Banking Stocks: आरबीआई ने इन 5 नियमों में दी ढील, ब्रोकरेज फर्मों ने इन बैंकिंग शेयरों पर लगाया दांव
RBI New Rule: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बैंकिंग सेक्टर के लिए कई बड़े सुधारों का ऐलान किया है। इससे बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ को नई रफ्तार मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इन सुधारों के बाद ब्रोकरेज फर्मों ने लार्जकैप प्राइवेट बैंकों पर दांव लगाने की सलाह दी है। वहीं PSU बैंकों में उन्होंने SBI को प्राथमिकता दी है
Banking Stocks: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने Basel III कैपिटल एडिक्वेसी नॉर्म्स में संशोधन का ऐलान किया है
Banking Stocks: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बैंकिंग सेक्टर के लिए कई बड़े सुधारों का ऐलान किया है। इन सुधारों का मकसद है क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा देना, बैंकों की मजबूती बढ़ाना और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को आसान बनाना। इन कदमों से ब्रोकरेज फर्मों का बड़ी पूंजी वाले प्राइवेट बैंकों पर भरोसा और मजबूत हुआ है। ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि मजबूत कैपिटल बेस और पर्याप्त बफर वाले प्राइवेट बैंक इन सुधारों से सबसे ज्यादा फायदा उठा सकते हैं।
आइए RBI के इन सुधारों और ब्रोकरेज फर्मों की राय पर एक नजर डालते हैं-
1. ECL प्रावधान अप्रैल 2027 से होगा लागू
आरबीआई ने नए 'एक्सपेक्टेड क्रेडिट लॉस (ECL)' फ्रेमवर्क को अप्रैल 2027 से लागू करने का ऐलान किया है। बैंकों को इस बदलाव के लिए 5 साल का ट्रांजिशन पीरियड दिया जाएगा ताकि वे धीरे-धीरे इस मॉडल में शिफ्ट हो सकें।
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज का मानना है कि यह ट्रांजिशन पीरियड खासकर पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSU) के लिए राहत लेकर आया है, क्योंकि उन्हें एकमुश्त चार्ज के असर को कम करने का समय मिल जाएगा। दूसरी ओर, प्राइवेट बैंक, जिनकी कैपिटल पोज़शन मजबूत है, वे शायद शुरुआत में ही यह चार्ज उठा लेंगे। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का कहना है कि बड़े बैंकों में Kotak Mahindra Bank पर सबसे ज्यादा असर दिख सकता है क्योंकि उसका कैपिटल बफर कम है। वहीं, Axis Bank पर इस बदलाव का असर बहुत हल्का होगा।
नुवामा का कहना है कि ECL का सीधा असर माइक्रोफाइनेंस बैंकों पर भी देखने को मिल सकता है। इनमें एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, RBL बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और इंडसइंड बैंक शामिल हैं। सरकारी बैंकों के मौजूदा लोन पर भी असका असर हो सकता है। ब्रोकरेज ने कहा कि SBI ने करीब तीन साल पहले अपने मौजूदा लोन पोर्टफोलियो पर ₹25,000 करोड़ के शॉर्टफॉल का खुलासा किया था। ब्रोकरेज का अनुमान है कि यह कमी अब घटकर ₹20,000 करोड़ से कम रह गई होगी
2. ग्रुप बिजनेस ओवरलैप पर रोक का प्रस्ताव वापस
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ग्रुप बिजनेस के ओवरलैप पर रोक लगाने वाले प्रस्ताव को वापस ले लिया है। इस फैसले से बैंकों और उनकी एनबीएफसी (NBFC) सब्सिडियरी कंपनियों को कारोबार में अधिक लचीलापन और रेगुलेटरी स्पष्टता मिलेगी।
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि इस कदम से बैंकों को कैपिटल डिप्लॉयमेंट ज्यादा कुशलता से करने, ग्राहकों का बेहतर सेगमेंटेशन करने और बेहतर प्रोडक्ट स्ट्रक्चरिंग की सुविधा मिलेगी। इससे इन ग्रुप्स के कुल फ्रैंचाइज वैल्यू में इजाफा होगा।
जेफरीज का मानना है कि यह फैसला खासतौर पर HDFC Bank (और उसकी NBFC सब्सिडियरी HDB फाइनेंशियल सर्विसेज), कोटक महिंद्रा बैंक और एक्सिस बैंक के लिए पॉजिटिव साबित होगा। वहीं, नुवामा का कहना है कि इस कदम से कोटक महिंद्रा बैंक, HDFC बैंक, HDB फाइनेंशियल, कैनफिल होम्स, PNB हाउसिंग फाइनेंस और बजाज फाइनेंस को भी राहत मिलेगी।
