Union Budget : चीन से भारत में स्टील की डंपिंग लगातार जारी है। ऐसे में स्टील कंपनियों ने सरकार से स्टील इंपोर्ट पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की मांग की है जिसकी जांच DGTR ने शुरू भी कर दी है। इसका एलान बजट में होने की उम्मीद है। क्या है पूरी खबर और क्या होगा इसका असर, इसकी जानकारी देते हुए सीएनबीसी-आवाज़ की मिताली जैन ने बताया कि घरेलू स्टील कंपनियों के लिए राहत की खबर है।
DGTR ने स्टील इंपोर्ट पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है। इंडियन स्टील एसोसिएशन ने 7.5 -15 फीसदी सेफगार्ड ड्यूटी की मांग की थी। आगामी बजट में सेफगार्ड ड्यूटी का एलान हो सकता है। चीन भारत में अपने यहां बने स्टील की डंपिंग भारत में कर रहा है। जिससे भारतीय स्टील कंपनियां परेशान हैं।
क्यों भारत में स्टील भर रहा है चीन?
चीन से भारत में हो रही डंपिंग की वजह पर नजर डालें तो चीन के रियल एस्टेट में सुस्ती इसका एक बड़ा कारण है। चीन में सरप्लस स्टील और इकोनॉमी में धीमापन है। चीन का स्टील काफी सस्ता है। इसको सब्सिडी के साथ एक्सपोर्ट किया जाता है। वित्त वर्ष 2024 में कुल इंपोर्ट में चीन का सालाना आधार पर 23 फीसदी के मुकाबले 32 फीसदी हिस्सा रहा है।
स्टील की मौजूदा कीमतों पर नजर डालें तो ये भारत में 56,500 रुपए प्रति टन पर हैं। चीन में इसका दाम 49,799 प्रति टन रुपए है। अगर चीन के स्टील पर 15 फीसदी ड्यूटी लगा दी जाती है तो इसका भाव 53,273 रुपए प्रति टन के आसपास आ जाएगा।
स्टील पर ड्यूटी बढ़ने से टाटा स्टील, JSW स्टील औऱ SAIL को सीधा फायदा होगा। स्टील के इंपोर्ट वॉल्यूम में 30-40 फीसदी तक गिरावट आ सकती है। वहीं, 2-3 मिलियन टन उत्पादन भी बढ़ सकता है। ड्यूटी बढ़ाने के असर पर बात करते हुए स्टील सचिव संदीप पौंड्रिक ने कहा कि इसका सीमित असर होगा। क्योंकि भारत में 62 फीसदी स्टील इंपोर्ट FTAs के तहत होता है। प्रस्तावित बढ़ोतरी केवल गैर-FTA देशों पर लागू होगी। गैर FTA देशों से होने वाले आयात पर प्रभाव की बात करें तो गैर FTA देशों से 32 लाख टन स्टील इंपोर्ट होता है। कुल स्टील इंपोर्ट में गैर FTA देशों का हिस्सा 38 फीसदी हिस्सा है।
ग्राहकों पर असर की बात करें तो स्टील पर ड्यूटी बढ़ाने से कंस्ट्रक्शन और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की लागत बढ़ेगी। इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के लिए कच्चा माल महंगा होगा।