Pharma Stocks: फार्मा सेक्टर में गिरावट पर निवेश का बेहतरीन मौका, ब्रोकरेज ने लॉन्ग टर्म के लिए खरीदारी की दी सलाह

Pharma Stocks: रेसिप्रोकल टैरिफ एक ऐसा उपाय है, जिसमें एक देश दूसरे देश से आयात पर वही शुल्क लगाता है, जो दूसरा देश अपने निर्यात पर लगाता है। उदाहरण के लिए, अगर भारत किसी खास प्रोडक्ट पर 5 फीसदी टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी उसी के बराबर टैरिफ लगाकर जवाब दे सकता है

अपडेटेड Feb 15, 2025 पर 5:49 PM
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Pharma sector: निफ्टी फार्मा इंडेक्स में शुक्रवार के कारोबार में करीब 2 फीसदी की गिरावट आई है।

Pharma sector: निफ्टी फार्मा इंडेक्स में शुक्रवार के कारोबार में करीब 2 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले पांच दिनों में यह इंडेक्स करीब 4.3 फीसदी टूट चुका है। वहीं, इस साल अब तक इसमें करीब 11 फीसदी की गिरावट आई है। इस गिरावट के बावजूद ब्रोकरेज फर्म एलारा इस सेक्टर को लेकर बुलिश बनी हुई है। ब्रोकरेज का मानना है कि यह करेक्शन खरीदारी करने का शानदार मौका है।

बाजार की धारणा को प्रभावित करने वाली एक प्रमुख चिंता यह है कि अमेरिका भारतीय फार्मास्युटिकल निर्यात पर टैरिफ लगा सकता है। अगर ऐसा हुआ, तो इससे अमेरिकी बाजार में भारतीय दवाओं की लागत बढ़ जाएगी, जिससे कीमतों पर दबाव पड़ेगा और कंपटीशन कम हो सकती है। हालांकि, फिलहाल अमेरिकी प्रशासन की ओर से ऐसे किसी टैरिफ को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ? 


रेसिप्रोकल टैरिफ एक ऐसा उपाय है, जिसमें एक देश दूसरे देश से आयात पर वही शुल्क लगाता है, जो दूसरा देश अपने निर्यात पर लगाता है। उदाहरण के लिए, अगर भारत किसी खास प्रोडक्ट पर 5 फीसदी टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी उसी के बराबर टैरिफ लगाकर जवाब दे सकता है।

2023 में अमेरिका को भारत का फार्मास्युटिकल निर्यात लगभग $7.6 अरब का था, जबकि भारत ने अमेरिका से लगभग $60 करोड़ की दवाएं आयात कीं। वर्तमान में, भारत फार्मा आयात पर 10 फीसदी टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय फार्मास्युटिकल इंपोर्ट पर कोई टैरिफ नहीं लेता। अगर अमेरिका रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का फैसला करता है, तो यह भारतीय दवा कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में कीमतों की रणनीति और कंपटीशन को प्रभावित कर सकता है।

रेसिप्रोकल टैरिफ का भारत के फार्मा सेक्टर पर क्या होगा असर?

ब्रोकरेज फर्म एलारा के अनुसार, भारतीय फार्मा पर रेसिप्रोकल टैरिफ का प्रभाव ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि 13 फरवरी को जारी व्हाइट हाउस की फैक्ट शीट में फार्मा सेक्टर को निशाना बनाने वाले किसी विशेष उपाय का उल्लेख नहीं किया गया। इससे संकेत मिलता है कि फिलहाल ऐसे टैरिफ भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए कोई बड़ा जोखिम नहीं हैं।

गिरावट में खरीदारी की सलाह

एलारा का मानना है कि अगर अमेरिका टैरिफ लागू भी करता है, तो इसका कुल प्रभाव बहुत कम रहेगा। एलारा का मानना ​​है कि फार्मा सेक्टर में चल रही बिकवाली जस्टिफाइड नहीं है। ब्रोकरेज फर्म को मौजूदा वैल्यूएशन आकर्षक लगता है। उसने इस बात पर जोर दिया है कि सेक्टर की अर्निंग विशेष रूप से कमजोर नहीं रही है। इन फैक्टर्स को देखते हुए एलारा का मानना है कि हालिया गिरावट फार्मा सेक्टर की लॉन्ग टर्म ग्रोथ पोटेंशियल का लाभ उठाने की चाहत रखने वाले निवेशकों के लिए एक बेहतरीन मौका है।

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