भूषण पावर के अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का असर इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन के बड़े मामलों पर पड़ेगा। जेएसडब्ल्यू स्टील ने 2019 में भूषण पावर का अधिग्रहण 19,350 करोड़ रुपये में किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिग्रहण को रद्द कर दिया है। साथ ही उसने कंपनी के लिक्विडेशन का भी आदेश दिया है। भूषण पावर को कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों ने रिजॉल्यूशन प्रोसेस को चैलेंज किया था। उनकी दलील थी कि उनके दावों की अनदेखी की गई और रिजॉल्यूशन प्रोसेस में कई तरह की कमियां थीं। उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने रिजॉल्यूशन प्रोसेस में रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) और कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) की भूमिका पर विचार किया।
सुप्रीम कोर्ट को रिजॉल्यूशन प्रोसेस में कई कमियां मिलीं
सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई को अपने फैसले में रिजॉल्यूशन प्रोसेस से जुड़ी खामियों और कानून के उल्लंघन के बारे में बताया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने रिजॉल्यूशन प्रोसेस में लगे समय पर भी सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि JSW Steel के रिजॉल्यूशन प्लान को CoC ने 10 अक्टूबर, 2018 को मंजूरी दी। लेकिन, रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) को यह प्लान 14 फरवरी, 2019 को सौंपा। यह 270 दिन की कानूनी लिमिट से ज्यादा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस देरी की कोई सही वजह नहीं बताई गई। इस वजह से कानून के तहत यह प्रोसेस निरस्त हो जाता है।
JSW Steel की योग्यता की भी जांच नहीं की गई
देश के सबसे बड़े कोर्ट ने रिजॉल्यूशन प्रोसेस में लगे ज्यादा समय के अलावा RB और CoC की भूमिका पर भी सवाल उठाए। कोर्ट का मानना है कि RP आईबीसी के सेक्शन 29ए के तहत JSW Steel की योग्यता (eligibility) की जांच करने में नाकाम रहा। इस सेक्शन में कुछ खास लोगों और उनसे जुड़ी कंपनियों को रिजॉल्यूशन प्लान सब्मिट करने से रोका गया है। कोर्ट ने यह पाया कि RP ने ठीक तरह से यह जांच नहीं की कि JSW Steel या एनटिटीज उसके प्रमोटर्स से जुड़ी थीं और इससे ये सभी उन लोगों की कैटेगरी में आते थे, जिन्हें रिजॉल्यूशन प्रोसेस में प्लान सब्मिट करने की इजाजत नहीं थी।
रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने नियमों का पालन नहीं किया
RP सेक्शन 30(2) के नियमों का पालन करने में भी नाकाम रहा। CoC ने इन कमियों के बावजूद रिजॉल्यूशन प्लान को इजाजत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे उन व्यावसायिक फैसले की अनदेखी हुई, जिसका मकसद क्रेडिटर्स के हितों की रक्षा है। रिजॉल्यूशन प्रोसेस के एप्रूवल के बाद जेएसडब्ल्यू के आचरण की जांच जरूरी हो गई। हालांकि, NCLT ने 5 सितंबर, 2019 को रिजॉल्यूशन प्रोसेस को मंजूरी दे दी थी, लेकिन JSW Steel ने बगैर किसी कानूनी बाधा के रिजॉल्यूशन प्रोसेस में देर की। फाइनेंशियल क्रेडिटर्स को पेमेंट मार्च 2021 तक टाल दिया गया।
जेएसडब्ल्यू स्टील ने निवेश का वादा भी पूरा नहीं किया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेएसडब्ल्यू स्टील ने इक्विटी में 8,550 करोड़ रुपये के निवेश का अपना वादा भी पूरा नहीं किया। इसकी जगह उसने NCLAT में अपील फाइल कर दी। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि यह अपील सुनवाई योग्य नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि रिजॉल्यूशन प्रोसेस में देरी तब की गई जब स्टील की कीमतें बढ़ रही थीं। इससे यह संकेत मिलता है कि कंपनी ने जानबूझकर बढ़ी हुई कीमतों का फायदा उठाने के लिए देर की थी।
अब जेएसडब्ल्यू स्टील के पास क्या-क्या रास्ते
सुप्रीम कोर्ट के लिक्विडेशन के ऑर्डर और रिजॉल्यूशन प्लान को रद्द करने के आदेश को देखते हुए अब JSW Steel के पास सीमित विकल्प रह गए हैं। कानून के जानकारों का कहना है कि कंपनी रिव्यू या क्यूरेटिव पिटिशन फाइल कर सकती है। लेकिन, इसकी सफलता की उम्मीद काफी कम है। कंपनी CoC से बातचीत की भी कोशिश कर सकती है। वह लिक्विडेशन के दौरान एसेट की बिक्री की प्रक्रिया में हिस्सा ले सकती है। कंपनी CoC के मार्च 2020 की अंडरटेकिंग के रिफंड क्लॉज को लागू करने की भी मांग कर सकती है। वह इनकम टैक्स डिपार्टमेंट या मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के जरिए टैक्स में राहत या रेगुलेटरी एडजस्टमेंट की भी मांग कर सकती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि NCLT इसके लिए सही फॉरम नहीं है।