China Stocks: एक तरफ भारत के शेयर बाजारों में जहां बिकवाली हो रही है। वहीं दूसरी ओर चीन और हांगकांग के शेयर बाजारों का मार्केट कैप महज 15 कारोबारी दिन में करीब 3.2 ट्रिलियन डॉलर बढ़ गया है। यह उछाल चीन की ओर से हाल ही में उठाए गए कई बड़े आर्थिक कदमों के बाद आया है। इसमें ब्याज दरों में कटौती और चुनौतियों से जूझ रहे सेक्टर्स को वित्तीय समर्थन देने जैसे कदम शामिल है। चीन उन उपायों के जरिए अपनी सुस्त होती अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूकना चाहता है। 2 अक्टूबर तक चीन का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन बढ़कर 10.1 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया, जो दो कारोबारी हफ्ते पहले 13 सितंबर को 7.95 ट्रिलियन डॉलर था। इस अवधि में इसका मार्केट कैप लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर बढ़ा है, जो स्विट्जरलैंड, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के बाजार पूंजीकरण के बराबर है।
हांगकांग का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन इस दौरान 4.79 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 6 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया। पिछले 15 कारोबारी दिन में यह 1.25 ट्रिलियन डॉलर से अधिक बढ़ा है। यह बढ़ोतरी स्वीडन, नीदरलैंड्स, UAE, डेनमार्क, स्पेन और इंडोनेशिया जैसे देशों के मार्केट कैप के बराबर है।
चीन के ऐलानों के बाद से शंघाई कंपोजिट इंडेक्स पर करीब 37 कंपनियों के शेयर की कीमतों में 100 प्रतिशत से अधिक की उछाल हुई, जबकि 200 से अधिक कंपनियों के शेयर 40 से 87 प्रतिशत तक बढ़े। वहीं हांग सेंग इंडेक्स पर 19 कंपनियों में 50 से 100 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई, जबकि 50 कंपनियों में 10 से 40 प्रतिशत तक की उछाल आई।
नीतिगत कदम और ब्याज दरों में कटौती
चीन के केंद्रीय बैंक, पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) ने अपनी मुख्य ब्याज दर को 1.7% से घटाकर 1.5% कर दिया है। साथ ही, बैंकों के लिए रिक्वायर्ड रिजर्व रेशियो (RRR) को 0.50 प्रतिशत कम कर दिया गया है, जिससे लगभग 1 ट्रिलियन युआन (लगभग 142 अरब डॉलर) की नकदी अर्थव्यवस्था में डाली गई। इन कदम से हाउसिंग लोन की दरों में औसतन 0.50 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है, जिससे लगभग 50 लाख घरों को लाभ होगा और उन्हें ब्याज में लगभग 150 अरब युआन ($21.1 बिलियन) की बचत होगी।
शेयर बाजार की रिकवरी पर फोकस
चीन ने अपने शेयर बाजार में भी जान फूंकने के उपाय किए हैं। इसके तहत ब्रोकर्स के लिए 500 अरब युआन ($71 बिलियन) का स्वैप सुविधा लॉन्च किया गया है। साथ ही सूचीबद्ध कंपनियों को शेयर बायबैक में सहायता देने के लिए रिफाइनेंस के ऑप्शंस दिए हैं। सरकार ने अपने वित्तीय खर्चों बढ़ोतरी की है, जो पहले के सतर्क नजरिए से हटकर एक नया रुख दिखाता है।
इन उपायों से सितंबर महीने के दौरान CSI300 इंडेक्स में 21 प्रतिशत की उछाल आई, जो 2014 के बाद की सबसे बड़ी उछाल है। वहीं शंघाई कंपोजिट में 17 प्रतिशत की तेजी आई, जो 2015 के बाद का इसका सबसे अच्छा प्रदर्शन है। हांग सेंग इंडेक्स में भी 17 फीसदी की उछाल देखी गई, जो नवंबर 2022 के बाद इसका सबसे अच्छा प्रदर्शन था।
चीन का लक्ष्य अपनी जीडीपी ग्रोथ रेट को 5% के आसपास बनाए रखना है। पिछले कुछ समय से प्रॉपर्टी मार्केट में मंदी और मैन्युफैक्चरिंग में कंपनियों का चीन से बाहर फोकस करने से उसकी इकोनॉमी ग्रोथ धीमी हई थी। साथ ही क्लीन एनर्जी पर फोकस ने चीन को दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो निर्यातक बना दिया है। हालांकि चीन की इस सेगमेंट में नीतियां अभी तक इंडस्ट्री को समर्थन देने वाली थीं, जिससे वहां खपत में कमी देखी जा रही है। एनालिस्ट्स के मुताबिक, चीन की नए ऐलानों ने शेयर बाजार को एक नई दिशा दी है, लेकिन अभी यह देखा जाना बाकी है यह नीति लंबे समय में कैसे प्रभावी रहती है।