AI का बूम या बबल? क्या कहता है Nvidia का धमाकेदार रिजल्ट, जानिए भारत के लिए संकेत

AI boom or bubble: Nvidia के धमाकेदार नतीजों ने AI बूम बनाम बबल की बहस को फिर तेज कर दिया है। कंपनी की रिकॉर्ड ग्रोथ, भारी ऑर्डर बुक और ग्लोबल AI इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार का सीधा असर भारत के AI मिशन, डेटा सेंटर योजनाओं और टेक सेक्टर पर पड़ने वाला है।

अपडेटेड Nov 20, 2025 पर 11:09 PM
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Nvidia की तिमाही सिर्फ अच्छी नहीं थी, बल्कि ऐसी थी जो पूरे AI सेक्टर को नई दिशा दे।

AI boom or bubble: अमेरिकी शेयर बाजार के जानकार की राय AI स्टॉक्स पर काफी बंटी हुई है। एक तरफ AI को भविष्य माना जा रहा है और बिग टेक कंपनियां डेटा सेंटर्स पर सैकड़ों अरब डॉलर झोंक रही हैं। दूसरी तरफ, मार्केट वैल्यूएशन को लेकर बेचैनी है। रिटर्न अनियमित हैं और ‘AI बबल’ की चर्चा हल्की फुल्की बात से आगे बढ़कर गंभीर चिंता बन चुकी है। इसी माहौल में Nvidia के नतीजे आए और पूरी चर्चा का रुख पलट दिया।

Nvidia का स्टॉक तीन साल में 1,200% चढ़ चुका है। इतनी तेजी खुद बाजार में अस्थिरता बढ़ा देती है। Nvidia दुनिया की सबसे वैल्युएबल कंपनी बनी, लेकिन इसे लेकर डर भी बना है कि इतनी तेजी कितने समय तक टिकेगी।

Nvidia के तिमाही नतीजे क्या कहते हैं?


Nvidia की तिमाही सिर्फ अच्छी नहीं थी, बल्कि ऐसी थी जो पूरे AI सेक्टर को नई दिशा दे। अक्टूबर में खत्म तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू $57 बिलियन रहा, जो सालाना आधार पर 62% की बढ़त और उम्मीद से ज्यादा था। मुनाफा $31.9 बिलियन पहुंच गया, 65% की बढ़त के साथ।

डेटा-सेंटर रेवेन्यू $51.2 बिलियन रहा, जो 66% चढ़ा और अब कंपनी की लगभग पूरी ग्रोथ इसी से आती है। अगले क्वार्टर का गाइडेंस $65 बिलियन दिया गया, जबकि अनुमान करीब $62 बिलियन था। नतीजों के बाद स्टॉक आफ्टर-आवर्स में 4-5% चढ़ गया। गुरुवार के कारोबारी सत्र में भी यह 5% से ज्यादा तेजी के साथ खुला।

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Nvidia और उसका रिजल्ट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सिर्फ एक टेक कंपनी नहीं, बल्कि मार्केट का मूड-सेटर है। हाल ही में यह $5 ट्रिलियन वैल्यूएशन पार करने वाली दुनिया की पहली कंपनी बनी थी। जब Nvidia हिलती है, तो Nasdaq और S&P 500 दोनों हिलते हैं।

Jensen Huang ने AI बबल पर क्या कहा?

अर्निंग कॉल में Nvidia के CEO जेनसन हुआंग ने सीधी बात कही। उन्होंने कहा, 'AI बबल की जो चर्चा हो रही है, हम उसे अलग नजर से देखते हैं।' उन्होंने इसे तीन दलीलों से समझाया।

1. Accelerated Computing की ओर बड़ा बदलाव

हुआंग के मुताबिक कम्प्यूटिंग में ढांचागत बदलाव शुरू हो चुका है। Moore’s Law अब धीमा पड़ रहा है, और दुनिया तेज कंप्यूटिंग यानी GPU बेस्ड एक्सेलेरेटेड कम्प्यूटिंग की ओर बढ़ रही है। यह पूरा सेक्टर Nvidia का होम टर्फ है।

2. AI की मांग अब कई क्षेत्रों में फैल चुकी है

AI की मांग अब सिर्फ OpenAI, Microsoft, Google और Meta तक सीमित नहीं रह गई है। यह बड़े एंटरप्राइजेज, देशों की ‘Sovereign AI’ प्रोजेक्ट, रोबोटिक्स, एजेंटिक AI और ऑटोमेटेड सिस्टम्स, और हाई-एंड रिसर्च लैब्स तक फैल चुकी है। यही वजह है कि Nvidia के प्रोडक्ट्स की मांग आने वाली कई लहरों तक बनी रहने के संकेत मिल रहे हैं।

3. Nvidia का ऑर्डर बुक पहले ही विशाल

कंपनी के मुताबिक Blackwell और Rubin प्लेटफॉर्म्स की $500 बिलियन मांग 2026 तक दिख रही है। Blackwell सिस्टम की बुकिंग 'ऑफ द चार्ट्स' बताई गई। क्लाउड GPU आज भी लगभग 'सोल्ड आउट' हैं।

CFO कोलेट क्रेस ने बताया कि हाइपरस्केलर्स ने इस साल $600 बिलियन AI डेटा सेंटर कैपेक्स किया, जो शुरुआत के अनुमान से $200 बिलियन ज्यादा है। यह दिखाता है कि AI अब इंफ्रास्ट्रक्चर बन चुका है, न कि सिर्फ एक प्रयोग।

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फिर भी मार्केट की दुविधा क्यों बनी हुई है?

