दिवाली पर लक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए दिवाली पर हम घर-दुकान की सफाई पर ज्यादा जोर देते हैं। क्या हमें इस मौके पर अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो की सफाई भी करना चाहिए? इस सवाल का जवाब हां है। दिवाली यह चेक करने का सही मौका है कि आपका इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो आपके इनवेस्टमेंट गोल्स के मुताबिक है या इसमें कुछ बदलाव करने की जरूरत है। इससे आपको यह तय करने में मदद मिलेगी कि पोर्टफोलियो के कौन से स्टॉक्स परफॉर्म नहीं कर रहे हैं।
पोर्टफोलियो क्लीन-अप (Portfolio Clean-Up) में आप रिटर्न नहीं देने वाले एसेट्स को अपने पोर्टफोलियो से बाहर कर सकते हैं। अगर आपके पोर्टफोलियो में किसी एक सेक्टर की ज्यादा हिस्सेदारी हो गई है तो आप उसे बैलेंस कर सकते हैं। अगर ज्यादा रिस्क वाले स्टॉक्स की संख्या बढ़ गई है तो आप ऐसे कुछ शेयरों को हटा सकते हैं।
VSRK Capital के डायरेक्टर स्पनिल अग्रवाल ने कहा, "पोर्टफोलियो का क्लीन-अप एक जरूरी प्रोसेस है। इससे आपको अपने इनवेस्टमेंट गोल्स (Investment Goals) के मुताबिक पोर्टफोलियो में बदलाव करने का मौका मिलता है। कई बार व्यक्ति के इनवेस्टमेंट गोल बदल जाते हैं। पहले उसका फोकस वेल्थ क्रिएशन पर था। अब उसका फोकस रिटायरमेंट, एजुकेशन या घर खरीदने पर हो सकता है। गोल में बदलाव की वजह से पोर्टफोलियो में बदलाव जरूरी हो जाता है।"
इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो के क्लीन-अप में आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना होगा।
1. FINHAAT के सीईओ विनोद सिंह ने कहा कि पोर्टफोलियो के क्लीन-अप में सबसे पहले यह देखना जरूरी है कि यह आपके इनवेस्टमेंट गोल्स और रिस्क लेने की क्षमता से मेल खाता है या नहीं। इसकी वजह यह है कि इनवेस्टमेंट गोल्स की तरह इनवेस्टर की रिस्क लेने की क्षमता भी बदलती रहती है। कम उम्र का इनवेस्टर ज्यादा रिस्क ले सकता है। उम्र बढ़ने पर आम तौर पर इनवेस्टर की रिस्क लेने की क्षमता कम हो जाती है।
2. अगर आपके पोर्टफोलियो में ऐसे स्टॉक्स हैं, जिनका प्रदर्शन अच्छा नहीं यानी वे रिटर्न नहीं दे रहे हैं तो उन्हें बाहर करना सही रहेगा। इसकी वजह यह है कि ऐसे स्टॉक्स इनवेस्टमेंट गोल्स हासिल करने के रास्ते में बाधा बन सकते हैं। अगर आपका निवेश म्यूचुअल फंड की किसी ऐसी स्कीम है, जो बीते 2-3 साल से रिटर्न नहीं दे रही है तो उस स्कीम के यूनिट्स को बेचकर किसी बेहतर प्रदर्शन वाली स्कीम में निवेश करना सही रहेगा।
3. यह देखना भी जरूरी है कि आपका पोर्टफोलियो डायवर्सिफायड है या नहीं। अगर किसी एक एसेट की हिस्सेदारी इसमें ज्यादा हो गई है तो उसे बैलेंस करना सही होगा। कई बार पोर्टफोलियो में स्टॉक्स की हिस्सेदारी तय लिमिट से बढ़ जाती है, जबकि फिक्स्ड एसेट की हिस्सेदारी तय लिमिट से कम हो जाती है। ऐसे में आपके लिए पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करना जरूरी हो जाता है।
4. पोर्टफोलियो में बाजार की बदलती स्थितियों के हिसाब से बदलाव भी जरूरी है। उदाहरण के लिए अगर किसी खास समय में मिडकैप और स्मॉलकैप में रिस्क ज्यादा है तो ऐसे स्टॉक्स में निवेश घटाया जा सकता है। उनके जगह ज्यादा सुरक्षित माने जाने वाले लार्जकैप स्टॉक्स में निवेश बढ़ाया जा सकता है।
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5. इसी तरह अगर किसी एक सेक्टर में वैल्यूएशन बहुत बढ़ गई है तो उस सेक्टर में एक्सपोजर घटाना ठीक रहेगा। ऐसे सेक्टर में एक्सपोजर बढ़ाया जा सकता है, जिसकी वैल्यूएशन अट्रैक्टिव है और जिसके अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना ज्यादा है।