Dividends Stocks: वित्त वर्ष 2023 में हुआ घाटा, फिर भी डिविडेंड बांटेंगी ये 21 कंपनियां, जानें क्या है ये माजरा
Dividends Stocks: मनीकंट्रोल के एक विश्लेषण से पता चलता है कि कम से कम 21 ऐसी कंपनियां है, जिन्होंने स्टैंडअलोन आधार पर वित्त वर्ष 2023 में शुद्ध घाटा दर्ज किया है, लेकिन फिर भी उन्होंने डिविडेंड देने का ऐलान किया है। इनमें से कुछ कंपनियों ने कंसॉलिडेटेड स्तर पर लाभ कमाया है क्योंकि उनकी सहयोगी कंपनियों ने अच्छी कमाई दर्ज की है
Dividends Stocks: इन कंपनियों में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 33% से 75% के बीच है
वित्त वर्ष 2023 में घाटा दर्ज करने बावजूद कई कंपनियों ने डिविडेंड (Dividend) यानी लाभांश बांटने का ऐलान किया है। अभी उन्हें इस फैसले पर शेयरधारकों से मंजूरी लेना बाकी है। इन कंपनियों में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 33 प्रतिशत से 75 प्रतिशत के बीच है। इसका मतलब है कि डिविडेंड भुगतान का सबसे अधिक लाभ इन प्रमोटरों को ही मिलेगा। मनीकंट्रोल के एक विश्लेषण से पता चलता है कि कम से कम 21 ऐसी कंपनियां है, जिन्होंने स्टैंडअलोन आधार पर वित्त वर्ष 2023 में शुद्ध घाटा दर्ज किया है, लेकिन फिर भी उन्होंने डिविडेंड देने का ऐलान किया है। इनमें से कुछ कंपनियों ने कंसॉलिडेटेड स्तर पर लाभ कमाया है क्योंकि उनकी सहयोगी कंपनियों ने अच्छी कमाई दर्ज की है।
कॉर्पोरेट कंप्लायंस फर्म, MMJC & Associates के फाउंडिंग पार्टनर मकरंद जोशी के मुताबिक, डिविडेंड का भुगतान हमेशा कंपनी के स्टैंडअलोन मुनाफे के आधार पर किया जाना चाहिए।
घाटे में चल रही इन कंपनियों में भारती एयरटेल (Bharti Airtel) और अडानी पोर्ट्स (Adai Ports) जैसे नाम हैं। भारती एयरटेल ने जहां 5 रुपये के फेस वैल्यू वाले प्रत्येक शेयर पर 100% यानी 5 रुपये के डिविडेंड का ऐलान किया है। वहीं अडानी पोर्ट्स ने अपने 2 रुपये के फेस वैल्यू वाले शेयर पर 250 फीसदी यानी 5 रुपये के डिविडेंड का ऐलान किया है।
सनटेक रियल्टी (Sunteck Realty) और बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉर्प (Bombay Burmah Trading Corp) ने क्रमशः 150 प्रतिशत और 60 प्रतिशत के डिविडेंड के भुगतान की योजना बनाई है। बाकी कंपनियों ने भी 5 प्रतिशत से लेकर 250 प्रतिशत तक के डिविडेंड भुगतान की ऐलान किया है।
कुल राशि के मामले में, भारती एयरटेल और अदाणी पोर्ट्स ने डिविडेंड के रूप में क्रमशः 2,984 करोड़ रुपये और 1,080 करोड़ रुपये बांटने का ऐलान किया है। भारती एयरटेल में प्रमोटरों की 55 फीसदी हिस्सेदारी है। इसका मतलब है कि उन्हें इस डिविडेंड से 1,642 करोड़ रुपये मिलेंगे। वहीं अदाणी पोर्ट्स में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 61.03 प्रतिशत हिस्सेदारी और उन्हें इससे 659.16 करोड़ रुपये मिलेंगे। भारती एयरटेल और अदाणी पोर्ट्स को भेजे गए ईमेल के जवाब नहीं आए थे।
सनटेक रियल्टी और बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग ने 22 करोड़ रुपये और 8.4 करोड़ रुपये के कुल डिविडेंड का ऐलान किया है, और उनके प्रमोटरों को क्रमशः 14.77 करोड़ रुपये और 5.52 करोड़ रुपये मिलेंगे।
इसी तरह आरएचआई मैग्नेसिटा इंडिया (RHI Magnesita India) और एंटरटेनमेंट नेटवर्क इंडिया (Entertainment Network India) ने क्रमशः 47 करोड़ रुपये और 4.77 करोड़ रुपये के कुल डिविडेंड का ऐलान किया है और उनके प्रमोटरों को क्रमश: 28.25 करोड़ रुपये और 3.4 करोड़ रुपये मिलेंगे।
घाटे के बावजूद जिन 21 कंपनियों ने डिविडेंड बांटने का ऐलान किया है, उनकी लिस्ट नीचे दी गई है-
क्या कहते हैं नियम?
