कुछ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने डेरिवेटिव ट्रेडिंग के नियमों को सख्त बनाने की सेबी की कोशिशों पर चिंता जताई है। इस मसले से सीधे तौर पर जुड़े कुछ लोगों ने यह बताया। पिछले हफ्ते जेपी मॉर्गन इंडिया इनवेस्टर समिट के दौरान सेबी के अधिकारियों ने एफपीआई की चिंता दूर करने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था कि उनकी चिंता मुख्यत: एक्सपायरी के करीब इंडेक्स ऑपशंस की वैल्यूए में उछाल को लेकर है। इस मसले से जुड़े लोगों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर यह जानकारी दी।
सेबी की बैठक में एफएंडओ के नए नियमों पर होगी चर्चा
सेबी (SEBI) के बोर्ड की बैठक आज यानी 30 सितंबर को होने वाली है। इसमें फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) के नियमों में बदलाव पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। दरअसल, सेबी ने इस मामले में कुछ समय पहले एक कंसल्टेशन पेपर पेश किया था। इस पर मार्केट से जुड़े पक्षों की राय मांगी थी। दरअसल, एफएंडओ ट्रेडिंग में रिटेल इनवेस्टर्स की बढ़ती दिलचस्पी पर सेबी चिंतित है। उसने कई बार इस पर अपनी चिंता जताई है। डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में रिटेल इनवेस्टर्स की बढ़ती दिलचस्पी पर अंकुश लगाने के लिए वह नियमों को सख्त बनाना चाहता है।
अचानक नियमों में बड़े बदलाव से पड़ेगा खराब असर
हाल में एफपीआई के साथ सेबी के अधिकारियों की हुई बातचीत से यह संकेत मिलता है कि मार्केट रेगुलेटर उन्हें एफएंडओ से जुड़े अपने संभावित कदमों से अवगत रखना चाहता है। इस बारे में सेबी के प्रवक्ता को भेजे ईमेल का जवाब नहीं मिला। सेबी के अधिकारियों से बातचीत में एफपीआई ने मार्केट रेगुलेटर को इस बारे में धीरे-धीरे आगे बढ़ने की सलाह दी थी। उनका मानना था कि मार्केट रेगुलेटर को एक बार नियमों में बड़े बदलाव करने की जगह धीरे-धीरे नियमों को सख्त बनाना चाहिए।
सेबी की स्टडी के नतीजों पर उठाए सवाल
विदेशी फंडों ने डेरिवेटिव्स मार्केट में रिटेल इनवेस्टर्स को लॉस से जुड़े SEBI की स्टडी पर भी सवाल उठाए हैं। सेबी ने 23 सितंबर को एक स्टडी के नतीजे पेश किए थे। इनमें कहा गया था कि पिछले तीन सालों में एफएंडओ ट्रेडिंग में 93 फीसदी रिटेल ट्रेडर्स को नुकसान उठाना पड़ा था। उन्हें इस दौरान कुल 1.8 लाख करोड़ रुपये का लॉस हुआ है। इस मसले की जानकारी देने वाले एक दूसरे व्यक्ति ने कहा कि सेबी की इस स्टडी से ऐसा लगता है कि रिटेल ट्रेडर्स के लॉस के जिम्मेदारी विदेशी ट्रेडर्स हैं। सच्चाई यह है कि विदेशी ट्रेडर्स की सफलता की दर भी 50 फीसदी है। इसका मतलब है कि उन्हें करीब आधे ट्रेड्स पर लॉस होता है।
यह भी पढ़ें: Yes Bank के एमडी प्रशांत कुमार ने कहा-हमारी डिपॉजिट ग्रोथ हमेशा लोन ग्रोथ से ज्यादा बनी रहेगी
नए नियमों का लिक्विडिटी पर पड़ सकता है खराब असर
एक बड़ी विदेशी ट्रेडिंग फर्म के एक अधिकारी ने कहा, "हमने पहले देखा है कि सेबी ने थोड़े समय में कई बड़े बदलाव किए हैं। इसका असर मार्केट पार्टिसिपेंट्स पर पड़ा है। उसके बाद फिर सेबी ने नियमों को आसान बनाए। इससे अनिश्चितता का माहौल बनता है। हमने सेबी से कहा है कि हमें एफएंडओ के नियमों के सख्त होने से ऐतराज नहीं है, लेकिन रिटेल इनवेस्टर्स को नुकसान बचाने के लिए मार्केट में लिक्विडिटी को दांव पर लगाना ठीक नहीं है।"