भारतीय शेयर बाजार को लेकर बैंक ऑफ अमेरिका (BofA) ने कहा है कि निफ्टी कंपनियों की कमाई में कटौती का सबसे बुरा दौर अब खत्म हो चुका है। ब्रोकरेज फर्म के इंडिया रिसर्च हेड अमीश शाह ने कहा कि पिछले एक साल से लगातार चल रही अर्निंग्स डाउंग्रेड्स अब थम गई हैं और आगे कमाई का ग्रोथ ट्रेंड बेहतर दिख रहा है। उनका कहना है कि फिलहाल दलाल स्ट्रीट FY26 के लिए लगभग 8 प्रतिशत और इसके बाद 15 प्रतिशत अर्निंग्स ग्रोथ का अनुमान लगा रहा है। BofA के अनुमान और बाजार की उम्मीदों के बीच का अंतर भी अब काफी कम हो चुका है।
अमीश शाह के मुताबिक, लगातार एक साल तक निफ्टी की अर्निंग्स के अनुमान घटते रहे, लेकिन अब यह रुझान थम गया है और ग्रोथ की दिशा बेहतर हो रही है। उन्होंने बताया कि शेयर मार्केट में फिलहाल FY26 के लिए सिर्फ 8% और उसके बाद 15% की अर्निंग्स ग्रोथ का अनुमान बनाया जा रहा है, और BofA के आकलन और स्ट्रीट के अनुमान के बीच का अंतर अब काफी कम हो चुका है।
शाह ने कहा कि FY26 के अर्निंग्स अनुमानों में कुल 10% और FY27 में 7% तक कटौती की गई है, लेकिन अब आगे इससे ज्यादा गिरावट नहीं दिख रही। उन्होंने कहा, “अर्निंग्स कट अब पीछे छूट चुका है और यह हमेशा बाजार के लिए अच्छी खबर है।” उनके मुताबिक, निफ्टी 50 की कमाई की रफ्तार फिर तेज हो सकती है। निफ्टी 50 की अर्निंग्स FY25 में 5.5% बढ़ी थीं, FY26 की पहली छमाही में 8.6% की ग्रोथ दिखी है, दूसरी छमाही में यह 9% के आसपास पहुंच सकती है और FY27 में ग्रोथ 13% तक जाने की उम्मीद है।
वैल्यूएशन को लेकर शाह का कहना है कि शयेर मार्केट में अब तक कोई बड़ी गिरावट इसलिए नहीं आई क्योंकि कंपनियों की कमाई बाजार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। इसलिए, आगे जाकर मार्केट की चाल का असली आधार अर्निंग्स ग्रोथ ही होगी। उनके मुताबिक, “वैल्यूएशन में अब ज्यादा विस्तार का कारण नहीं दिखता।”
सेक्टर परफॉर्मेंस को लेकर BofA का अनुमान है कि सभी सेक्टर्स के प्रदर्शन के बीच आगे भी अंतर बना रहेगा। मास कंजम्पशन और कैपेक्स से जुड़े सेक्टरों में सुधार धीमा रह सकता है, जबकि ब्याज दरों पर निर्भर सेक्टर RBI की संभावित रेट कट की वजह से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। इसमें रियल एस्टेट, REITs, पावर यूटिलिटीज और फाइनेंशियल्स शामिल हैं। कंजम्पशन सेगमेंट में डिस्क्रेशनरी कैटेगरी बेहतर दिख रही है।
फाइनेंशियल सेक्टर पर शाह ने कहा कि यह अभी भी कुछ चुनिंदा सेक्टरों में से एक है जो ज्यादा महंगा नहीं है। दो साल की लगातार अर्निंग्स डाउंग्रेड के बाद अब इस सेक्टर में अपग्रेड्स दिखने लगे हैं। नियामकीय अनिश्चितता कम हुई है और विदेशी निवेशक भी दोबारा मिड-साइज वाले बैंकों की ओर रुख कर रहे हैं।
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