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Credit Suisse ने घटाई भारत की रेटिंग, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने दिखाया असर

क्रेडिट सुईस ने कहा है कि भारत की हमारी द्वारा कि गई डाउनग्रेडिंग ‘tactical’ है और यह कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से की गई है.

अपडेटेड Mar 08, 2022 पर 11:15 AM
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क्रेडिट सुईस ने आगे कहा कि वह भारतीय बाजारों से मिले अपने पैसे को चाइना के बाजारों में लगाएगी। क्रेडिट सुईस ने यह भी कहा कि एशिया में भारत कच्चे तेल की कीमतों को लेकर सबसे संवेदनशील बाजार है.

CNBC-TV18 की 8 मार्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक रेटिंग एजेंसी क्रेडिट सुईस ने भारत की रेटिंग ‘Overweight’से घटाकर ‘Underweight’कर दी है। इसकी वजह कच्चे तेल की कीमतों में आ बढ़ोतरी है। क्रेडिट सुईस ने सीएनबीसी टीवी 18 को बताया है कि हमने भारत रेटिंग को रणनीतिक नजरिए ओवरवेट से घटाकर अंडरवेट किया है और भारतीय बाजार में री-एंटर करने के मौके के तलाश में है।

इस बयान में क्रेडिट सुईस ने आगे कहा है कि भारत की हमारी द्वारा कि गई डाउनग्रेडिंग ‘tactical’ है और यह कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से की गई है। कच्चे तेल की कीमतें करेंट अकाउंट पर दबाव डालती हैं और बाजार स्थितियों पर दबाव बनाती हैं। इसके अलावा यूएस फेड की तरफ से रेट हाईक की बढ़ती संभावना भी बाजार पर दबाव बनाने का काम कर रही है ।

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क्रेडिट सुईस चाइनीज बाजार पर बुलिश

क्रेडिट सुईस ने आगे कहा है कि अभी भी उसको भारत का पॉजिटीव EPS रीविजन और क्रेडिट और प्रॉपर्टी साइकिल में उसकी स्थिति अच्छी नजर आ रही है। क्रेडिट सुईस ने आगे कहा कि वह भारतीय बाजारों से मिले अपने पैसे को चाइना के बाजारों में लगाएगी। क्रेडिट सुईस ने यह भी कहा कि एशिया में भारत कच्चे तेल की कीमतों को लेकर सबसे संवेदनशील बाजार है। इनके बाद फिलीपीन्स के बाजार पर भी कच्चे तेल की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव का असर देखने को मिलता है। इसके अलावा महंगा वैल्यूएशन भी इन बाजारों में शॉर्ट टर्म के लिए एक जोखिम है।

कच्चे तेल में उबाल

गौरतलब है कि रूस के तेल पर प्रतिबंध की संभावना के चलते अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें शिखर पर नजर आ रही है। इसके साथ ही दुनिया भर में महंगाई में जोरदार बढ़ोतरी का खतरा नजर आ रहा है। कच्चे तेल की कीमतें 2008 के बाद अपने सबसे हाइएस्ट लेवल पर पहुंच गई है। अमेरिका और उसके यूरोपियन सहयोगी देश रूस के ऑयल एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि कई नाटो देशों में इसको लेकर मतभेद है। इस बीच इस बात की संभावना भी कम नजर आ रही है कि ईरानियन क्रूड ऑयल जल्द ही बाजार में आता दिखेगा।

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