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Bank Nifty में लगातार 4 दिनों की गिरावट का सिलसिला टूटा, RBI के रिस्क वेट में कटौती के फैसले ने दिखाया असर

बैंकिंग शेयरों की यह तेजी भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को दिए जाने वाले बैंक लोन पर जोखिम भार बढ़ाने के अपने पहले के फैसले को पलटने के बाद आई है। नुवामा के विश्लेषकों का मानना ​​है कि नीति में इस बदलाव का बैंक लोन ग्रोथ पर पॉजिटिव असर पड़ेगा

अपडेटेड Feb 27, 2025 पर 12:01 PM
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आरबीआई की यह नई संशोधित नीति 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगी। पिछले डेढ़ साल से कड़े नियमों के दौर के बाद,आरबीआई का नरम रुख इस सेक्टर के लिए एक स्वागत योग्य कदम है

बैंक निफ्टी ने आज लगातार चार दिन से चल रही गिरावट का सिलसिला तोड़ दिया है। 27 फरवरी को इसमें बढ़त देखने को मिल रही है। एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, इंडसइंड बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक जैसे दिग्गज शेयरों में अच्छी बढ़त देखने को मिल रही है। यह तेजी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को दिए जाने वाले बैंक ऋणों पर रिस्क वेटेज बढ़ाने के अपने पहले के फैसले को पलटने के बाद आई है। यह एक ऐसा कदम है जिससे बैंकों को बड़ी मात्रा में नकदी मिलेगी जिसका इस्तेमाल वे कर्ज देने के लिए कर सकेंगे। यह सिस्टम में नकदी बढ़ाने के नजरिए से RBI का एक अहम फैसला है।

इस खबर के चलते आज स्मॉल फाइनेंस बैंकों में भी जोरदार तेजी देखने को मिली। इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक, एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक,जन स्मॉल फाइनेंस बैंक,उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक और सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक में इंट्राडे ट्रेड में 4 फीसदी तक की तेजी आई है। आरबीआई की यह नई संशोधित नीति 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगी। कम रिस्क वेट (जोखिम भार) का मतलब है कि बैंकों को अब हाई रिस्क लोन वाल ऋणों के लिए कम पूंजी का प्रावधान करना होगा, इससे बैंकों की ऋण देने की क्षमता में सुधार होगा।

इससे पहले, 16 नवंबर, 2023 को, RBI ने NBFC को दिए जाने वाले बैंक ऋणों के रिस्क वेटेज को 25 परसेंटेज प्वाइंट तक बढ़ा दिया था। इसके कारण AAA-, AA- और A-रेटेड NBFC को दिए जाने वाले बैंक ऋणों के लिए पूंजी जरूरतों में बढ़त हुई थी। इस बदलाव के बाद, एनबीएफसी कंपनियों को बैंकों से मिलने वाले ऋण की ग्रोथ में तेजी से गिरावट आई। RBI के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2024 तक NBFCs को बैंकों से मिलने वाले कर्ज की ग्रोथ रेट सालाना आधार पर 15 फीसदी से गिरकर 6.7 फीसदी पर आ गई थी। वहीं, इसी अवधि के दौरान कुल बैंक लोन ग्रोथ रेट 20 फीसदी से धीमी होकर 11.2 फीसदी हो गई।


नुवामा के विश्लेषकों का मानना ​​है कि नीति में इस बदलाव का बैंक लोन ग्रोथ पर पॉजिटिव असर पड़ेगा और इससे आने वाले महीनों में बैंकिंग सिस्टम में नकदी की मात्रा में इजाफा होगा।

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नुवामा ने आगे कहा है कि पिछले डेढ़ साल से कड़े नियमों के दौर के बाद,आरबीआई का नरम रुख इस सेक्टर के लिए एक स्वागत योग्य कदम है। हालांकि, कुछ पॉकेट्स में असेट क्वालिटी में गिरावट को देखते हुए, बैंकों द्वारा मिड साइज के एनबीएफसी और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों (MFIs) को बहुत ज्यादा ऋण देने की संभावना नहीं है। मैक्रो स्थितियों में स्थिरता आने और सिस्टम में नकदी बढ़ने से आगे बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ में सुधार की उम्मीद है।

नुवामा की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि बंधन बैंक,आरबीएल बैंक,आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और इंडसइंड बैंक जैसे जिन बैंकों ने आरबीआई के पिछले फैसले के बाद रिस्क वेटेज बढ़या था, उन्हें अब आरबीआई के नए फैसले से सबसे ज्यादा लाभ होने वाला है।

 

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MoneyControl News

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First Published: Feb 27, 2025 11:59 AM

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