Germinate Investor Services LLP के फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर संतोष जोसेफ (Santosh Joseph) ने देश की इकोनाॉमी, बाजार की वर्तमान दशा और आगे की दिशा पर मनीकंट्रोल से लंबी बातचीत की। इस चर्चा में उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध, दूनिया कई अन्य जगहों पर जियोपॉलिटिकल तनाव और कुछ देशों में कोविड के ताजा प्रकोप ने लोगों को परेशान कर रखा है। ऐसी स्थिति में एक निवेशक के नजरिए से बेहतर यही होगा कि आप अपने निवेश लक्ष्यों को ध्यान में बनाएं रखते हुए अपने निवेश में लंबी अवधि के लिए टिके रहें। बाजार के शॉर्ट-टर्म मोमेंटम को देखकर घबराएं नहीं। बाजार में शॉर्ट टर्म की उठापटक को बहुत तवज्जो न दें।
संतोष जोसेफ का कहना है कि नतीजों के मौसम में ध्यान देने लायक प्रमुख बिंदुओं में से एक है कंपनियों पर पड़ा महंगाई का प्रभाव और दूसरा बिंदु है मांग में आया उछाल। हालांकि मांग में आई तेजी से भी महंगाई बढी है। मंगाई एक बड़ी चुनौती है ये जल्दी से खत्म होने वाली नहीं है। उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि चौथी तिमाही के नतीजों से इस बात के साफ संकेत हैं कि बाजार अभी मुश्किलों के दौर से बाहर नहीं है।
दुनिया भर के बाजारों में जारी भारी उठापटक पर बात करते हुए संतोष जोसेफ ने कहा कि हाल के दिनों में पूरी दुनिया में मंहगाई में भारी बढ़ोतरी देखने के मिली है। पिछले दे सालों के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में नाटकीय उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। कोविड-19 महामारी को शुरुआत के साथ ही दुनिया भर में मंदी का भय पैदा हो गया और ये डर महंगाई की ओर शिफ्ट हो गया है। हाल की इस डर को कुछ ज्यादा ही बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है। महंगाई को रोकने को लिए सरकारें अपने स्तर पर कोशिश कर रही हैं।
एक निवेशक के नजरिए से कहें तो हमारा साफ संदेश है कि आपको इस तूफान से गुजरना ही होगा। तुफान के गुजरने का इंतजार करें। कच्चे तेल की कीमतें और महंगाई इस समय असामान्य स्तरों पर हैं। देर सबेर ये अपने सामान्य स्तरों पर आ जाएंगी। स्थितियों को सामान्य होने में कुछ समय तो लगता ही है।
बाजार की वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस समय बाजार में दिख रही रिकवरी किसी ट्रेंड रिवर्सल या बाजार में बाउंसबैक का पक्का संकेत नहीं है। बीच-बीच में आने वाले इस तरह के पुल बैक मंदी वाले बाजार (डाउनट्रेंड) में भी देखने को मिलते हैं, बाजार किसी भी स्थिति में एक तरफा नहीं चलता। किसी डाउनट्रेंड में बाजार गिरता है फिर वो थोड़ा ठीक हो जाता है और फिर वापस उसमें पहले से बड़ी गिरावट आती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि भारतीय बाजार में और गिरावट आएगी या फिर इसका बॉटम बन चुका है और अब यहां से तेजी आएगी। हम यहां इस तरह की कोई राय नहीं जारी कर रहे हैं।
ट्रेडर के नजरिए से बात करें तो जब तक आपको बाजार में हाल के हाई या लो से किसी भी तरफ निर्णायक ब्रेकआउट देखने को नहीं मिलता, तब तक ये कहना बहुत मुश्किल है कि बाजार अब किधर की तरफ रुख करेगा। ऐसी स्थिति में डेली ट्रेडिंग की गतिविधि से दूर रह सकते हैं तो यह सबसे बेहतर रणनीति रहेगी।
वहीं, एक निवेशक के नजरिए से देंखें तो बाजार की वोलैटिलिटी में पोर्टफिलियो में क्वालिटी शेयर जोड़ने के अच्छे मौके मिल सकते हैं। हाल की गिरावट में काई अच्छे शेयर सस्ते में मिल रहे हैं। इनको लंबी अवधि के नजरिए से पोर्टफोलियो में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा अगर आप अपने पोर्टफोलियो में शामिल किसी स्टॉक के आउटलुक को लेकर आश्वस्त नहीं हैं तो गिरावट के इस दौर में बीच-बीच में आने वाले किसी पुलबैक में इस तरह के शेयर से निकल जाएं।
कहां करें निवेश? इस सवाल का जवाब देते हुए संतोष जोसेफ ने कहा कि करेक्शन के बाद इस समय स्मॉल और मिडकैप सेक्टर काफी अच्छे नजर आ रहे हैं। अब अगर यहां से इनमें और करेक्शन आता है तो ये वैल्यू जोन में चले जाएंगे। ऐसे में जो लोग पिछले 6 से 12 महीनों में इस स्पेस में निवेश का मौका चूक गए हैं अब उनके लिए काफी अच्छे मौके नजर आ रहे हैं।
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