3. Basel III कैपिटल एडिक्वेसी नॉर्म्स में बदलाव
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने Basel III कैपिटल एडिक्वेसी नॉर्म्स में संशोधन का ऐलान किया है। इस बदलाव से रेजिडेंशियल रियल एस्टेट (हाउसिंग) और MSME लोन पर रिस्क वेटेज कम हो सकते हैं।
ब्रोकरेज फर्म नुवामा का कहना है कि कम किए गए रिस्क वेट्स का फायदा बैंकों को ब्याज दरों में कटौती के रूप में ग्राहकों तक पहुंचाना होगा। इससे क्रेडिट ग्रोथ को तेजी मिल सकती है। वहीं मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि इस बदलाव से बैंकों की कैपिटल रिक्वायरमेंट घटेगी और कैपिटल एफिशिएंसी बेहतर होगी, खासतौर पर उन बैंकों को ज्यादा फायदा मिलेगा जिनका MSME और हाउसिंग पोर्टफोलियो बड़ा है।
हालांकि, मोतीलाल ओसवाल ने यह भी जोड़ा कि इस राहत के साथ-साथ बैंकों को मजबूत अंडरराइटिंग प्रैक्टिसेज अपनानी होंगी, ताकि रिस्क असेसमेंट में लापरवाही न हो और संभावित डिफॉल्ट्स से बचा जा सके।
4. ऑपरेशनल इंफ्रा प्रोजेक्ट्स पर NBFC लेंडिंग के लिए रिस्क वेट्स में कमी
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने NBFC की ओर से ऑपरेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में दिए जाने वाले लोन पर रिस्क वेट्स कम करने का ऐलान किया है। ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि यह कदम NBFCs के लिए कैपिटल कॉस्ट को काफी हद तक घटा सकता है, जिससे उन्हें योग्य प्रोजेक्ट्स को कम ब्याज दरों पर फंड करने में आसानी होगी।
मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि यह बदलाव इंफ्रा पाइपलाइन को मजबूत बनाएगा और NBFCs को ग्रोथ का बेहतर मौका देगा। हालांकि, ब्रोकरेज ने यह भी चेतावनी दी कि इस कदम की सफलता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि “हाई-क्वालिटी प्रोजेक्ट्स” की परिभाषा कितनी स्पष्ट है और ऑनगोइंग मॉनिटरिंग कितनी सख्ती से की जाती है, ताकि संभावित स्लिपेज से बचा जा सके।
5. क्रेडिट फ्लो बढ़ाने के लिए RBI ने इन नियमों में भी दी ढील
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य नियमों में भी ढील का ऐलान किया है।
- भारतीय बैंकों को अब इंडियन कॉर्पोरेट्स के अधिग्रहण को फाइनेंस करने की अनुमति।
- डेट सिक्योरिटीज के खिलाफ लेंडिंग पर लगी सीमा हटाई गई।
- शेयरों के खिलाफ लोन की लिमिट 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये, और IPO फाइनेंसिंग लिमिट 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी गई।
- बड़े उधारकर्ताओं (जिनकी क्रेडिट लिमिट ₹10,000 करोड़ तक है) को लोन देने पर लगी पाबंदी भी हटा दी गई।
ब्रोकरेज फर्मों का कहना इन कदमों से बैंकों की उधारी बढ़ेगी और क्रेडिट ग्रोथ को नई रफ्तार मिलेगी। जेफरीज का मानना है कि RBI के ये कदम और ट्रांजिशन टाइमलाइन क्रेडिट ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए काफी संतुलित हैं। ब्रोकरेज ने कहा कि जिन प्राइवेट बैंकों की कैपिटल एडिक्वेसी मजबूत है, उन्हें इस बदलाव का अधिक फायदा मिलेगा। जेफरीज ने HDFC बैंक, Axis बैंक और ICICI बैंक को अपनी टॉप पिक्स बताया है। वहीं PSU बैंकों में उसने SBI को प्राथमिकता दी है।
नोमुरा ने भी जेफरीज की राय से सहमति जताई है। ब्रोकरेज का अनुमान है कि बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ FY26 में सालाना आधार पर 12% की दर से बढ़ सकती है, जो अभी 10% है। नोमुरा ने कहा कि लार्जकैप बैंकों में निवेश करना ज्यादा सुरक्षित है, क्योंकि उनकी रिटर्न प्रोफाइल मजबूत है, एसेट क्वालिटी रिस्क कम है और लायबिलिटी फ्रैंचाइज़ बेहतर है। नोमुरा ने ICICI बैंक, एक्सिस बैंक और SBI को अपनी टॉप पिक्स के रुप में चुना है।
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