बाजार की आगे की दशा और दिशा पर Baroda Mutual Fund के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर और फंड मैनेजर संजय चावला ने मनीकंट्रोल से एक लंबी बातचीत की। यहां हम आपको उस बातचीत का सारांश दे रहे हैं।
बाजार की आगे की दशा और दिशा पर Baroda Mutual Fund के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर और फंड मैनेजर संजय चावला ने मनीकंट्रोल से एक लंबी बातचीत की। यहां हम आपको उस बातचीत का सारांश दे रहे हैं।
संजय चावला का कहना है कि अगला साल इक्विटी बाजार के लिए काफी एक्शन से भरा रहेगा। 2022 में तमाम ऐसे इवेंट्स होंगे जिनपर निवेशकों की नजर रहनी चाहिए। जिससे की आप आगे के लिए निवेश रणनीति बना सकें। ओमीक्रोन कोरोना वायरस और इकोनॉमी पर इसका प्रभाव टॉप लिस्ट पर रहेगा। इसके अलावा इसके फ्यूचर म्यूटेशंस पर भी बाजार की नजर रहेगी। ग्लोबल इकोनॉमी के लिए यूएस फेड का नजरिया भी काफी अहम भूमिका निभाएगा जबकि घरेलू फैक्टर पर नजर डालें तो यूनियन बजट ने अभी से बाजार दिग्गजों की नजर आकर्षित करनी शुरु कर दी है।
उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि मॉनसून अगला ऐसा फैक्टर होगा जो इकोनॉमी की रिकवरी की गति तय करेगा। गौरतलब है कि संजय चावला डिजिटलाइजेशन की गति, वैकल्पिक ईंधन के क्षेत्र में हुई प्रगति और कार्बन फुट प्रिंट रिडक्शन पर अपने विश्लेषण में खास फोकस रखते हैं।
मनीकंट्रोल से हुई इस बातचीत में उन्होंने कहा कि बाजार ने इकोनॉमी में मजबूत रिकवरी की उम्मीद में औसत से बेहतर रिटर्न दिया है। जिससे अर्निंग ग्रोथ को बूस्ट मिला है। हमें उम्मीद है कि आगे का बाजार स्टॉक पिकर मार्केट रहेगा। जिसमें ब्रॉड बेस्ड इंडेक्स रैली की उम्मीद नहीं नजर आती। ऐसे बाजार में चुनिंदा स्टॉक ही बेहतर प्रदर्शन करते नजर आएंगे।
बाजार पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि पिछले 10 साल में बाजार में सालाना आधार पर 10-20 फीसदी का रिटर्न दिया है और हाल के दिनों मे इसने और बेहतर रिटर्न दिया है। आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से ग्रोथ करती इकोनॉमी में है। सरकार जिस तरह से सुधार पर फोकस कर रही है , मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को जिस तरह से प्रोत्साहन दिया जा रहा है और खपत में जिस तरह की तेजी आती दिख रही है उसको देखते हुए हमे लग रहा है कि आगे आनेवाले साल में भारत दुनिया की सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली इकोनॉमी में रहेगा। जिससे आगे कंपनियों के नतीजे भी मजबूत नजर आएंगे।
आगामी बजट पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों के दौरान इक्विटी मार्केट पर यूनियन बजट का असर घटता दिखा है लेकिन उम्मीदें और आकाक्षाएं इस वास्तविकता को नकाराती रही हैं। सरकार ने कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न परेशानियों से निपटने के लिए तमाम कदम उठाए हैं। सरकार और आरबीआई दोनों ने इस महामारी से निपटने के लिए अपने स्तर पर बड़ी कोशिश की है। जिससे इकोनॉमी में लिक्विडिटी बनाए रखने और रिकवरी लाने में सहायता मिली है। लेकिन इकोनॉमी की रिकवरी को लेकर अभी भी चिंताएं बनी हुई है। प्राइवेट सेक्टर का निवेश अभी भी बहुत बड़े आधार का नहीं है। हमें ऐसे नीतियों की जरुरत है जिससे टिकाऊ विकास हो सके और महंगाई पर नियत्रंण किया जा सके।
बाजार पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि हमारा मानना है कि 2-3 ऐसे अहम कारण हैं जिनके चलते छोटे-मझोले शेयर दिग्गजों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। इसकी पहली वजह यह है कि इनमें अब तक काफी तेज गिरावट हुई है और अब इनमें शॉर्ट कवरिंग देखने को मिल सकती है। इसके अलावा बाजार में काफी ज्यादा लिक्विडिटी होने की वजह से लोगों की जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ी है जिसके चलते वे छोटे-मझोले शेयरों पर दांव लगा रहे हैं। तीसरी वजह है खुदरा निवेशकों की बाजार में बढ़ती भागीदारी।
हिंदी में शेयर बाजार, स्टॉक मार्केट न्यूज़, बिजनेस न्यूज़, पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App डाउनलोड करें।