सीमेंट कंपनियों के परफॉर्मेंस में सुधार आ रहा है। सीमेंट की डिमांड धीरे-धीरे बढ़ रही है। कंपनियों ने हाल में सीमेंट की कीमतें भी बढ़ाई हैं। इसके बावजूद क्रूड ऑयल और कोयले की कीमतें बढ़ने का असर कंपनियों के प्रॉफिट और मार्जिन पर पड़ा है। सीमेंट के उत्पादन में दोनों का इस्तेमाल बतौर इनपुट्स होता है।
मार्च तिमाही (जनवरी-मार्च) में लगातार दूसरी तिमाही सीमेंट कंपनियों की बिक्री 10 फीसदी से कम बढ़ी। 35 सीमेंट कंपनियों की बिक्री 6 फीसदी बढ़ी। तिमाही दर तिमाही आधार पर प्रॉफिट 72 फीसदी बढ़ा। लेकिन, साल दर साल आधार पर प्रॉफिट 11 फीसदी तक गिर गया।
सीमेंट कंपनियों के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में साल दर साल आधार पर 17 फीसदी गिरावट आई। लगातार तीसरी तिमाही ऑपरेटिंग प्रॉफिट गिरा। तिमाही दर तिमाही आधार पर ऑपरेटिंग प्रॉफिट 28 फीसदी बढ़ा। बीती चार तिमाही में पहली बार ऑपरेटिंग प्रॉफिट बढ़ा है। एनालिस्ट्स का कहना है कि मार्च तिमाही में डिमांड बढ़ी है। हालांकि, यह तिमाही आम तौर पर सीमेंट कंपनियों के लिए अच्छी रहती है।
सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट का प्रॉफिट मार्च तिमाही में साल दर साल आधार पर 38 फीसदी बढ़कर 2,454 करोड़ रुपये रहा। इस दौरान रेवेन्यू 10 फीसदी बढ़कर 15,767 करोड़ रुपये रहा। ऑपरेटिंग मार्जिन 19.5 फीसदी रहा। एक साल पहले ऑपरेटिंग मार्जिन 25.6 फीसदी था। अल्ट्राटेक की एनर्जी कॉस्ट 48 फीसदी बढ़ी। इसकी वजह पेट कोक और कोल की कीमतों में बड़ा उछाल है। कच्चे माल की कॉस्ट 7 फीसदी बढ़ी।
अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी का कंसॉलिडेटेड प्रॉफिट मार्च तिमाही में 30-30 फीसदी घटा। ACC का कंसॉलिडेटेड प्रॉफिट 396 करोड़ रुपये रहा। इसका रेवेन्यू 3.13 फीसदी बढ़कर 4,426.54 करोड़ रुपये रहा। Ambuja Cements का प्रॉफिट मार्च तिमाही में 856.46 करोड़ रुपये रहा। उसका रेवेन्यू 2.4 फीसदी बढ़कर 7,900.04 करोड़ रुपये रहा। हालांकि, ऑपरेटिंग प्रॉफिट 19 फीसदी घटा।
JK Cement का प्रॉफिट 21 फीसदी घटा। हालांकि साल दर साल आधार पर बिक्री 10 फीसदी बढ़ी। Shree Cement का प्रॉफिट 16 फीसदी गिरा। हालांकि, साल दर साल आधार पर यह 31 फीसदी बढ़ा। रेवेन्यू 3.6 फीसदी बढ़ा। साल दर साल आधार पर रेवेन्यू 15 फीसदी तक बढ़ा।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के वीपी अजीत मिश्रा ने कहा कि आने वाले महीनों में इनफ्लेशन हाई बने रहने के आसार है। इसे देखते हुए सीमेंट कंपनियों को अपने प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ानी पड़ सकती है। एनालिस्ट्स का यह भी कहना है कि डिमांड में सुस्ती आ सकती है। कोयले की कीमतें और बढ़ सकती हैं। कंपनियों के लिए बढ़ी कॉस्ट का बोझ ग्राहकों पर डालना मुश्किल होगा। इसके चलते उनका वॉल्यूम जून तिमाही में कम रह सकता है।