Stock market : घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने इस साल भारतीय इक्विटी बाजार में एक नया रिकॉर्ड बनाया है। हालांकि, साल का एक चौथाई हिस्सा अभी भी बाकी है। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 9 महीनों में ही 2024 का रिकॉर्ड भी पार कर लिया है। हालांकि, हाल के दिनों में रिटर्न में नरमी और ग्लोबल चुनौतियों के कारण सेंटिमेंट पर असर पड़ा है इससे अब घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी में सुस्ती लौटने को शुरुआती संकेत दिखने लगे हैं।
डीआईआई ने 5.3 लाख करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी
2025 में अब तक, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों, बैंक और पेंशन फंडों सहित डीआईआई ने 5.3 लाख करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी है, जो पिछले साल के 5.22 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।
म्यूचुअल फंड 3.65 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ सबसे बड़े निवेशक रहे
म्यूचुअल फंड 3.65 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ सबसे बड़े निवेशक रहे हैं। म्यूचुअल फंडों को 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के मासिक एसआईपी निवेश से सबसे ज्यादा सपोर्ट मिला है। अगस्त में उनकी कैश होल्डिंग 1.98 लाख करोड़ रुपये के हाई पर रही। बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों ने मिलकर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया। जबकि शेष योगदान पीएमएस, एआईएफ, बैंकों और अन्य विकल्पों से आया है।
इतने मज़बूत घरेलू निवेश के बावजूद भारतीय शेयर बाज़ार ग्लोबल बाज़ारों से पीछे क्योंं?
इतने मज़बूत घरेलू निवेश के बावजूद, भारतीय शेयर बाज़ार ग्लोबल बाज़ारों से पीछे हैं। डॉलर के लिहाज़ से, 2025 में अब तक सेंसेक्स सिर्फ़ 2 फीसदी और निफ्टी 4 फीसदी बढ़ा है। कमजोर अर्निंग और महंगे वैल्यूएशन ने बाजार पर दबाव बनाया है।
तुलनात्मक रूप से देखें तो इस अवधि में शंघाई कम्पोजिट में 17 फीसदी की बढ़त हुई है। वहीं, हैंग सेंग और टॉपिक्स में 20-20 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है। जबकि डाओजोन्स और एसएंडपी500 में 8 फीसदी और 13 फीसदी की बढ़त हुई है। यूरोप का एफटीएसई100 इंडेक्स 21 फीसदी, सीएसी 40 इंडेक्स 20 फीसदी और डीएएक्स 35 फीसदी बढ़ा है।
विदेशी संस्थागत निवेशक बने हुए हैं नेट सेलर
वहीं, दूसरी तरफ विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) नेट सेलर बने हुए हैं, जिन्होंने पिछले साल 1.21 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली के बाद 2025 में अब तक 1.8 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है। भारतीय इक्विटी में उनकी हिस्सेदारी 2019 के 22 फीसदी से घटकर 16 फीसदी रह गई है।