Adani fiasco:आरबीआई ने कहा है कि बैंकिंग सेक्टर मजबूत और स्थिर बना हुआ है। आरबीआई के इस आश्वासन से अडानी ग्रुप में बैंकों के एक्सपोजर को लेकर हाल के दिनों में बनी चिंता कम हुई है। बता दें कि अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर Hindenburg ने अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कई संगीन आरोप लगाए हैं। Hindenburg का कहना है कि अडानी ग्रुप पर भारी कर्ज है। इसके शेयर काफी ज्यादा ओवरवैल्यूड हैं। इसके अलावा कंपनी ने अपने शेयरों के दाम बढ़ाने के लिए तमाम अनैतिक तरीके अपनाए हैं। इस रिपोर्ट के आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयर औंधे मुंह गिरते दिखे हैं।
अडानी ग्रुप की कंपनियों के कुल कर्ज में 38 फीसदी हिस्सेदारी बड़े बैकों की
अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी दबाव के चलते कंपनी ने अपने 20000 करोड़ रुपये के फॉलो ऑन इश्यू को वापस ले लिया है। मीडिया में इस तरह की खबरें भी आई थीं कि तमाम बड़े बैकों ने अडानी ग्रुप की कंपनियों में फंड और गैर फंड आधारित एक्सपोजर ले रखे हैं। सीएलएसए ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अडानी ग्रुप की कंपनियों के कुल कर्ज में 38 फीसदी हिस्सेदारी बड़े बैकों की है। सीएलएसए की रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप के कर्ज में 37 फीसदी हिस्सेदारी बॉन्ड और कमर्शियल पेपर की है जबकि 11 फीसदी कर्ज वित्तीय संस्थाओं से लिए गए हैं। जबकि बकाया 12-13 फीसदी कर्ज इंटरग्रुप लेडिंग के जरिए लिया गया है।
एसबीआई ने कहा सिर्फ 27000 करोड़ रुपये अडानी ग्रुप की कंपनियों में हैं लगे
गौरतलब है कि आरबीआई का यह बयान उस समय आया है जब देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने अडानी ग्रुप के कर्ज से जुड़ी किसी चिंता को नकाराते हुए कहा है कि उसके सिर्फ 27000 करोड़ रुपये अडानी ग्रुप की कंपनियों में लगे हैं जो उसकी लोन बुक का 0.9 फीसदी है।
आरबीआई की बनी हुई है नजर
आरबीआई ने यह भी कहा है कि वह देश के कुछ कारोबारी समूहों में भारतीय बैंकों के एक्सपोजर पर नजर बनाए हुए है। उसने आगे कहा कि उसके पास एक सेंट्रल रीपोजिटरी ऑफ इंर्फोमेशन ऑन लार्ज क्रेडिट्स (CRILC) जैसा डेटा बेस सिस्टम है। जिसमें बैंक अपने 5 करोड़ रुपये के ऊपर से एक्सपोजर की जानकारी दर्ज करते हैं। इस डेटा का इस्तेमाल बैंकों पर निगरानी के लिए किया जाता है।
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