जोशी ने कहा कि डिविडेंड का भुगतान शेयरधारकों को लाभ लौटाने का एक तरीका है। कंपनी एक्ट, फ्री कैश रिजर्व से डिविडेंड बांटने की इजाजत देता है, भले ही कंपनी का घाटा हुआ हो। हालांकि ऐसे भुगतान के लिए डिविडेंड के रूप में बांटे जा सकने वाली अधिकतम राशि को लेकर कुछ शर्तें जरूर हैं।
इसके अलावा कंपनियां पिछले सालों में दर्ज मुनाफे और सामान्य कैश रिजर्व से भी डिविडेंड का भुगतान कर सकती हैं। यदि कंपनियां पिछले साल के मुनाफे से डिविडेंड का भुगतान करती हैं, तो राशि की कोई सीमा नहीं है।
हालांकि अगर डिविडेंड को जनरल कैश रिजर्व से बांटा जा रहा है, तो अधिकतम राशि के साथ-साथ डिविडेंड की दर को लेकर कुछ प्रतिबंध हैं। दोनों ही मामलों में कंपनी को डेप्रिसिएशन के लिए प्रावधान करना जरूरी है और अगर मौजूदा या पिछले साल में कोई घाटा हुआ है, तो उसे भी डिविडेंड बांटने से पहले एडजस्ट करना चाहिए।
पहले से मंजूरी लेना
जोशी ने कहा कि अगर जनरल कैश रिजर्व से डिविडेंड का भुगतान किया जाता है तो शेयरधारकों कीं पहले से मंजूरी लेना अनिवार्य है। लेकिन पिछले साल में हुए मुनाफे से डिविडेंड बांटने के लिए बोर्ड को किसी पूर्व-मंजूरी की जरूरत नहीं होती है और वह अंतरिम डिविडेंड के रूप में इन्हें देने का ऐलान कर सकता है।
कंपनी की विस्तार योजना सहित तमाम पहलुओं पर विचार करने के बाद ही डिविडेंड बांटने का फैसला लेना चाहिए। मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने शीर्ष शीर्ष 1,000 सूचीबद्ध कंपनियों को को अपना डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन पॉलिसी बनाने का आदेश दिया है, जिससे डिविडेंड भुगतान में एक निश्चितता लाई जा सके। डिविडेंड भुगतान में अनियमितता होने पर प्रॉक्सी सलाहकारों ने चिंता जताई है।
जोशी ने कहा, "यह देखा जा रहा है कि कुछ कंपनियां नकदी संकट से जूझ रहे अपने प्रमोटरों या ग्रुप की दूसरी कंपनियों को फंड मुहैया कराने के लिए डिविडेंड का ऐलान करती है। साथ ही यह उनके डिविडेंड के ऐलान के समय और उसकी राशि में अनियमितता को दिखाती। यहां यह भी बताना जरूरी है बहुत अधिक डिविडेंड के ऐलान से अंत में कंपनी की नेट वर्थ में भी कमी आ सकती है।"