रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टो करेंसी के लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए चेतावनी जारी की है। उन्होंने निवेशकों के क्रिप्टो से जुड़े खतरों से आगाह किया है। शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि क्रिप्टो करेंसी मैक्रो इकोनॉमिक और वित्तीय स्थिरता के नजरिए से क्रिप्टो करेंसीज काफी गंभीर चिंता पैदा कर सकती हैं।
शक्तिकांता दास की एक टिप्पणी उस समय आई है जब भारतीय निवेशकों खासकर रिटेल निवेशकों में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर काफी उत्साह दिख रहा है । सुप्रीम कोर्ट के आरबीआई के ऑर्डर को पलटने के बाद भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर लगा बैन हट गया था। उसके बाद से ही देश में क्रिप्टो को लेकर निवेशकों में भारी आर्कषण देखने को मिला है।
केंद्र सरकार ने अभी तक देश में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई कानून या नियम नहीं बनाए है। इसके लिए अभी इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स, मंत्रालयों और तमाम अधिकारियों के बीच परामर्श ही चल रहा है। तमाम चेतावनियों के बाद लगता है कि सरकार आम लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग पर कठोर नियत्रंण रखना चाहती है।
अलग -अलग क्रिप्टोकरेंसी पर नजर डालें तो बिटकॉइन और ether की कीमतों में मंगलवार की जोरदार तेजी के बाद आज गिरावट देखने को मिली है। इन दोनों में जून से अब तक दोगुने की बढ़ोतरी देखने को मिली है और अक्टूबर की शुरुआत से अब तक डॉलर के मुकाबले इनमें 70 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है।
शक्तिकांता दास ने बुधवार को क्रिप्टोकरेंसी के बारे में अपनी यह आपत्तियां जताईं। गर्वनर शक्तिकांता दास ने क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति ना देने से संबधित अपने विचारों को फिर से दोहराते हुए कहा कि क्रिप्टोकरेंसी दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के दायरे में नहीं आती। ऐसे में किसी फाइनेशियल सिस्टम के लिए क्रिप्टोकरेंसी बड़ा खतरा साबित हो सकती है।
आरबीआई गर्वनर का यह बयान रिजर्व बैंक की इंटरनल कमिटी की क्रिप्टोकरेंसी पर आनेवाली रिपोर्ट के पहले आया है। यह रिपोर्ट अगले महीने आने की उम्मीद है। इसी दौरान उन्होंने इकोनॉमी पर बात करते हुए कहा कि भारत की ग्रोथ स्टोरी पटरी पर है। कोविड-19 से जुड़ी अनिश्चितता के बावजूद इकोनॉमी का आउटलुक काफी अच्छा नजर आ रहा है। देश में निवेश गतिविधियों में तेजी आती दिख रही है। अगले साल बैंकों की क्रेडिट डिमांड में बढ़त देखने को मिलेगी । हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा जियोपॉलिटिकल तनाव एक नई चुनौती बन कर सामने आ रही है। हमें इस पर नजर रखनी चाहिए।