गो इंडिया स्टॉक्स डॉट कॉम (Go India Stocks.com) के फाउंडर राकेश अरोड़ा के मुताबिक निफ्टी मेटल साल 2023 की शुरुआत से अब तक सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला सेक्टोरल इंडेक्स रहा है। कैलेंडर वर्ष 2023 की शुरुआत से अब तक मेटल इंडेक्स 18 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है। इसके बाद सबसे ज्यादा गिरावट पीएसयू बैंक और रियल्टी इंडेक्स में देखने को मिली है। एनएसई के आंकड़ों के मुताबिक मेटल इंडेक्स ने इस अवधि में निफ्टी की तुलना में काफी कमजोर प्रदर्शन किया है। निफ्टी में इस कैलेंडर ईयर में अब तक 6 फीसदी की ही गिरावट हुई है। जबकि मेटल इंडेक्स 18 फीसदी से ज्यादा टूटा है। राकेश का कहना है कि इस साल की दूसरी छमाही में इस सेक्टर के मार्जिन में सुधार देखने को मिल सकता है।
राकेश अरोड़ा ने क्रेडिट स्विस (Credit Suisse) के तरलता संकट (liquidity crisis) के बारे में बात करते हुए कहा कि अभी यह देखा जाना बाकी है कि इस संकट का ओर कितना विस्तार हो सकता है। ये भी देखना होगा कि केंद्रीय बैंकों ने संकट से निपटने का कितना अनुभव प्राप्त किया है और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कितनी तेजी से कदम उठा रहे हैं।
क्रेडिट सुइस संकट से भारत में होने वाले विदेशी निवेश पर होगा निगेटिव असर
राकेश अरोड़ा ने क्रेडिट स्विस संकट के भारत में होने वाले विदेशी संस्थागत निवेश पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी बात की। इसके अलावा उन्होंने इस संकट के पूरे भारतीय बाजार पर पड़ने प्रभाव पर भी टिप्पणी की। उन्हें कहा कि उम्मीद है कि इस संकट के चलते आगे भारत में विदेशी संस्थागत निवेश में सुस्ती देखने को मिलेगी। यही नहीं भारत सहित दूसरे तमाम उभरते बाजारों को जोखिम भरे बाजार के रूप में देखा जाएगा। अरोड़ा का मनना है कि निफ्टी आगे हमें 16800 और 18000 के बीच कंसोलीडेट होता नजर आ सकता है। जब तक ग्लोबल मैक्रो स्थियां स्पष्ट नहीं हो जाती तब तक निफ्टी हमें इसी दायरे में घूमता दिखेगा।
क्रेडिट स्विस संकट के ज्यादा फैलने की आशंका नहीं
क्रेडिट स्विस संकट पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि अभी हमें इस बात का अंदाजा नहीं है कि ये संकट कितना फैल सकता है। क्योंकि यूएस फेड ने ब्याज दरों में काफी तेजी से और काफी ज्यादा मात्रा में बढ़ोतरी की है। ऐसे में अभी ये देखना होगा कि ये संक्रमण कितना बड़ा है। लेकिन अभी इतना तो कहा जा सकता है कि ये संकट 2008 के वित्तीय संकट जैसा गंभीर नहीं। दूसरे सरकार और केंद्रीय बैंक ने 2008 के संकट से बहुत कुछ सीखा है। ऐसे में इस संकट से निपटने के लिए बड़ी तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि स्थितियां तेजी से नियंत्रण में आ जाएंगी और एक बार फिर से हमें 2008 जैसा संकट देखने को नहीं मिलेगा।
बैंकिंग और आईटी सेक्टर पर क्रेडिट स्विस संकट के संभावित प्रभाव पर बात करते हुए राकेश अरोड़ा ने कहा कि आईटी सेक्ट पर इसके दो तरह के प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। पहला ये है कि कुछ कंपनियों ने एसवीबी (SVB)में अपने पैसे जमा कर रखे हैं। इस मामले में अच्छी बात ये है कि अमेरिकी सरकार ने आश्वासन दिया है कि SVB जमाकर्ताओं का पैसा सुरक्षित है। इसलिए ऐसा लगता है कि SVB में जमा कंपनियों के पैसे को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है।
आईटी शेयरों में अभी और हो सकता है करेक्शन
लेकिन दूसरी बड़ी बात यह है कि एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) आईटी कंपनियों में पैसे लगाने वाले सबसे बड़े निवेशक होते हैं। ऐसे में अगर ग्लोबल बैंक दबाव में होंगे तो निश्चिततौर पर आईटी शेयरों की मांग में कमी आएगी। बता दें कि तमाम ग्लोबल बैंक भारतीय आईटी सेक्टर में भारी निवेश करते रहे हैं। ऐसे में अगर इन बैंकों पर दबाव आता है तो वे स्वाभाविक तौर पर अपना निवेश घटाएंगे या कम करेंगे। ये भी साफ है कि तमाम करेक्शन के बावजूद अभी भी भारतीय आईटी कंपनियों का वैल्यूशन सस्ता नहीं है। ऐसे में हमें आईटी शेयरों में यहां से और करेक्शन देखने को मिल सकता है।
डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।
हिंदी में शेयर बाजार, स्टॉक मार्केट न्यूज़, बिजनेस न्यूज़, पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App डाउनलोड करें।