Bhushan Power Liquidation: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अधर में बैंकों के ₹3 लाख करोड़ का भविष्य

SC Order on Bhushan Power and Steel: भूषण पावर के लिक्विडेशन से प्रस्तावित रिजॉल्यूशन प्लान की तुलना में बहुत कम फायदा होने की संभावना है। इसलिए पब्लिक सेक्टर के बैंकों को अपनी अपेक्षित वसूली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खोना पड़ सकता है

अपडेटेड May 05, 2025 पर 9:40 PM
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जेएसडब्ल्यू स्टील के भूषण पावर सौदे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने लेनदारों, खासकर पब्लिक सेक्टर के बैंकों के लिए अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई को कर्ज में डूबी भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील के 19,700 करोड़ रुपये के रिजॉल्यूशन प्लान को खारिज कर दिया। साथ ही इसे इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) का उल्लंघन बताया। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने आईबीसी के तहत BPSL के लिक्विडेशन का भी आदेश दिया। इसके चलते इंडियन बैंकिंग सेक्टर में नई उथलपुथल दिख रही है।

JSW स्टील ने 2021 में BPSL में शुरू में 49% हिस्सेदारी हासिल की थी और उस साल अक्टूबर तक इसे बढ़ाकर 83.3% कर दिया था। हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा 47,204 करोड़ रुपये के बड़े बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में BPSL को मार्क करने के बाद कानूनी परेशानियां बढ़ गईं। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में उन कार्यवाहियों को रद्द कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले ने JSW के अधिग्रहण को रद्द कर दिया और ऋणदाताओं के लिए वसूली प्रक्रिया को जटिल बना दिया।

जेएसडब्ल्यू स्टील के भूषण पावर सौदे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने लेनदारों, खासकर पब्लिक सेक्टर के बैंकों के लिए अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है। इन बैंकों के लिए भूषण पावर सौदे मामले में अपने वसूली योग्य बकाया को खोने का जोखिम पैदा हो गया है।


अधर में हैं ₹3.13 लाख करोड़ के दावे

कथित तौर पर भारतीय बैंकों का BPSL पर कुल 3.13 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। ब्रोकरेज के अनुमान के अनुसार, इसमें से पहले संभावित वसूली लगभग 1.22 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी। सबसे ज्यादा 9,800 करोड़ रुपये का दावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) का था, जिसमें ₹3,930 करोड़ या उसके नेटवर्थ का 0.9% की संभावित वसूली शामिल है। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने ₹6,100 करोड़ का दावा किया और ₹2,440 करोड़ या 1.94% की वसूली की उम्मीद है। केनरा बैंक का दावा ₹3,700 करोड़ का था और वसूली का अनुमान ₹1,490 करोड़ या 1.52% था। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का दावा ₹3,200 करोड़ था और वह ₹1,280 करोड़ या 1.15% की वसूली कर सकता है। इंडियन ओवरसीज बैंक को ₹1,000 करोड़ के दावे में से ₹420 करोड़ या 1.44% की वसूली की उम्मीद है। वहीं इंडियन बैंक ₹2,600 करोड़ के दावा से ₹1,060 करोड़ या 1.59% की वसूली कर सकता है।

इसके अलावा एक्सिस बैंक ने ₹900 करोड़ का दावा किया और ₹350 करोड़ या 0.2% की वसूली की उम्मीद है। जेएंडके बैंक और करूर वैश्य बैंक ने ₹400 करोड़ का दावा किया था, जिसमें से ₹170 करोड़ या 1.25% और ₹140 करोड़ या 1.23% की वसूली की उम्मीद थी। आईडीबीआई बैंक ने ₹600 करोड़ का दावा किया और ₹230 करोड़ या 0.42% की वसूली कर सकता है।

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भूषण पावर में एक्सपोजर वाले बैंकों के लिए इस फैसले का क्या मतलब

भूषण पावर के लिक्विडेशन से प्रस्तावित रिजॉल्यूशन प्लान की तुलना में बहुत कम फायदा होने की संभावना है। इसलिए पब्लिक सेक्टर के बैंकों को अपनी अपेक्षित वसूली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खोना पड़ सकता है। बड़े जोखिम को देखते हुए, यह देखना बाकी है कि इसका बैलेंस शीट पर कितना असर होगा और आने वाली तिमाहियों में प्रावधान पर क्या असर होगा।

सीएनबीसी-टीवी18 की रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि वैकल्पिक कानूनी उपाय या एक नया रिजॉल्यूशन प्लान अभी भी सामने आ सकता है। हालांकि, जब तक ऐसा कोई रास्ता नहीं निकाला जाता, तब तक बैंकों के ₹3 लाख करोड़ से अधिक के बकाया का भाग्य अधर में लटका हुआ है।

इन 2 उल्लंघनों से रिजॉल्यूशन प्लान हुआ अमान्य

सीएनबीसी-टीवी18 की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने दो मुख्य उल्लंघनों का हवाला देते हुए रिजॉल्यूशन प्लान को अमान्य करार दिया है। ये उल्लंघन हैं..

अनुचित पेमेंट स्ट्रक्चर: जेएसडब्ल्यू स्टील ने शुद्ध इक्विटी के बजाय इक्विटी और वैकल्पिक रूप से कनवर्टिबल डिबेंचर (ओसीडी) के मिक्स का इस्तेमाल किया, जो आईबीसी के विपरीत है।

एग्जीक्यूशन में देरी: अधिग्रहण कानूनी रूप से निर्धारित समय सीमा के अंदर पूरा नहीं हुआ।

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