बुल मार्केट का आगाज या बियर मार्केट का जाल? जानें CLSA के इंडिया स्ट्रैटजिस्ट विकास जैन का नजरिया

FIIs दिसंबर महीने के दौरान आम तौर पर शेयर बाजार का प्रदर्शन अच्छा रहता है। पिछले 20-30 सालों के डेटा से पता चलता है कि हर चार में से तीन दिसंबर महीने के दौरान बाजार ने पॉजिटिव रिटर्न दिया है। उन्होंने कहा कि इस महीने का औसत रिटर्न आम तौर पर 2-3 प्रतिशत की सीमा में रहता है और इसके चलते यह निवेशकों के लिए आमतौर पर एक अच्छा महीना माना जाता है

अपडेटेड Nov 20, 2024 पर 12:15 PM
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विकास कुमार जैन का कहना है कि चीन को लेकर विदेशी निवेशकों में उत्साह अब फीका पड़ गया है

शेयर बाजार में पिछले 5 हफ्तों से भारी गिरावट देखी जा रही है और अब यहां पर एक छोटी सी राहत भरी रैली आ सकती है। ये कहना है CLSA के इंडिया स्ट्रैटजिस्ट और इंडिया रिसर्च हेड, विकास कुमार जैन का। विकास ने 19 नवंबर को मुंबई में मीडिया से बातचीत में कहा कि बाजार अब कमजोर अर्निंग सीजन, विदेशी निवेशकों (FIIs) के चीन की ओर जाने, महंगाई का ऊंचा स्तर और ईरान-इजराइल तनाव सहित कई नेगेटिव पहलुओं को झेल चुका है और अब इसमें शॉर्ट-टर्म में तेजी आ सकती है। जैन ने कहा, "हालांकि यह तेजी एक बुल रैली की शुरुआत है या बियर मार्केट में आने वाली एक अस्थायी उछाल, इसे लेकर अभी पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।"

विकास कुमार जैन ने कहा कि चीन को लेकर विदेशी निवेशकों में जो शुरुआती उत्साह देखा गया था, वो अब फीका पड़ गया है। चीन के पॉलिसी मेकर्स भी अब कम आक्रामक दिखाई दे रहे हैं। जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के नए अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने तक, बाजार में कुछ समय के लिए रैली देखने को मिल सकती है।

इस तेजी का एक और कारण यह है भी कि दिसंबर महीने के दौरान आम तौर पर शेयर बाजार का प्रदर्शन अच्छा रहता है। पिछले 20-30 सालों के डेटा से पता चलता है कि हर चार में से तीन दिसंबर महीने के दौरान बाजार ने पॉजिटिव रिटर्न दिया है। उन्होंने कहा कि इस महीने का औसत रिटर्न आम तौर पर 2-3 प्रतिशत की सीमा में रहता है और इसके चलते यह निवेशकों के लिए आमतौर पर एक अच्छा महीना माना जाता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा क्रूड ऑयल की कीमतें भी अपेक्षाकृत स्थिर हैं, जो कि बाजार की तेजी के लिए एक पॉजिटिव फैक्टर्स हैं।


FIIs पर

विकास कुमार जैन ने कहा कि भारत में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUMs) करीब 900 अरब डॉलर है। इसमें से करीब 800 अरब डॉलर की राशि ऐसे फंड्स से आती हैं, जिनका भारत से कोई खास लेनादेना नहीं है। इन्हें नॉन-इंडिया डेडिकेटेड फंड भी कहते हैं। उन्होंने कहा, "ये फंड अक्सर भारत से जुड़ी ग्रोथ स्टोरी के बजाय, EM (इमर्जिंग मार्केट्स) से जुड़े ट्रेंड्स के आधार पर निवेश करते हैं।"

उन्होंने कहा कि तुलनात्मक रूप से, सभी इमर्जिंग मार्केट्स में भारत का प्रदर्शन आगे भी बेहतर रहने का अनुमान हैं। ऐसे में ग्लोबल फंड मैनेजर कुछ समय बाद वापस चीन से भारत की ओर रुख कर सकते हैं। हालांकि भारत के बाजार के अपेक्षाकृत ऊंचे वैल्यूएशन के चलते उनका लाभ सीमित रह सकता है।

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