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Dollar Vs Rupee : डॉलर के कमजोर होने से रुपया हुआ मजबूत, 18 दिसंबर के बाद पहली बार 85 से नीचे पहुंचा

Currency Check : डॉलर और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से रुपया मजबूत हुआ है और 18 दिसंबर के बाद ये पहली बार 85 के स्तर से नीचे पहुंच गया है। अमेरिकी डॉलर में यूएस टैरिफ से जुड़ी चिंता के कारण कमजोरी आई है। इसका फायदा रुपए के मिला है

अपडेटेड Apr 04, 2025 पर 11:21 AM
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Currency Exchange : दुनिया की 6 बड़ी मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी मुद्रा की स्थिति को मापने वाला डॉलर इंडेक्स शुरुआती कारोबार में 101.798 पर आ गया। पिछले सत्र में यह 102.072 पर बंद हुआ था

Forex Market : 4 अप्रैल को रुपया पिछले सत्र की बढ़त को जारी रखते हुए तीन महीनों में सबसे मजबूत स्थिति में पहुंच गया है। डॉलर के मुकाबले रुपया आज शुरुआती कारोबार में 85 से नीचे कारोबार कर रहा है। अमेरिकी डॉलर में यूएस टैरिफ से जुड़ी चिंता के कारण कमजोरी आई है। इसका फायदा रुपए के मिला है। इसके अलावा ब्रेंट क्रूड की कीमतों में गिरावट ने भी रुपये को मदद की है।

फिलहाल रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.9913 के आसपास कारोबार कर रहा है। आज यह 85.04 के स्तर पर खुला था, जो पिछले बंद भाव 85.44 से लगभग 40 पैसे अधिक है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि आखिरी बार रुपया ने 85 के स्तर से नीचे 18 दिसंबर को कारोबार किया था।

दुनिया की 6 बड़ी मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी मुद्रा की स्थिति को मापने वाला डॉलर इंडेक्स शुरुआती कारोबार में 101.798 पर आ गया। पिछले सत्र में यह 102.072 पर बंद हुआ था।


करेंसी एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस गिरावट का कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पिछले दिनों घोषित उम्मीद से अधिक आक्रामक टैरिफ है। इससे अमेरिका में मंदी की आशंका और ग्लोबल ग्रोथ को लेकर चिंता पैदा हो गई है।

शुरुआती कारोबार में ब्रेंट में तेज गिरावट आई और यह 69.64 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट कमोडिटीज राहुल कलंत्री का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारी रिसीप्रोकल टैरिफ की घोषणा के बाद कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई। मंदी के डर से तेल की वैश्विक मांग में कमी आने की आशंका बढ़ गई है। चीन पर लागू टैरिफ में तेज बढ़त से एनर्जी मार्केट में हड़कंप मच गया है। इससे कच्चे तेल में तीन साल की सबसे बड़ी एक दिन की गिरावट आई।

ओपेक+ द्वारा अप्रत्याशित रूप से मई में उत्पादन बढ़ाकर 411,000 बैरल प्रतिदिन करने पर सहमति जताए जाने के कारण भी कीमतों में गिरावट आई है। उत्पादन का यह टारगेट पहले के तय उत्पादन 135,000 बीपीडी से काफी अधिक है। कलंत्री ने कहा कि ओपेक+ द्वारा उत्पादन में बढ़त और ट्रेड टैरिफ के कारण कमजोर मांग से कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बना रह सकता है।

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इंडिया फॉरेक्स एंड एसेट मैनेजमेंट (आईएफए ग्लोबल) के फाउंडर और सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपया 84.95-85.25 के दायरे में कारोबार कर सकता है। इसमें मजबूती का रुझान कायम रहेगा।

 

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