Adani-Hindenburg Row: नॉर्वे के 1.35 लाख करोड़ डॉलर वाले सोवरेन वेल्थ फंड (Norway wealth fund) ने गुरुवार 9 जनवरी को बताया कि उसने मुश्किलों से जूझ रहे अडानी ग्रुप (Adani Group) में अपनी सभी बची हिस्सेदारी को बेच दिया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। नॉर्वे के वेल्थ फंड ने यह हिस्सेदारी ऐसे समय में बेची है, जब अडानी ग्रुप के शेयरों में पिछले कुछ दिनों से भारी अस्थिरता देखी जा रही है। फंड के ESG रिस्क मॉनिटरिंग के हेड क्रिस्टोफर राइट ने बताया, "हम कई सालों से इन मुद्दों (ESG से मुद्दों) को लेकर अडानी ग्रुप की पर नजर रख हुए थे, खासतौर से पर्यावरणी जोखिमों से निपटने के मुद्दे पर।"
इस विदेशी वेल्थ फंड ने बताया कि उसने साल 2014 के बाद से अडानी ग्रुप की 5 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेची थी और साल 2022 के अंत तक उसके पास अडानी ग्रुप की तीन कंपनियों में हिस्सेदारी बची थी। इन कंपनियों में अडानी पोर्ट्स भी शामिल है।
क्रिस्टोफर ने बताया, "इस साल की शुरुआत से अडानी ग्रुप की कंपनियों में हमने फिर से अपनी हिस्सेदारी घटा ली। अब हमारा इस ग्रुप में कोई निवेश नहीं है।"
नार्वे के इस फंड के पास साल 2022 के अंत में अडानी ग्रीन एनर्जी के 5.27 करोड़ डॉलर के शेयर, अडानी टोटल गैस के 8.36 करोड़ डॉलर के शेयर और अडानी पोर्ट्स एंड SEZ के 6.34 करोड़ डॉलर के शेयर थे।
एक अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने बीते 24 जनवरी को अडानी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर टैक्स हैवेन देशों के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया था और कर्ज के ऊंचे स्तर पर चिंता जताई गई थी।
रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में तगड़ी गिरावट देखी गई, जो अबतक जारी है। गिरावट के चलते पिछले दो हफ्ते में अडानी ग्रुप की मार्केट वैल्यू करीब 110 डॉलर घट गई। अडानी ग्रुप ने हालांकि हिंडनबर्ग के आरोपों का खारिज किया है।