Wall street : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल की आलोचना के बाद केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता को लेकर बड़ी चिंता और अमेरिकी बाजारों में बिकवाली के बाद एशियाई शेयरों में गिरावट देखने को मिली है। ईस्टर की छुट्टियों के बाद हांगकांग के फिर से खुलने के साथ ही चार दिनों में पहली बार हैंगसेंग में गिरावट आई है। एशियाई बाजारों के शुरुआती सेशन के दौरान अमेरिकी बाजार में कुछ सुधार देखने को मिल रहा था। अमेरिकी इक्विटी-इंडेक्स फ्यूचर्स में सोमवार देर रात की तेजी आज भी जारी है। इस बीच डॉलर इंडेक्स 15 महीने के निचले स्तर पर आने के बाद फिर से उछला है। वहीं, 10 ईयर ट्रेजरी यील्ड में बढ़त दर्ज की गई है।
इस बीच ट्रंप ने कहा है कि टैरिफ वार्ता आगे बढ़ रही है। लेकिन इससे मार्केट के सेंटीमेंट में कोई सुधार नहीं हुआ है। बाजार में इस बात की चिंता बढ़ रही है कि ट्रंप ब्याज दरों में तेजी से कटौती करने से इनकार करने के कारण पॉवेल को हटाने की तैयारी कर रहे हैं। वॉल स्ट्रीट पर मूड बुलिश से बदलकर ‘अमेरिकी असेट बेचो’ मोड में बदल गया है। ट्रंप ने टैरिफ को एक सदी के हाई लेवल तक बढ़ाकर ग्लोबल ट्रेड में अफरातफरी फैला दी है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ट्रंप के इस कदम से महंगाई बढ़ेगी और अमेरिका मंदी की चपेट में आ जाएगा।
कैपिटल डॉट कॉम के सीनियर मार्केट एनलिस्ट काइल रोडा ने कहा,"ट्रम्प की नीतियों के कारण वैश्विक आर्थिक व्यवस्था हिल रही है, संभवतः टूट रही है, जिससे अमेरिकी बाजारों में विश्वास का संकट गहरा रहा है।"
ट्रंप ने सोमवार को ट्रुथ सोशल पर फेड अध्यक्ष पर टिप्पणी करते हुए कहा “वास्तव में ” कोई महंगाई नहीं है और यह “दरों में कटौती” का समय है। बता दें कि फेड के पसंदीदा महंगाई आंकड़े की अंतिम रीडिंग फेड के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है और अगले सप्ताह नए आंकड़े आएंगे।
नेशनल इकनोमिक काउंसिल के निदेशक केविन हैसेट ने शुक्रवार को कहा कि ट्रंप इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या वे पॉवेल को निकाल सकते हैं। इस टिप्पणी ने नए सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों में इस बात को लेकर चिंता है कि क्या यूएस फेड अपनी स्वायत्ता को बचाए रख पाएगा। राष्ट्रपति ट्रंप लगातार इस बात पर असंतोष जता रहे हैं कि यूएस फेड ने ब्याज दरों को कम करने के लिए तेज़ी से कदम नहीं उठाए हैं।
इस बीच पेपरस्टोन के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट माइकल ब्राउन ने कहा, "अगर पॉवेल को निकाल दिया जाता है, तो शुरुआती प्रतिक्रिया के चलते वित्तीय बाजारों में भारी उठापटक होगी। अमेरिकी असेट्स से बाहर निकलने की इतनी बड़ी होड़ लग जाएगी जिसकी कल्पना करना भी असंभव है। इससे न केवल फेड की स्वायत्ता स्पष्ट रूप से खतरे में पड़ जाएगी बल्कि डी-डॉलराइजेशन और दुनिया के वित्तीय बाजार से अमेरिकी आधिपत्य के खत्म होने की संभावना बढ़ जाएगी"।
इस पर हेज फंड के दिग्गजों द्वारा भी चिंता जाहिर की जा रही है। इलियट इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के फाउंडर पॉल सिंगर ने हाल ही में अबू धाबी में एक कार्यक्रम में चेतावनी दी कि अमेरिकी डॉलर अपना रिजर्व करेंसी स्टेटस खो सकता है।