बाजार में कमजोरी देखने को मिल रही है। इस हफ्ते के रिटर्न पर नजर डालें तो निफ्टी में 0.38 फीसदी निगेटिव रिटर्न दिया है। वहीं, सेंसेक्स ने 0.09 फीसदी निगेटिव रिटर्न दिया है। हालांकि बैंक निफ्टी ने 1.80 फीसदी पॉजिटिव रिटर्न दिया है। मिडकैप ने 0.83 फीसदी निगेटिव रिटर्न दिया है। वही स्मॉल कैप ने 0.48 फीसदी पॉजिटव रिटर्न दिया है। सवाल ये हैं कि बाजार में कमजोरी क्यों हैं ?
इसका जवाब खोजें तो पता चलता है कि कंपनियों के नतीजों ने बाजार का मूड खराब कर दिया है। वैल्युएशन महंगे थे। इसके चलते अब करेक्शन हो रहा है। FIIs की जोरदार बिकवाली ने भी बाजार का सेंटीमेंट खराब कर दिया है। FIIs को चीन ज्यादा आकर्षक लग रहा है। 1-17 अक्टूबर तक FIIs ने 74,732 करोड़ रुपए की बिकवाली की है। इसके अलावा डिमांड और कंज्यूमर सेंटिमेंट को लेकर भी चिंता है।
चीन की तुलना में भारत का लॉन्ग टर्म आउटलुक काफी अच्छा
इन मुद्दों पर बात करते हुए मार्केट एक्सपर्ट सुनील सुब्रमणियम ने कहा कि चीन की तुलना में भारत का लॉन्ग टर्म आउटलुक काफी अच्छा है। ऐसे में चीन के हालिया प्रोत्साहन उपायों के बाद एफआईआई सिर्फ ट्रेंडिंग के लिए चाइना जा रहे हैं। हेज फंड सिर्फ लीवरेजिंग के लिए शॉर्ट टर्म कॉल लेते हैं और मुनाफा कमाते हैं। सुनील का कहना है कि विदेशी फंड शॉर्ट टर्म में चाइनीज बाजार से पैसा बना कर हालात सुधरने पर फिर से भारतीय बाजारों में पैसा लगाएंगे।
भारत में लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए होने वाला निवेश रहेगा जारी
सुनील का कहना है कि अगर इंटरनेशनल एलोकेशन पर नजर डालें तो पिछले तीन साल की तुलना में भारत में इंटनेशनल एलोकेशन काफी बढ़ गया है। तीन साल पहले इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में चीन का एलोकेशन भारत से 3 गुना ज्यादा था। लेकिन आज दोनों देशों की लगभग बराबर की हिस्सेदारी हो गई है। इसका मतलब है कि पैसिव मनी अभी भी भारत और चीन में एक बराबर आ रही है। ऐसे में भारत में लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए होने वाला निवेश जारी रहेगा। पैसिव फंड भारत में पैसे लगाते रहेंगे।
दिसंबर की पहली तिमाही से बाजार में लौटेगी तेजी
सुनील का कहना है कि दिसंबर के आसपास से ही बाजार में स्थिरता और मजबूती आनी शुरू हो जाएगी। अमेरिकी इलेक्शन की अनिश्चितता नवंबर के अंत तक चुनाओं के परिणाम आने पर खत्म हो जाएगी। अगर ट्रंप जीत गए तो वापस इमर्जिंग मार्केट के लिए फ्लो शुरू हो जाएगा। इससे अलावा दिसंबर में आरबीआई की रेट कट की बात शुरू होगी। रेट कट पर बाजार पॉजिटिव रिएक्ट करता है। ऐसे में सुनील का मानना है कि बाजार की ये अनिश्चितता सिर्फ नवंबर महीने के लिए है। दिसंबर के पहले महीने से ही बाजार में पॉजिटिव रुझान आने शुरू हो जाएंगे।
मार्केट एक्सपर्ट सुदीप बंद्योपाध्याय का कहना है कि लगातार बनी जोरदार तेजी के चलते भारतीय बाजार दुनिया का सबसे महंगा बाजार बन गया है। इतनी तेजी के बाद थोड़ा बहुत मुनाफावसूली होने स्वाभाविक है। एफआईआई की बात करें तो वे फंड मैनेज करते हैं। फंड मैनेज करने वालों के लिए बीच-बीच में मुनाफावसूली करना बहुत जरूरी होता है। दिसंबर आ रहा है। हम जानते हैं की ग्लोबल फंडों के लिए दिसंबर में साल की समाप्ति होती है। इस सीजन में ग्लोबल फंडों के लिए मुनाफावसूली करना जरूरी होता है। ऐसे में भारत में भारी मुनाफा कमा चुके फंडों की थोड़ी बहुत मुनाफावसूली तो होनी ही थी। इसके साथ ही वे चाइन में मिल रहे शॉर्ट टर्म फायदे के मौके को भी भुना रहे हैं। लेकिन ये शॉर्ट टर्म ट्रेंड है। स्ट्रक्चरल लॉन्ग टर्म निवेशक अभी भी भारत में निवेश के मौके तलाश रहे हैं। एफआईआई की बिकवाली से हमें हौरान होने की जरूरत नहीं है।
Piper Serica के फाउंडर अभय अग्रवाल का कहना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए रिटेल निवेशकों बाजार की शॉर्ट टर्म उठापटक से घबराने की जरूरत नहीं हैं। अगर आपके पोर्टफोलियों में अच्छे क्वालिटी शेयर हैं तो लंबे नजरिए से बने रहें। अपने पसंदीदा शेयरों की लिस्ट बनाएं। इन कंपनियों के नतीजों को देखें। अगर नतीजे अच्छे हैं तो गिरावट में खरीदारी करें। अच्छे शेयरों को गिरावट पर खरीदें। लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करें। SIP करना नहीं भूलें
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