विदेशी निवेशकों को है इन 3 चीजों का इंतजार, फिर शेयर बाजार में कर सकते हैं बड़ी वापसी: JP मॉर्गन के राजीव बत्रा
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) पिछले चार सालों से लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं। जबकि इसी दौरान दूसरे इमर्जिंग देशों जैसे कोरिया, ताइवान और चीन में उन्होंने वापसी की है। विदेशी संस्थागत ने इस साल भी इंडियन मार्केट्स में बड़ी बिकवाली की है। भारतीय बाजार से इस साल अब तक वे करीब 15 अरब डॉलर से ज्यादा की रकम निकाल चुके हैं
JP मॉर्गन का अनुमान है कि अगले 12 महीनों के दौरान इंमर्जिंग मार्केट्स (EM) की इक्विटीज में 20–25% तक रिटर्न मिल सकता है
भारतीय शेयर बाजार पिछले कई महीनों से एक सीमित दायरे में घूम रहा है। सेंसेक्स और निफ्टी ने पिछले साल 26 सितंबर को अपना रिकॉर्ड ऑलटाइम हाई छुआ था। तब से करीब एक साल हो गए हैं और दोनों इंडेक्स अभी इस स्तर के नीचे बने हुए हैं। शेयर बाजार की इस अंडरपरफॉर्मेंस के पीछे सबसे बड़ी वजह विदेशी निवेशकों की बिकवाली मानी जा रही है। ऐसे में सभी की निगाहें अब इस पर टिकी हैं कि आखिर ये विदेशी निवेशक बड़े पैमाने पर काफी भारतीय शेयर बाजार में कब लौटेंगे?
इन अटकलों के पीछे कुछ वजहें भी है। भारत ने हाल ही में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कुछ बड़े कदम उठाए हैं। सबसे पहले इनकम टैक्स स्लैब में छूट की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख किया गया। और अब सरकार ने जीएसटी दरों में व्यापक सुधारों को भी लागू कर दिया है। लेकिन इसके बावजूद अभी तक विदेशी निवेशकों की वापसी का कोई बड़ा संकेत मिलता नहीं दिख रहा है। ऐसा क्यों? जेपी मॉर्गन के एशिया हेड और ग्लोबल इमर्जिंग मार्केट इक्विटी स्ट्रैटजी के को-हेड, राजीव बत्रा ने इसके पीछे 3 वजहें बताईं। बत्रा ने बताया कि विदेशी निवेशक भारत लौटने के लिए तैयार हैं, लेकिन इससे पहले ये इन चीजों के होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ये तीनों कारण क्या हैं?
जेपी मॉर्गन के एशिया हेड राजीव बत्रा ने कहा कि भारत में विदेशी निवेशकों की वापसी के लिए अभी तीन बड़ी शर्तें पूरी होना बाकी हैं। पहला, अमेरिका-भारत संबंधों में नरमी, दूसरा कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ में तेजी और नई नीतिगत सुधारों की अगली लहर।
राजीव बत्रा के अनुसार, यही तीन सवाल आजकल ग्लोबल निवेशकों के बीच सबसे अधिक चर्चा में हैं। उन्होंने कहा, “निवेशक सबसे पहले पूछते हैं कि भारत-अमेरिक के बीच व्यापारिक रिश्तों में कब फिर से बेहतर होंगे। दूसरा सवाल है कि कंपनियों की अर्निंग्स में डबल-डिजिट ग्रोथ कब देखने को मिलेगी? और तीसरा यह कि लगातार चार सालों की बिकवाली के बाद विदेशी निवेशक भारत में कब वापसी करेंगे?”
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) पिछले चार सालों से लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं। जबकि इसी दौरान दूसरे इमर्जिंग देशों जैसे कोरिया, ताइवान और चीन में उन्होंने वापसी की है। विदेशी संस्थागत ने इस साल भी इंडियन मार्केट्स में बड़ी बिकवाली की है। भारतीय बाजार से इस साल अब तक वे करीब 15 अरब डॉलर से ज्यादा की रकम निकाल चुके हैं।
बत्रा ने बताया कि भारतीय बाजार ने 1990 के बाद से अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है, लगभग 25–30% की अंडरपरफॉर्मेंस, जबकि दूसरे एशियाई बाजारों में मजबूत रैली देखने को मिली है।
उन्होंने कहा कि भारतीय शेयर बाजार के लिए यहां तीन चीजें गेमचेंजर साबित हो सकती है। पहला है भारत-अमेरिका रिश्ते। बत्रा का मानना है कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्तों में नरमी भारतीय शेयर बाजारों में नई जान फूंक सकती है। उन्होंने कहा, “अगर अमेरिका 25% का अतिरिक्त पेनाल्टी टैरिफ कम करता है तो यह पहला बड़ा कैटेलिस्ट होगा। इससे भारत का रिस्क प्रीमियम घटेगा और भारत को वैल्यूएशन री-रेटिंग का फायदा मिलेगा, जैसा कि दूसरे इमर्जिंग बाजारों में देखने को मिला है।”
दूसरा है कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ में रफ्तार। पिछले 12 महीनों में भारत की अर्निंग्स ग्रोथ महज 4.5 से 5% पर अटकी हुई है, जबकि पी/ई वैल्यूएशन 22 गुना तक बना हुआ है। निवेशकों को भरोसा दिलाने के लिए कंपनियों की कमाई में डबल-डिजिट ग्रोथ का लौटना बेहद जरूरी है।
तीसरा है नीतिगत सुधारों की अगली लहर। राजीव बत्रा ने कहा कि भारतीय सरकार ने अब तक कई बड़े सुधार किए हैं। इसमें ब्याज दरों में कटौती, कॉरपोरेट टैक्स में कमी, इनकम टैक्स स्लैब को बढ़ा और जीएसटी दरों में सुधार जैसे कदम है।
बत्रा ने कहा कि बाजार अब इसके बाद एक और “मास्टर स्ट्रोक सुधार” का इंतजार कर रहा है, जो डीरेगुलेशन और FDI-FPI से जुड़ों नियमों को सरल बनाए जाने से जुड़ा है। बत्रा का अनुमान है कि अगले 4-5 सालों तक भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा सहारा कंजम्प्शन ही रहेगा। इसमें ऑटो, ज्वेलरी और डिस्क्रेशनरी कैटेगरी को सबसे अधिक फायदा मिल सकता है।
जेपी मॉर्गन का अनुमान है कि अगले 12 महीनों के दौरान इंमर्जिंग मार्केट्स (EM) की इक्विटीज में 20–25% तक रिटर्न मिल सकता है। बत्रा ने बताया कि अमेरिकी डॉलर में 1% की गिरावट से EM इक्विटी परफॉर्मेंस 4.5% तक बढ़ती है। इस साल डॉलर अब तक 12% गिर चुका है, यानी अभी और बढ़त की संभावना बाकी है।
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