Market insight : क्वेस्ट इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफीसर और पोर्टफोलियो मैनेजर राकेश व्यास प्राइवेट सेक्टर के दो बड़े बैंकों के प्रति बुलिश बने हुए हैं। उनका मानना है कि इन बैंकों को बेहतर एसेट क्वालिटी और मजबूत लाइबिलिटी फ्रेंचाइजी का सपोर्ट हासिल है। एनबीएफसी सेक्टर में क्वेस्ट को ऐसी कंपनियां पसंद हैं जहां ग्रोथ की संभावनाएं मज़बूत बनी हुई हैं। मनीकंट्रोल को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा,"यह सेक्टर घटती ब्याज दरों के दौर में सबसे ज्यादा फायदे में रहने वाला सेक्टर रहेगा।"
वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही से कॉर्पोरेट अर्निंग्स में सुधार होने की उम्मीद
उनका मानना है कि पिछली 5-6 तिमाहियों की कमजोर अर्निंग के बाद, वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही से कॉर्पोरेट अर्निंग्स में सुधार होने की उम्मीद है। तमाम कंपनियों के पिछले 8-9 महीनों में केंद्र सरकार और आरबीआई दोनों द्वारा किए गए नीतिगत सुधारों से सपोर्ट मिलेगा।
खपत बढ़ाने पर सरकार का फोकस
उन्होंने आगे कहा कि वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2024 तक,भारत में पूंजीगत व्यय में सरकारी खर्च का सबसे ज्यादा योगदान रहा है। वित्त वर्ष 2020 में सरकारी आवंटन 3.4 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 9.5 लाख करोड़ रुपये हो गया,जो लगभग 29 फीसदी की मजबूत सालाना ग्रोथ दिखाता है। हालांकि,वित्त वर्ष 2025 की शुरुआत से सरकार ने अपना फोकस उपभोग बढ़ने की और मोड़ दिया है। RBI के सहायक पॉलिसी ने भी इस प्रयास को और मज़बूती दी है।
आने वाले सालों में प्राइवेट सेक्टर के कैपेक्स में भी बढ़त होने की उम्मीद
इस रणनीति का उद्देश्य मांग को बढ़ावा देना है,जिससे मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में कैपेसिटी यूटिलाइजेशन में बढ़त हो। जैसे-जैसे मांग में तेजी आएगी, आने वाले सालों में प्राइवेट सेक्टर के कैपेक्स में भी बढ़त होने की उम्मीद है।
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, केमिकल, रिटेल और क्विक कॉमर्स शेयरों में तेजी उम्मीद
निवेश के लिए अपने पसंदीदा सेक्टरों पर बात करते हुए राकेश व्यास ने कहा कि उनको डिस्क्रिशनरी कंजम्प्शन वाले शेयर अच्छे लग रहे हैं। उनके मानने है कि खर्च करने योग्य आय बढ़ने और जीएसटी घटने से, खास कर त्योहारी सीजन में डिस्क्रिशनरी कंजम्प्शन वाले सेक्टरों में खरीदारी बढ़ेगी। इसके अलावा मांग में तेजी से एमएसएमई से जुड़े शेयरों में भी तेजी आ सकती है। इसके अलावा कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, केमिकल, रिटेल और क्विक कॉमर्स शेयर भी अच्छे लग रहे हैं।
भविष्य में भारतीय इक्विटी की रि-रेटिंग की संभावना सीमित
राकेश व्यास ने आगे कहा कि पिछली 5-6 तिमाहियों की सुस्त अर्निंग्स के बाद पिछले 8-9 महीनों में केंद्र सरकार और आरबीआई द्वारा किए गए नीतिगत सुधारों के चलते कॉर्पोरेट आय में वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही से सुधार आने की उम्मीद है। इसके साथ ही अमेरिका-भारत संबंधों में हाल में हुए सुधार से भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी एडिशनल टैरिफ वापस लिए जाने की संभावना बढ़ गई है। इसके चलते साल 2025 के अंत से राहत रैली शुरू हो सकती है। लेकिन हमें बहुत ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि बाजार का प्रदर्शन अर्निंग ग्रोथ पर निर्भर रहने की संभावना है और निकट भविष्य में भारतीय इक्विटी की रि-रेटिंग की संभावना सीमित है।
कैलेंडर वर्ष 2025 के अंतिम दौर में दरों में और कटौती की संभावना ज़्यादा
आरबीआई ने पिछले 8-9 महीनों में दरों में कटौती की है और हाल ही में जीएसटी में की गई कटौती से रिटेल महंगाई में लगभग 30 बेसिस प्वाइंट की कमी आने की उम्मीद है। आरबीआई आगे कोई कदम उठाने से पहले पिछली कटौतियों के पूरे असर का इंतज़ार करना पसंद कर सकता है। नतीजतन कैलेंडर वर्ष 2025 के अंतिम दौर में दरों में और कटौती की संभावना ज़्यादा है।
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