FIIs की बिकवाली जारी, शुक्रवार को बेचे 5485 करोड़ रुपए के शेयर, DIIs ने की 5214 करोड़ रुपए की खरीदारी

इस साल अब तक एफआईआई ने 2.19 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं, जबकि डीआईआई ने 4.92 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 218.14 अंक या 0.27 फीसदी बढ़कर 81,224.75 पर और निफ्टी 104.20 अंक या 0.42 फीसदी बढ़कर 24,854 पर बंद हुआ

अपडेटेड Oct 19, 2024 पर 6:57 AM
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सेंसेक्स 218.14 अंक या 0.27 फीसदी बढ़कर 81,224.75 पर और निफ्टी 104.20 अंक या 0.42 फीसदी बढ़कर 24,854 पर बंद हुआ

18 अक्टूबर को घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 5,214 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। वहीं दूसरी ओर विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने 5,485 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। ये जानकारी NSE के प्रोविजनल आंकड़ों पर आधारित है। NSE के आंकड़ों से पता चलता है कि डीआईआई ने कल 13,850 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 8,635 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इस बीच, एफआईआई ने 12,348 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और कारोबार के दौरान 17,834 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

इस साल अब तक एफआईआई ने 2.19 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं, जबकि डीआईआई ने 4.92 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं।

कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 218.14 अंक या 0.27 फीसदी बढ़कर 81,224.75 पर और निफ्टी 104.20 अंक या 0.42 फीसदी बढ़कर 24,854 पर बंद हुआ। एक्सिस बैंक, विप्रो, आयशर मोटर्स, आईसीआईसीआई बैंक और श्रीराम फाइनेंस निफ्टी के टॉप गेनर शेयरों में शामिल रहे। जबकि इंफोसिस, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, नेस्ले इंडिया, एचयूएल और एशियन पेंट्स टॉप लूजरों में रहे।


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एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा कि निफ्टी की तुलना में मिड और स्मॉल कैप इंडेक्सों का प्रदर्शन कमजोर रहा। इसके चलते एडवांस डिक्साइन रेशियो 0.90:1 तक गिर गया। हालांकि शुक्रवार को एशियाई शेयरों में तेजी देखने को मिली। चीन के केंद्रीय बैंक द्वारा कंपनियों और बड़े शेयरधारकों द्वारा शेयर बॉय बैक के जरिए शेयर बाजार को सपोर्ट देने की योजना जारी करने से एशियाई बाजारों के सपोर्ट मिला है।

उन्होंने आगे कहा कि शुक्रवार को यूरोपीय शेयर बाजारों में मिलाजुला रुख देखने को मिला। निवेशकों को हाल में आए कुछ कंपनियों के नतीजों ने निराश किया है। कमजोर नतीजों ने इस रीजन की अर्थव्यवस्था की मजबूती को लेकर चिंता बढ़ा दी है। इसके साथ ही रिटेल बिक्री के मजबूत आंकड़ों ने ब्याज दरों में कटौती उम्मीद को कमजोर कर दिया है।

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