इन पांच सेक्टर्स को कैपेक्स साइकिल में आ रही तेजी का मिलेगा फायदा, निवेश के लिए बनाए रखें नजर

रक्षा क्षेत्र में भारत सरकार "आत्मनिर्भर भारत" या "मेक इन इंडियन" थीम पर चल रही है। हमें हाल के दिनों में डिफेंस फोर्सेज की तरफ से भारतीय कंपनियों को मिलने वाले ऑर्डरों में बढ़त देखने को मिली है। एयरक्राफ्ट्स के मामले में अनुमान है कि अगले 1-2 दशकों में नए ऑर्डर में भारत में बने एयरक्राफ्ट्स की हिस्सेदारी 18 फीसदी से बढ़कर 40 फीसदी से ज्यादा हो जाएगी

अपडेटेड Jul 01, 2023 पर 1:01 PM
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इंडस्ट्री आंकड़ों के मुताबिक भारत का नान-कंज्यूमर इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स का बाजार करीब 800 अरब रुपये का है। लेकिन इसमें भारतीय कंपनियों की हिस्सेदार केवल 100 अरब रुपये के आसपास है

विनय जयसिंह-जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज 

भारतीय कैपेक्स साइकिल आगे बढ़ने के लिए तैयार नजर आ रहा है। भारत सरकार ने बजट 2023 में पूंजीगत व्यय में बढ़त का ऐलान किया है। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024 में सरकारी कंपनियों सहित सरकार की तरफ से किया जाना वाला पूंजीगत व्यय जीडीपी के 4.1 फीसदी से बढ़कर 4.9 फीसदी हो सकता है। इस पूंजीगत व्यय में सरकार की कुल हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023 के 11.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 14.9 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। (स्रोत: केंद्रीय बजट)

बताते चलें कि पूंजीगत व्यय या कैपेक्स (कैपिटल एक्सपेंडीचर) ऐसे खर्च को कहते हैं जो सरकार, सरकारी कंपनियों और निजी कंपनियों की तरफ से किसी स्थाई प्रॉपर्टी, प्लांट और उपकरण जैसे दीर्घकालिक एसेट को स्थापित करने या उनको बेहतर बनाने के लिए किए जाते हैं। कंपनियों की तरफ से नए प्लांट लगाने या पुराने प्लांट के क्षमता में विस्तार के लिए किए जाने वाले खर्च को कैपेक्स या पूंजीगत व्यय कहा जाता है। इस तरह सरकार की तरफ से इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और विस्तार पर किया जाने वाला खर्च कैपेक्स या पूंजीगत व्यय की श्रेणी में आता है।


देश में कैपेटसिटी यूटिलाइजेशन दर 74 फीसदी के आसपास

भारतीय कॉरपोरेट भी धीरे-धीरे अपनी क्षमता विस्तार पर फोकस बढ़ा रहा है। देश में कैपेटसिटी यूटिलाइजेशन दर 74 फीसदी के आसपास आ गई है (स्रोत: आरबीआई)। ऐसे में तमाम कंपनियां बीमार कंपनियों को खरीदने या छोटी कमजोर कंपनियों के साथ विलय करके और अपनी क्षमता बढ़ाने का रास्ता अपना रही हैं। हालांकि निजी सेक्टर अभी इस मामले में थोड़ा पीछे है। लेकिन इस सेक्टर के कुछ पॉकेट्स में ये प्रक्रिया शुरू होती दिख रही है।

पिछले कुछ सालों के दौरान स्टील कंपनियों ने IBC (दिवाला और दिवालियापन कोड) प्रक्रिया के तहत कई कंपनियों का अधिग्रहण किया है। जैसे, टाटा स्टील ने बीएसएल का अधिग्रहण किया, जेएसडब्ल्यू ने बीपीएसएल और मोनेट इस्पात का अधिग्रहण किया, वेदांता ने इलेक्ट्रो स्टील का अधिग्रहण किया और आर्सेलर मित्तल ने एस्सार स्टील का अधिग्रहण किया है। इसी प्रकार, सीमेंट क्षेत्र में छह सबसे बड़ी सीमेंट कंपनियों की तरफ कंसोलीडेशन और बाजार हिस्सेदारी में बढ़त देखने को मिली है। इस सेक्टर की टॉप 6 कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी पिछले 10 सालों (FY11-21) में 10 फीसदी बढ़कर 55.5 फीसदी हो गई है (स्रोत: जेएम फाइनेंशियल)

