इंडसइंड बैंक में अकाउंटिंग में गड़बड़ी का खेल आजकल से नहीं बल्कि पिछले 10 साल से चल रहा था। यह खुलासा बैंक के पूर्व चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) और व्हिसलब्लोअर गोबिंद जैन ने किया है। पुलिस ने इसी सप्ताह जैन और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना का बयान दर्ज किया था। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गोबिंद जैन ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EoW) के सामने दावा किया कि बैंक के डेरिवेटिव्स पोर्टफोलियो में अकाउंटिंग की गड़बड़ी साल 2015 से चली आ रही है। इसकी बारे में तत्कालीन बोर्ड, सीनियर मैनेजमेंट और पूर्व फाइनेंस हेड एसवी जरेगांवकर को जानकारी थी।
जैन ने कई डॉक्युमेंट जमा किए हैं, जिनमें 4 रेजिग्नेशन लेटर भी शामिल हैं। उन्होंने बार-बार तत्कालीन एमडी और सीईओ सुमंत काथपालिया से अपील की थी कि स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त कर मामले की जांच कराई जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बैंक को गंभीर नुकसान हो सकता है। जैन ने सबसे पहले जून 2024 में इस्तीफा सौंपा था लेकिन वह मंजूर नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने 3 और बार रेजिग्नेशन लेटर भेजा। आखिरकार जनवरी 2025 में जैन का इस्तीफा मंजूर हुआ।
पूर्व सीईओ सुमंत कठपालिया का भी बयान दर्ज
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 24 सितंबर को इंडसइंड बैंक में अकाउंटिंग चूक की जांच के संबंध में बैंक के पूर्व सीईओ सुमंत कठपालिया का बयान दर्ज किया। यह बात मनीकंट्रोल को पुलिस सूत्रों से पता चली है। बयानों का एनालिसिस करने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि जरूरत पड़ने पर EoW तीनों पूर्व अधिकारियों को फिर से पूछताछ के लिए बुला सकती है।
शुरुआत में इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ी पाई गईं। बाद में माइक्रोफाइनेंस बिजनेस में भी गड़बड़ी पाई गईं। इसके बाद सीईओ कठपालिया और डिप्टी सीईओ खुराना ने बैंक से इस्तीफा दे दिया। सूत्रों का कहना है कि EOW ने जांच के सिलसिले में इंडसइंड बैंक के 6 से 7 कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए हैं।
IndusInd Bank ने मार्च में गड़बड़ी का किया खुलासा
इंडसइंड बैंक को लेकर अनिश्चितता तब शुरू हुई, जब मार्च 2025 में बैंक ने अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो से जुड़ी अकाउंटिंग चूक की सूचना दी। 10 मार्च 2025 को बैंक ने खुलासा किया कि डेरिवेटिव्स लेन-देन में गड़बड़ी के कारण उसे 1,577 करोड़ रुपये का झटका लग सकता है। बाद में कई ऑडिट के बाद बैंक ने मार्च तिमाही के नतीजों में करीब 2,000 करोड़ रुपये का एकमुश्त घाटा दर्ज किया।
मैनेजमेंट को खुलासे से 15 महीने पहले ही चल गया था पता
27 मई 2025 को सेबी ने एक अंतरिम आदेश जारी किया। इससे पता चला है कि इंडसइंड बैंक के मैनेजमेंट को डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में अकांउंटिंग की गड़बड़ियों के बारे में बैंक द्वारा स्टॉक एक्सचेंजों को बताए जाने से 15 महीने पहले ही पता चल गया था। ऐसा कहा जा रहा है कि कठपालिया और पूर्व डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने पहले ही बैंक के 134 करोड़ रुपये और 82 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए थे। सेबी ने सुमंत कठपालिया, अरुण खुराना, सुशांत सौरव, रोहन जथन्ना और अनिल मार्को राव को कथित तौर पर इनसाइडर ट्रेडिंग के चलते प्रतिबंधित कर दिया है।