यही लग रही है की मेनका गांधी चुनाव में अपने प्रतिद्वदियो से आगे हैं लेकिन परिणाम क्या आएगा यह 4 जून को हीं पता चलेगा।
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