इस समय 5 सेक्टर्स में हमें पूंजीगत व्यय चक्र में बढ़त होती दिख रही है। ये सेक्टर है डिफेंस, पावर, रेलवे, वॉटर ट्रीटमेंट और पीएलआई के योजना के तहत आने वाला मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर (स्रोत: आरबीआई)।

आइए डालते हैं इन पर एक नजर

रक्षा (Defence)

रक्षा क्षेत्र में भारत सरकार "आत्मनिर्भर भारत" और "मेक इन इंडियन" थीम पर चल रही है। हमें हाल के दिनों में डिफेंस फोर्सेज की तरफ से भारतीय कंपनियों को मिलने वाले ऑर्डरों में बढ़त देखने को मिली है। ऐतिहासिक रूप से देखें तो हम रक्षा क्षेत्र में अपनी जरूरतों के लिए रूस, फ्रांस और चीन से होने वाले आयात पर बहुत ज्यादा निर्भर रहे हैं। एयरक्राफ्ट्स के मामले में अनुमान है कि अगले 1-2 दशकों में नए ऑर्डर में भारत में बने एयरक्राफ्ट्स की हिस्सेदारी 18 फीसदी से बढ़कर 40 फीसदी से ज्यादा हो जाएगी। (स्रोत: जेएम फाइनेंशियल)

पावर

अप्रैल-मई 2023 में देश में बिजली की अधिकतम मांग 245GW उपलब्ध प्रभावी क्षमता के मुकाबले ~220GW थी। अतीत में बिजली क्षेत्र में कम निवेश हुआ है। हालांकि, सरकार ने मांग को पूरा करने के लिए थर्मल और रिन्यूएबल दोनों बिजली उत्पादन सेक्टर में नई क्षमता जोड़ने पर अपना फोकस बढ़ा दिया है। आगे हमें इस सेक्टर में कम से कम 7-8 फीसदी ग्रोथ देखने को मिल सकती है। (स्रोतः Ministry of Power, JM view)

रेलवे

केंद्रीय बजट 2023-24 में भारतीय रेलवे के लिए 2.4 करोड़ रुपए रुपये के कैपेक्स का प्रावधान किया गया है। ये 2013-14 में किए गए व्यय का 9 गुना है। इसे विभिन्न क्षेत्रों में खर्च किया जाएगा जिसमें लाइनों का विकास, गेज परिवर्तन, सिग्नलिंग और दूसरे रेलवे बुनियादी ढांचे पर होने वाले खर्च शामिल हैं। (स्रोत: केंद्रीय बजट)

वाटर ट्रीटमेंट

जल जीवन मिशन, नमामि गंगे, जल उपचार, सिंचाई सहित तमाम दूसरी योजनाओं पर सरकार के फोकस के चलते आगे इस सेक्टर की तमाम अच्छी कंपनियों में जोरदार ग्रोथ देखने को मिलेगी। जेएम फाइनेंशियल कवरेज में शामिल इस सेक्टर की एक कंपनी तो 4.6x को शानदार बुक-टू-बिल है पर कारोबार कर रही है। (स्रोत: कंपनी, जेएम फाइनेंशियल)

इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग सर्विसेज

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी नीतियों में हाल के दिनों में तमाम पॉजिटिव बदलाव हुए हैं। आगे देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग को पीएलआई स्कीम, नई उत्पादन ईकाइयों के लिए प्रतिस्पर्धी टैक्स नियम (15 प्रतिशत) और चीन+1 जैसी नीतियों का फायदा मिलेगा। इंडस्ट्री आंकड़ों के मुताबिक भारत का नान-कंज्यूमर इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स का बाजार करीब 800 अरब रुपये का है। लेकिन इसमें भारतीय कंपनियों की हिस्सेदार केवल 100 अरब रुपये के आसपास है। भारत को अगले 10-15 वर्षों तक कम श्रम लागत का लाभ भी मिलेगा। (स्रोत: कंपनी, उद्योग अनुमान)

विनय जयसिंह जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज में एमडी, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज के पद पर हैं.

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Sudhanshu Dubey

Sudhanshu Dubey

First Published: Jul 01, 2023 1:01 PM

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