तिमाही नतीजों के बाद AMD, TSMC, Broadcom, Oracle जैसे AI-लिंक्ड स्टॉक्स चढ़े और Nasdaq/S&P फ्यूचर्स भी सुधरे। लेकिन AI बबल वाली चिंता पूरी तरह खत्म नहीं हुई। वजह स्पष्ट हैं।

बड़े निवेशकों की मुनाफावसूली: Bloomberg के अनुसार SoftBank के CEO मासायोशी सोन और Peter Thiel के हेज फंड Thiel Macro ने Nvidia में अपनी पोजिशन बेच दी। इससे बाजार में संकेत गया कि बड़े खिलाड़ी टेबल छोड़ रहे हैं। इससे निवेशकों में डर बढ़ रहा।

61% बिक्री सिर्फ 4 कंपनियों पर निर्भर: Nvidia की 61% बिक्री Microsoft, Amazon, Google और Meta से आती है। अगर इनमें से कोई भी AI capex धीमा करे या अपने खुद के चिप बनाए, तो Nvidia के ग्रोथ मॉडल पर असर होगा।

Nvidia का निवेश मॉडल पर सवाल

Nvidia असल में AI कंपनियों में निवेश कर रहा है। और वही कंपनियां Nvidia चिप खरीद रही हैं। Reuters की रिपोर्ट के मुताबिक, Nvidia दो बड़े ‘राउंड-ट्रिप’ निवेश कर रहा है।

  • OpenAI में $100 बिलियन तक निवेश की योजना
  • Anthropic में $10 बिलियन निवेश का प्लान

ये कंपनियां Nvidia के पैसे से Microsoft या AWS पर Nvidia हार्डवेयर लेती हैं। Goldman Sachs का कहना है कि ऐसी 'सर्कुलर सेल्स' अगले साल Nvidia की बिक्री का 15% हो सकती हैं। इस मॉडल पर कई एनालिस्ट सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि क्या Nvidia की दिख रही डिमांड पूरी तरह ऑर्गेनिक है, या फिर आंशिक रूप से यह चक्रीय मॉडल से बन रही है।

AI boom or bubble

Nvidia क्लाउड कंपनियों के पास पड़ी खाली GPU क्षमता को किराए पर लेकर आगे बेच रहा है, ताकि AI की भारी मांग पूरी की जा सके। AWS, Google और Azure जैसे प्लेटफॉर्म कई बार GPUs का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाते, इसलिए Nvidia उन्हें 'capacity contracts' के तहत लेता है। Reuters के अनुसार, ऐसे कॉन्ट्रैक्ट्स अब $26 बिलियन तक पहुंच चुके हैं। इस पर भी सवाल हैं।

माइकल बैरी के Nvidia पर आरोप

‘The Big Short’ के लिए मशहूर माइकल बैरी ने Nvidia और Palantir दोनों को शॉर्ट किया है और Nvidia के रेवेन्यू मॉडल पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि Amazon, Microsoft और Google जैसे बड़े क्लाउड हाइपरस्केलर्सNvidia के GPUs को अपनी बुक्स में 5-6 साल की उपयोग अवधि (depreciation life) मानकर खर्च दर्ज कर रहे हैं।

बैरी का दावा है कि असलियत में इन GPUs की तकनीकी लाइफ 2–3 साल से ज्यादा नहीं दिखती। बैरी का तर्क है कि जब उत्पाद का असल इस्तेमाल इतना कम हो, लेकिन कंपनियां उसे कई साल तक खिंचकर दिखाएं, तो रेवेन्यू और प्रॉफिट दोनों ज्यादा मजबूत दिखाई पड़ते हैं। यही उन्हें Nvidia के पूरे AI इकोसिस्टम में संदिग्ध वित्तीय संकेत लगते हैं।

असल बहस: मांग असली है, पर क्या खर्च जारी रहेगा?

Nvidia ने इस तिमाही में साफ दिखा दिया कि उसकी चिप्स की मांग बेहद तेज और व्यापक है। लेकिन यह अभी भी साफ नहीं है कि इतनी ही गति से AI पर होने वाला खर्च लंबे समय तक जारी रहेगा या नहीं। यही वह मूल सवाल है, जो ‘AI बबल’ वाली बहस को जन्म देता है। डिमांड मजबूत है, पर क्या निवेश हमेशा उतना ही व्यवहारिक रहेगा?

