Market Next week : ब्रॉडर इंडेक्सों ने 26 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में तीन हफ्तों की बढ़त का सिलसिला तोड़ दिया और मुख्य इंडेक्सों की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया। फार्मा सेक्टर पर नए टैरिफ, अमेरिका में हाई वीजा फीस और लगातार बनी ट्रेड संबंधी चिंताओं और एफआईआई की निरंतर बिकवाली के कारण बाजार पूरे सप्ताह दबाव में रहा। बीते हफ्ते निफ्टी 50 672.35 अंक या 2.65 प्रतिशत गिरकर 24,654.70 पर बंद हुआ, जबकि बीएसई सेंसेक्स 2199.77 अंक या 2.66 प्रतिशत गिरकर 80,426.46 पर बंद हुआ। बीएसई मिडकैप, लार्जकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 3-4.5 प्रतिशत की गिरावट आई।
विदेशी संस्थागत निवेशक पूरे हफ्ते नेट सेलर बने रहे। लगातार 13वें सप्ताह उन्होंने 19,570.03 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे,जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 24वें सप्ताह भी अपनी खरीदारी जारी रखी और 17,411.40 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे। इस महीने में एफआईआई ने 30,141.68 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची,जबकि डीआईआई ने 55,736.09 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी खरीदी।
सप्ताह के दौरान सभी सेक्टोरल इंडेक्सों ने निगेटिव रिटर्न दिया, निफ्टी आईटी इंडेक्स में 8 प्रतिशत की गिरावट आई, निफ्टी रियल्टी इंडेक्स में 6 प्रतिशत की गिरावट आई, निफ्टी फार्मा इंडेक्स में 5.2 प्रतिशत की गिरावट आई, निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में 4.6 फीसदी की गिरावट आई, निफ्टी डिफेंस इंडेक्स में 4.4 प्रतिशत की गिरावट आई।
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च हेड श्रीकांत चौहान ने कहा, "इस सप्ताह, भारतीय शेयर बाजारों का ओवरऑल मार्केट ब्रेड्थ कमजोर रहा। एच1बी वीजा और फार्मा सेक्टर के जुडे अमेरिकी एलान से मार्केट सेंटीमेंट खराब हुआ। बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में 2 फीसदी से अधिक की गिरावट आई, जबकि बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप में लगभग 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।"
सभी अहम सेक्टोरल इंडेक्स इस सप्ताह लाल निशान में बंद हुए। अमेरिका ने H1B वीज़ा पर कड़े नियमों की घोषणा की। एक्सेंचर के वित्त वर्ष 2026 के रेवेन्यू गाइडलाइन में ऊपरी स्तर पर डिस्क्रिशनरी खर्च में कोई सुधार नहीं होने और निचले स्तर पर कुछ गिरावट का अनुमान लगाया गया है। बीएसई आईटी इंडेक्स में इस सप्ताह 7 फीसदी की गिरावट आई। अमेरिका द्वारा आयातित ब्रांडेड या पेटेंटेड फार्मा उत्पादों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद बीएसई हेल्थकेयर इंडेक्स में इस सप्ताह लगभग 5 फीसदी की गिरावट आई।
उन्होंने आगे कहा, "मौजूदा त्योहारी सीज़न के शुरुआती दिनों में अच्छी बुकिंग और डिलीवरी की खबरों के बीच ऑटो शेयरों पर नज़र बनी रही। पिछले हफ़्ते ग्लोबल बाज़ारों का रुख मिला-जुला रहा। विकसित बाज़ारों ने उभरते बाज़ारों से बेहतर प्रदर्शन किया। ग्लोबल बाज़ारों को प्रभावित करने वाली बड़ी ख़बरों में अमेरिकी व्यापार नीतियों को लेकर जारी अनिश्चितता और ईसीबी द्वारा ग्रोथ पर सतर्क रुख़ अपनाना शामिल था।"
इस हफ्ते बीएसई स्मॉल-कैप इंडेक्स में 4.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जिसमें शंकरा बिल्डिंग प्रोडक्ट्स, अपोलो पाइप्स, एसएमएल इसुजु, एमआईसी इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रूडेंट कॉर्पोरेट एडवाइजरी सर्विसेज, सिगाची इंडस्ट्रीज, सिग्निटि टेक्नोलॉजीज, एसएमएस फार्मास्युटिकल्स, इमको एलेकॉन (इंडिया), विष्णु प्रकाश आर पुंगलिया, आईओएल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स, पार्श्वनाथ डेवलपर्स के शेयरों में 77 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिली। वही, जुआरी इंडस्ट्रीज, टीवीएस इलेक्ट्रॉनिक्स, इंडो थाई सिक्योरिटीज, ओएम इंफ्रा, आरएसीएल गियरटेक, ऑलकार्गो टर्मिनल्स, ऑटोमोटिव स्टैम्पिंग्स एंड असेंबलीज़ के शेयरों में 20-30 प्रतिशत तक की बढ़त नजर आई।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के अजीत मिश्रा का कहना है कि तकनीकी नजरिए से देखें तो पिछले दो सत्रों में हैवीवेट शेयरों में लगातार कमजोरी देखने को मिली है। इससे इंडेक्स की गिरावट और तेज हो गई है। निफ्टी अब 200 डीईएमए के पास अपने अहम सपोर्ट स्तर 24,400 के करीब पहुंच गया है। इस बीच, मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में भारी गिरावट ने बाजार सेंटीमेंट को और कमजोर कर दिया है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए सतर्क रुख अपनाने की सलाह होगी। फंडमेंटली मजबूत शेयरों पर फोकस करते हुए बहुत आक्रामक दांव लगाने से बचें।
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