AI अब भू-राजनीति का बड़ा हिस्सा बन चुका है

चीन पर अमेरिकी पाबंदियों के बाद Nvidia ने अपना फोकस तेजी से मध्य-पूर्व और दूसरे उभरते बाजारों की ओर मोड़ दिया है। सऊदी अरब में Humain के साथ बड़े AI कैंपस की तैयारी, AWS के साथ रियाद में 1,50,000 एक्सेलेरेटर वाला AI Zone बनाने की योजना, और अमेरिका का सऊदी–UAE को 35,000 एडवांस Nvidia चिप्स एक्सपोर्ट करने की मंजूरी।

ये सब दिखाता है कि AI अब सिर्फ टेक नहीं, बल्कि भू-राजनीति का बड़ा हिस्सा बन चुका है। Jensen Huang का मानना है कि हर बड़ा देश अपनी ‘Sovereign AI’ बनाएगा, और Nvidia उस पूरी प्रक्रिया का पहला पसंदीदा सप्लायर बनना चाहता है।

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भारत के लिए Nvidia का तिमाही नतीजा क्यों अहम है?

Nvidia की अर्निंग्स सिर्फ वॉल स्ट्रीट का मसला नहीं हैं। ये भारत की AI स्ट्रैटेजी, लागत, स्पीड और पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर पर सीधा असर डालती हैं। भारत अभी GPU की भारी कमी दूर करने की कोशिश में है, इसलिए Nvidia की सप्लाई, कीमत और प्लानिंग भारत के AI मिशन की दिशा तय करती है। उसी तरह जैसे ये अमेरिकी टेक दिग्गजों को प्रभावित करती है।

भारत की GPU कमी दूर करने की कोशिश

भारत सरकार ने मार्च 2024 में ₹10,372 करोड़ का IndiaAI Mission लॉन्च किया था। लक्ष्य है 10,000 से ज्यादा GPUs, भारत का खुद का AI क्लाउड, और एक राष्ट्रीय AI कंप्यूट मार्केटप्लेस। अगर Nvidia सप्लाई बढ़ाता है और कीमतें नीचे रहती हैं, तो भारत तेजी से आगे बढ़ सकेगा। लेकिन अगर GPUs महंगे रहे या उपलब्धता सीमित रही, तो भारत का पूरा AI मिशन लागत और समय- दोनों मामलों में भारी हो सकता है।

भारत में Nvidia पहले से बड़ा पार्टनर

Nvidia भारत के लिए नया खिलाड़ी नहीं है। यह यहां पहले से उन सबसे बड़े AI प्रोजेक्ट्स में साझेदार है जो देश का तकनीकी भविष्य तय करेंगे। Reliance-Nvidia साझेदारी के तहत Jio 2,000 MW का AI डेटा सेंटर और भारतीय भाषाओं में LLM बना रहा है। Tata-Nvidia पार्टनरशिप GH200 Grace Hopper आधारित सुपरकंप्यूटर और बड़े AI मॉडल तैयार कर रही है, जो भारतीय स्टार्टअप्स और कंपनियों की रीढ़ बनेगी। यानी Nvidia की सप्लाई लाइन भारत की AI क्षमता को सीधे मजबूत या कमजोर कर सकती है।

भारतीय IT और स्टार्टअप्स Nvidia पर निर्भर

TCS, Infosys, Wipro से लेकर भारत के SaaS यूनिकॉर्न- सभी Nvidia GPUs पर चलने वाली क्लाउड सेवाओं पर काम करते हैं। Nvidia की उपलब्धता, लागत और परफॉर्मेंस इन कंपनियों के AI प्रोडक्ट्स की स्पीड, लागत और डिलीवरी टाइम को सीधे प्रभावित करती है। इसलिए Nvidia की हर तिमाही रिपोर्ट भारत के IT सेक्टर के लिए भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

Nvidia से जुड़े हैं भारतीय निवेशक

भारतयी निवेशक चाहे Nvidia के शेयर सीधे न रखें, लेकिन Nasdaq 100 ETFs, US टेक फंड्स और ग्लोबल कैपिटल फ्लो के जरिए Nvidia की चाल भारतीय पोर्टफोलियो पर असर डालती है। 2025 में AI capex ने अमेरिकी GDP में 0.5% तक जोड़ा। और अमेरिका की यह ग्रोथ भारत के एक्सपोर्ट, मार्केट सेंटिमेंट और निवेश प्रवाह को भी प्रभावित करती है।

Nvidia का तिमाही नतीजा सिर्फ अमेरिकी टेक सेक्टर की कहानी नहीं है। यह भारत के AI मिशन, डेटा सेंटर प्लान, IT कंपनियों, स्टार्टअप इकोसिस्टम और निवेशकों की रणनीति पर सीधा असर डालता है। इसलिए Nvidia की अर्निंग्स भारत के लिए सिर्फ 'ग्लोबल टेक न्यूज' नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण संकेत हैं जो आने वाले वर्षों में देश की AI यात्रा को तय करेंगे।

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